हाइकु #2

हाइकु 2 - विकास नैनवाल

हाइकु जापानी शैली की लघु कविता है। इसमें 17 वर्ण होते हैं और इसे तीन पंक्तियों में लिखा जाता है। पहली पंक्ति में पाँच वर्ण, दूसरी में सात, और तीसरी में फिर पाँच वर्ण होते हैं। इसी शैली में मेरी छोटी सी कोशिश।

1)

मन पंछी सा
उड़ता चला जाये
काबू न आये

2)

चलती है वो
ढोकर सिर पर
घर-कुटुंब

3)

उम्मीद बन
आया था जीवन में
दे गया टीस

4)

नैसर्गिक है,
सुंदर हरा भरा,
पहाड़ मेरा

5)

कोरोना काल
है मानव बेहाल 
धरा खुशहाल  

© विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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17 Comments on “हाइकु #2”

  1. जी ब्लॉग पर टिप्पणी करने के लिए शुक्रिया…. पर यह टिप्पणी बहुत ही cryptic है… अगर थोड़ा विस्तार से की गयी होती तो शायद आशय साफ़ होता… हाइकु के विषय में मैंने ज्यादा तो नहीं लेकिन कुछ तो पढ़ा है(कविताकोश: हाइकु )…. उसी के हिसाब से ये लिखी गयी थी…इनमें कैसे सुधार होगा ये लिखा होता तो मेरी बहुत मदद होती….

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