मुझे हँसी मजाक बहुत पसंद है और इस कारण ऐसे धारावाहिक भी काफी पसंद आते हैं जिनमें भरपूर कॉमेडी होती है। कामकाज की थकान के बाद कुछ लम्हे फुरसत के मिले और उनमें आपको भरपूर हँसने का मौका मिल जाए तो पूरे दिन की थकान गायब हो जाती है। इसलिए मेरी कोशिश रहती है कि मैं यदा कदा कॉमेडी धरवाहिक देखता रहूँ। कॉमेडी नाटकों की अच्छी बात ये भी होती है कि अक्सर ये आधे घंटे के होते हैँ तो आप इन्हें देखकर अपना मूड फ्रेश कर सकते हैं और बाकी कामों पर लग सकते हैं।
हिन्दी में भी कुछ कॉमेडी धारवाहिक ऐसे रहे हैं जो मुझे काफी पसंद रहे हैं। ये ऐसे धारावाहिक रहे हैं जिनके एपिसोड देखने को मैं हमेशा तैयार रहता हूँ। आज की पोस्ट में मैं अपने पसंदीदा कॉमेडी धारावाहिको के विषय में बताऊँगा। ये धारावाहिक निम्न हैं:
खिचड़ी
खिचड़ी एक ऐसा धारावाहिक रहा है जिसे मेरे घर में खाते हुए देखना मना रहता था। हंसा, प्रफुल, जयश्री, बाबू जी इत्यादि मिलकर ऐसा माहौल बना देते थे कि हँसते हँसते पेट दर्द हो जाता था। खाते हुए ये एपिसोड देखो तो खाने के बीच में हँसी आ जाती और कई बार खाने के साँस की नली में जाने के कारण तेज खाँसी हो जाती। इसलिए खाना हम इसे देखने के बाद ही करते थे।
शृंखला में सभी किरदार एक से बढ़कर एक थे और उनके काम आपके चेहरे से मुस्कान को कम नहीं होने देते थे। फिर चाहे वो प्रफुल की वो हरकतें हों जिसे सुनने के बाद उसके बाबूजी उसे गधा कहें, प्रफुल का हंसा को अंग्रेजी शब्दों के मतलब बताना हो, जयश्री की गॉसिप हो जिससे कई हास्यजनक परिस्थितियाँ पैदा हो जाती थी। मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि अगर हिंदी धारावाहिक देखने वाला व्यक्ति अपने टॉप दस कॉमेडी शो की सूची बनाएगा तो उसमें खिचड़ी का नाम शामिल होगा ही होगा।
साराभाई वर्सेज साराभाई
जहाँ एक तरफ टीवी पर मध्यम वर्ग की कहानी कहने का चलन था वहाँ स्टार वन में आने वाले यह शो एक उच्च वर्ग के परिवार की कहानी कहता था और ऐसे समाज में होने वाले दिखावे पर तीखा व्यंग्य करता था। इंद्रवदन साराभाई, माया साराभाई, साहिल, मोनिशा, रोशेश इस धारावाहिक के मुख्य किरदार थे जहाँ इनके बीच का समीकरण ऐसा होता था कि हास्य जनक परिस्थितियाँ उभरना तय था। माया का उच्च तपके के होने का घमंड और इस कारण उसकी कृत्रिमता पर इंद्रवदन का व्यंग्य हो, मोनिशा और माया की नोक झोंक हो, रोशेश की कविता हों या इंद्रवदन का रोशेश की टाँग खींचना ही क्यों न हो। ये सब आपके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी होते थे। इसके अलावा बीच बीच में अन्य किरदार जैसे इंद्रवदन का दामाद, कच्चा केला और एक व्यक्ति जो बहरे थे का आना भी हास्य की डोज को बढ़ा देता था।
जबान संभाल के
जबान संभाल के वैसे तो एक अंग्रेजी धारावाहिक ‘माइंड योर लैंग्वेज’ का हिंदी रिमेक था और मुझे बड़ा मजेदार लगता था। इसमें मौजूद प्रत्येक किरदार अपने आप में हास्य पैदा करने के लिए काफी थे और इनकी जुगलबंदी ये सुनिश्चित कर ही देती थी कि आप देखते हुए हँसते रहेंगे। टीचर के रूप में पंकज कपूर और उनके विभिन्न छात्रों को देखकर मजा आ जाता था। यहाँ ये बताना जरूरी है कि ये धारावाहिक मैंने काफी देर बाद यू ट्यूब पर देखा था लेकिन आज भी इसके कुछ एपिसोड मैं देखने हो तो बिना सोचे मैं देख सकता हूँ और मुझे मालूम है कि देखते हुए हँसी आना तय ही है।
भाभी जी घर पर हैं
भाभी जी घर पर हैं देखना मैने 2015 के आज पास शुरू किया था। मैं मुंबई से दिल्ली शिफ्ट हुआ था और पीजी में अपने कॉलेज के दोस्त के साथ रहने लगा था। मुंबई में टीवी से मेरा नाता एकदम से टूट गया था पर चूँकिअब टीवी था कमरे में और दोस्त को टीवी देखने की आदत थी तो वो ही ये सीरीज देखता था। 10:30 बजे का एपिसोड एक बार उसने लगाया हुआ था तो मैंने भी देख लिया और उसके बाद ये रोज का काम हो गया। तिवारी जी, विभूति जी, अनीता भाभी, अंगूरी भाभी, संस्कारवान मास्टर जी, आई लाइक इट सक्सेना, मलखान, टीका, टिल्लू, गुलफाम कली , दरोगा , रामकली तिवारी इत्यादि की जुगलबंदी हास्य पैदा करने के लिए काफी होती थी।
शुरुआत में ये धारावाहिक व्यस्कों के लिए बनाया गया था तो इसका कंटेंट थोड़ा डबल मीनिंग वाला होता था पर बाद में चलकर थोड़ा टोन डाउन हो गया था। लेकिन फिर भी हास्य बरकरार रहता था। इसके कई एपिसोड ऐसे हैं जिन्हें देखकर आप हँसते हँसते लोटपोट हो जाओगे। यह एक ऐसा सीरीज भी थी जिसकी पृष्ठभूमि हिंदी प्रदेश की है तो देखने में और मजा आता था।
हैप्पी फैमिली कन्डीशंस अप्लाई
जहाँ टीवी पर आने वाले सिटकॉम इतना खिंचते चले जाते हैं कि कई बार उनसे राबता टूट सा जाता है वहीं यह 10 एपिसोड वाली शृंखला ‘हैपी फैमिली कन्डीशंस अप्लाई’ जब प्राइम वीडियो पर आयी तो इसे देखे बिना रहा नहीं गया और इसे देखकर मुझे काफी मजा भी आया। यह भी एक उच्च वर्ग के गुजराती परिवार की कहानी है जिनके बीच होने वाले मनमुटावों के जरिए सीरीज बनाने वाले ने आधुनिक परिवार की समस्या को दिखाया है। क्योंकि यह ओ टी टी पर था तो इधर रचनाकारों ने थोड़ा गालियों का सहारा लेकर भी हास्य पैदा करने की कोशिश की थी जिससे मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है बचा जा सकता था। अगर वो हिस्से हटा दिए जाएँ तो भी इसके एपिसोड बहुत मजेदार हैं और आपको हँसाने में फेल नहीं होते हैं। बिना गाली के इसका दर्शक वर्ग भी बढ़ जाता। चूँकि यह ओटीटी पर थी तो इसमें शो बनाने वालों ने ऐसे कई टॉपिक जैसे समलैंगिकता, नस्ल भेद इत्यादि भी शामिल किए थे जिनको शायद टीवी पर वो नहीं छूते। मुझे लगता है नवीन कॉमेडी सीरीज की बात की जाए तो यह सीरीज टॉप पर रहेगी और हो भी क्यों न इसके पीछे खिचड़ी, साराभाई जैसे शो बनाने वाली ही टीम जो थी।
इनके अलावा कई और ऐसे धारावाहिक हैं जिनमें हास्य का डोज अधिक होता था। देख भाई देख, श्रीमान श्रीमती, मे आई कमिन सर जैसे कई धारावाहिक भी हास्य से भरपूर होते थे। इसके अतिरिक्त यूट्यूब में आने वाली पिचर्स, ट्रिपलिंग, पर्मानेन्ट रूम मेटस भी मुझे अच्छे लगे थे।
आपके पसंदीदा कॉमेडी धारावाहिक कौन से रहे हैं? बताना नहीं भूलिएगा।
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खिचड़ी अच्छा है पर साराभाई वर्सेज़ साराभाई तो मैं कभी भी, कितनी बार भी देख सकती हूँ।
देख भाई देख भी मुझे बहुत पसंद था।
जी सही है। मुझे भी साराभाई वर्सज़ साराभाई पसंद है। जहाँ खिचड़ी खालिस हास्य है वहीं साराभाई वर्सेस साराभाई में जो कटाक्ष है वो पसंद आता है।
Last waala chod kar meine sabhi dekha hai, Sarabhai vs Sarabhai being my most favorite and khichdi too. Bhabhi ji ghar par hai is so much fun to watch as well.
वाह! जानकर अच्छा लगा कि ये धारवाहिक देखना आपको भी पसंद है। आभार।
😂 Most shows are before my time. But my parents tell me about them. Par maine bhabhi ji Ghar par Hai dekha Hai. Too good!
You should try watching others too… You’d like them.. especially Sarabhai Vs Sarabhai. It was way ahead of it’s time.