सितंबर के महीने की बात करें तो इस महीने काफी किताबें खरीद ली। अगर टोटल किताबों की बात करूँ तो सितंबर में ही 25 के करीब मैंने खरीदी होंगी। इनमें कुछ ऐसी थी जिन्हे गंभीर साहित्य के श्रेणी में लोग रखते हैं और काफी कुछ ऐसी जिन्हे लोकप्रिय साहित्य या पोपुलर फिक्शन या लुगदी साहित्य की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन अगर पाठक के रूप में मुझसे पूछे तो किताबों की दो ही श्रेणियाँ होती है एक वो जो आपको जमी और एक वो आपसे राब्ता स्थापित न कर पाई। इसके अलावा सब मन बहलाने की बातें हैं।
सितंबर माह में खरीदी गयी इन किताबों की सबसे रोचक बात ये है कि यह सभी किताबें मेरे बजट के अंदर अंदर आ गयी थीं। आपको यह जानकर शायद अटपटा लगे लेकिन जब से मेरी नौकरी लगी है तब से मैंने किताबों के लिए अलग बजट बनाकर रखा हुआ है। जैसे जैसे तनख्वाह बढ़ी है वैसे वैसे यह बजट 500 रुपये प्रतिमाह से होते हुए 2000 रुपये प्रतिमाह तक पहुँच गया है। अब मैं प्रतिमाह इतने रुपये किताबों के लिए अलग रख देता हूँ। हाँ, अगर किसी महीने मैं इतने की किताबें नहीं खरीदता हूँ तो पैसे को आगे केरीओवर कर देता हूँ जो कि किसी बाद में के महीने में किताब खरीदने के लिए इस्तेमाल हो ही जाते हैं। यानि औसत 2000 तक आ जाता है। सितंबर का महीना भी ऐसा ही था जिसमें मैंने 2000 से ऊपर (350 +335 +1560 = 2245) की किताबें खरीदीं।
अब इन किताबों के विषय अगर एक साथ बताने लगा तो पोस्ट काफी लंबी हो जायेगी और आप लोग भी पढ़कर बोर हो जाएंगे तो इसलिए मैंने सोचा है तीन भागों में पोस्ट को विभाजित करूँगा और अक्टूबर माह में बीच बीच में एक भाग डाल दिया करूँगा।
सितंबर बुक हॉल की पहली किश्त में मैं दखल प्रकाश से ली गयी किताबों के विषय में बताऊँगा। फेसबुक में अशोक कुमार पाण्डेय (कश्मीरनामा, उसने गांधी को क्यों मारा, कश्मीर और कश्मीरी पण्डित, इस देश में मिलिट्री शासन लगा देना चाहिए जैसी पुस्तकों के लेखक) ने जब दखल द्वारा दिये जा रहे इस ऑफर की पोस्ट साझा की तो किताबों को लेने का मन बना लिया। दखल प्रकाशन शायद इनका ही प्रकाशन है क्योंकि पहले भी मैं इस प्रकाशन से कुछ किताबें मँगवा चुका था। ऐसे में उनके द्वारा साझा किया गया ऑफर मुझे नजरअंदाज नहीं हुआ और मैंने पुस्तकों को मँगवाने का फैसला कर लिया।
यह पाँच पुस्तकों का सेट था और दखल प्रकाशन द्वारा यह किताबें 350 रुपये में दी जा रही थी। वहीं किताबें मुफ़्त में डिलीवर हो रही थी। इन किताबों में एक और बात खास थी कि रज़िया सज्जाद ज़हीर, जिनकी शायद एक आध कहानी मैंने किसी पत्रिका में पढ़ी थी, को छोड़कर बाकि सब रचनाकार मेरे लिए नए थे। ऐसे में नए रचनाकारों को पढ़ने के लिए मेरे लिए एक मौका था जिसे मैं जाने देना नहीं चाहता था।
सितंबर 2021 में आई पहली खेप |
नमक और अन्य कहानियाँ
खिलंदड़ ठाट
खिलंदड़ ठाट लेखक विजय गौड़ का कहानी संग्रह है। विजय गौड़ ब्लॉगर भी है और लिखूँ यहाँ वहाँ नाम से अपना एक ब्लॉग भी चलाते हैं। ‘सबसे ठीक नदी का रास्ता’ (कविता संग्रह), ‘फाँस’ (उपन्यास), भेटकी (उपन्यास) इत्यादि उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकें हैं। इस संग्रह में उनकी छः कहानियों को संकलित किया गया है। संग्रह में संकलित कहानियाँ निम्न हैं:
मैंने अपने जीवन में किताबों पर बहुत अधिक व्यय किया है विकास जी लेकिन बजट कभी तय नहीं किया। जब जहाँ कोई अच्छी पुस्तक दिखाई दी, ले ली। अब ई-बुक का ज़माना आ गया है तो कई पुस्तकें ई-बुक के रूप में भी ख़रीदकर पढ़ लेता हूँ। हाल ही में संतोष पाठक जी के आशीष गौतम सीरीज़ के दो उपन्यास अमेज़न किंडल से लेकर पढ़े – 1. हैरतअंगेज़ हत्या, 2. आख़िरी शिकार। मैं आपका इस बात के निमित्त सदैव प्रशंसक रहूंगा कि आपने पुस्तकें पढ़ने तथा उन पर लिखने को अपने जीवन का एक अंग बना लिया है। इस युग में बहुत बड़ी बात है यह।
जी आभार। किंडल पर तो अनलिमिटेड की सदस्यता ले रखी है। साल भर की सदस्यता आसानी से 999 की पड़ जाती है। काफी पुस्तकें इससे पढ़ सकते हैं।