जब भी पौड़ी जाता हूँ तो अपने साथ दो तरह की किताबें ले जाता हूँ। एक वो जो पढ़ ली होती है क्योंकि पीजी में हूँ तो जगह की कमी है। और कुछ वो जो पढ़ी नहीं होती हैं लेकिन छुट्टियों में पढने का इरादा रखता हूँ। इस बार भी ऐसा ही था।
चाय .पीते पीते उपन्यास पढ़ने का अपना अलग मज़ा है। तो जब इस बार पौड़ी गया तो मेरे साथ ये दोस्त भी गये।
हाँ, पढ़ केवल तीन ही पाया था। लेकिन फिर पौड़ी तीन ही दिन के लिए भी गया था। बस, अगली बार का जुगाड़ करके आया हूँ।
चाय और किताबों का अपना मज़ा है। इन दोनों का कॉम्बिनेशन हमेशा से ही पाठकों के बीच प्रसिद्ध रहा है और यही कारण हैं इनके साथ के ऊपर कई कोट्स भी हैं। पेश-ए-खिदमत है :
You can’t get a cup of tea large enough or a book long enough to suit me.~C.S. Lewis, quoted by Walter Hooper
A book reads the better which is our own, and has been so long known to us, that we know the topography of its blots, and dog’s ears, and can trace the dirt in it to having read it at tea with buttered muffins. – Charles Lamb, English writer
When I was in fourth grade, a novelist came to talk to my English class. She told us that being an author meant sitting at the kitchen table in pajamas, drinking tea with the dogs at your feet. – J. Courtney Sullivan, American novelist
Tea and books – Mmmmmm, two of life’s exquisite pleasures that together bring near-bliss. – Christine Hanrahan
(चाय के विषय में और कोट्स पढने हो इधर जाकर पढ़ सकते है। )
चाय और किताबों का जिक्र हो तो हिंदी के उपन्यासकार लक्ष्मण राव को कैसे भूला जा सकता है। इनकी चाय की दुकान हैं और ये अब तक बीस से ऊपर उपन्यास लिख चुके हैं।
तस्वीर का स्रोत एक रिपोर्ट है जो ndtv में प्रकाशित हुई थी। आप इस रिपोर्ट को इधर जाकर पढ़ सकते हैं :
अगर आप इन्हें नहीं पहचानते तो उनके फेसबुक पेज में जाइए।
चलिए एक किताब और एक कप चाय मेरा इतंजार कर रही है। आप भी पीजिये और पढ़ते रहिये। अगर आप चाय और किताबों से जुड़े कुछ और कोट्स जानते हैं तो टिपण्णी करके बताइयेगा।