फोटो निबन्ध: घुमक्कड़ी की यारी, मेरी यह सवारी

फोटो निबन्ध: घुमक्कड़ी की यारी, मेरी यह सवारी
राकेश शर्मा

राकेश शर्मा घुमक्कड़ हैं और इस घुमक्कड़ी में उनकी साथिन उनकी मोटर बाइक रहती हैं।  न जाने कितने किलोमीटर का उनका यह साथ रहा है। मुझे भी यदा कदा उनकी इस गाड़ी पर सवारी करने का मौका मिलता रहता है।

मैं तो अक्सर उनसे मजाक भी करता रहता हूँ कि जिस तरह वह अपनी बाइक पर घुम्म्कड़ी करते रहते हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है कि पिछले जन्म में वह किसी राजा के गुप्तचर रहे होंगे और अपने घोड़े पर इधर उधर घूमा करते रहे होंगे। इस घूमने की आदत इस जन्म तक कैर्री ओवर हो गयी है।

राकेश भाई और उनकी मोटर बाइक का रिश्ता ऐसा ही है जैसे सुपर कमांडो घ्रुव और उसकी बाइक का है। यानी दोनों दो जिस्म एक जान। नहीं नहीं मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ।  यही तो कारण है कि अपनी घुम्म्कड़ी के दौरान वो अपनी बाइक की तस्वीर खींचना नहीं भूलते हैं। घुमक्कड़ी के दौरान उनकी खुद की तस्वीर भले ही न हो लेकिन बाइक की तस्वीर रहती ही रहती है। यह तस्वीरें उनके द्वारा खींची गयी अन्य तस्वीरों जैसी ही लाजवाब होती हैं।

इस बार राकेश शर्मा ने अपनी बाइक की इन्हीं तस्वीरों का संकलन दुई-बात को भेजा है। यह तस्वीरें उन्होंने अपनी विभिन्न राज्यों की घुमक्कड़ी के दौरान खींची थी। उम्मीद है आपको यह फोटो निबन्ध पसंद आएगा।

राकेश शर्मा से आप निम्न लिंक पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं:

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यमुना एक्सप्रेस वे: खतरों के खिलाड़ी
यमुना एक्सप्रेस वे: खतरों के खिलाड़ी
अम्बोली महाराष्ट्र
अम्बोली: महाराष्ट्र
शेखाड़ी तट: रायगढ़, महाराष्ट्र

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चोपता- उत्तराखंड
चोपता, उत्तराखण्ड
चोपता उत्तराखण्ड
चोपता, उत्तराखण्ड
मुन्सियारी, उत्तराखण्ड
मुन्सियारी, उत्तराखण्ड
गणपतिपुले, महाराष्ट्र
गणपतिपुले, महाराष्ट्र
गुरुडोंग्मार झील, सिक्किम
गुरुडोंग्मार झील, सिक्किम
पतरातू घाटी, झारखण्ड
पतरातू घाटी, झारखण्ड
कुद्रेमुख, कर्नाटक
कुद्रेमुख कर्नाटक
मरावंठे, कर्नाटक
मरावंठे, कर्नाटक

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मरावंठे, कर्नाटक
मरावंठे, कर्नाटक
मुनाबाव, रास्थान
मुनाबाव, रास्थान
म्याजलार, राजस्थान
म्याजलार, राजस्थान
श्रृंगेरी, कर्नाटक
श्रृंगेरी, कर्नाटक
© विकास नैनवाल ‘अंजान’, फोटो © राकेश शर्मा 

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “फोटो निबन्ध: घुमक्कड़ी की यारी, मेरी यह सवारी”

  1. राहुल सांस्कृत्यायन की घुमक्कड़ी पढ़ने के बाद पहली बार किसी रियल आदमी को इतनी सारी जगह अपनी बाईक से जाते हुए देख रहा हूँ। वाह 🥳 घूमना मन को एक नया अनुभव देता है।

  2. कैसे बाइक से इतनी दूर-दूर की सैर कर लेते हैं, हम तो थोड़ी दूर बाइक पर बैठ क्या जाते हैं कि थक जाते हैं,

    बहुत खूब!

  3. सुन्दर दृश्यों के साथ-साथ लघु एवं सार्थक लेख.. शर्मा जी के सफ़र को और उड़ान मिले..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..

  4. घुमक्कड़ी …वो भी बाइक पर…वाह। रोमांच और शौक एक साथ…सफर करने को उत्साह‍ित करते राकेश जी…बहुत खूब

  5. बाइक से घुमक्कड़ी!!!उत्तराखंड से महाराष्ट्र तक!
    वहां भी बाइक से…पर कैसे ? आश्चर्य की बात है मेरे लिए तो…।अनंत शुभकामनाएं राकेश जी को व आपको भी आश्चर्यजनक घुमक्कड़ी वह भी बाइक से लेख शेयर करने हेतु।

  6. जी राकेश भाई मूलतः सूरत में रहते हैं। उधर से ही घुम्मकड़ी करते हैं। हाँ, कुछ महीने पहले सूरत से केदारनाथ और फिर मुंशियारी का सफर उन्होंने बाइक पर ही किया था।

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