शब्द

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शब्द मेरे
शमशीर से हैं,
उठते हैं मन की जमीन को चीरकर
दर्द देते हैं मुझे
फिर बिंधते हैं पढ़ने वालों के मन को
ये चुभन पैदा करना ही है
उनकी नियति
पर मैं लिखता जाता हूँ
इस उम्मीद से
के कभी
ये बनेंगे मलहम
मेरे लिए
और पढ़ने वालों के लिए भी
कभी बदलेगी
ये दुनिया
कभी बदलेंगे
ये इनसान
कभी देने लगेंगे वरीयता
प्रेम को
रंग के ऊपर
रूप के ऊपर
रुतबे के ऊपर
जाति के ऊपर
राष्ट्रीयता के ऊपर
फिर शायद जो शब्द
निकलेंगे मेरे मन से
वो होंगे फूल से कोमल
और बनेंगे मलहम
मेरे लिए
और पढ़ने वालों के लिए भी

© विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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