Book Haul May 2022 | मई 2022 में आई किताबें |
वैसे तो जून को गुजरे भी वक्त हो गया लेकिन मई में ली गई किताबों के विषय में लिखना रह गया था तो अब वह लिख रहा हूँ।
मई के माह में जुड़ी किताबों की बात करूँ तो बारह किताबें मई के माह में आई। वैसे चार और किताबें इस माह मँगवाई थी लेकिन तकनीकी तौर पर वह जून में घर में आई तो उन्हें जून के संग्रह में दिखाऊँगा। खैर, इन बारह किताबों में से चार कॉमिक बुक्स हैं, एक संस्मरणों की किताब है और बाकी सात उपन्यास हैं। इन सात उपन्यासों में से दो की खास बात ये है कि वो 2 इन 1 हैं यानी एक ही जिल्द में दो कथानक मौजूद हैं। ऐसे में 7 पुस्तकों के अंदर 9 पुस्तकों की सामग्री मेरे पास मौजूद है।
चलिए देखते हैं कि मई 2022 में मेरे संग्रह में कौन सी किताबें जुड़ी:
सितारों से आगे
सितारों से आगे लेखक कृष्ण चंदर का लिखा हुआ उपन्यास है। उपन्यास के विषय में शायद मुझे ब्लॉगर तरंग सिन्हा जी के कारण पता चला था। उन्होंने इस पुस्तक का एक बार मेरी एक पोस्ट पर जिक्र किया था तो सोचा इसे मँगवा लिया जाए। वैसे भी कृश्न चंदर की लेखनी मुझे पसंद आती है। उन्हीं से पता चला कि यह एक फंतासी उपन्यास है और फंतासी में रुचि होने के चलते मैंने सोचा इसे मँगवा लिया जाए।
जीते जी अलाहाबाद
किताब परिचय
एक ऐसा शहर जहाँ बकौल ममता कालिया पैदल चलना किसी निरुपायता का पर्याय नहीं था। साहित्य की वह उर्वर भूमि जिसकी नमी किसी भी कलम को ऊर्जा से भर देती थी, जहाँ का सामाजिक ताना-बाना ही लेखकों-बुद्धिजीवियों से बना था।
रचनात्मकता, प्रतिरोध और गंगा-जमुनी अपनेपन में रसा-पगा यह शहर, इलाहाबाद कभी देश की हिन्दी मनीषा को दिशा देता था। आन्दोलनों को जन्म देता था और राजधानियों से चले आन्दोलनों को उनकी औकात भी बताता था।
ममता जी बताती हैं कि मुम्बई जैसे महानगर को छोड़कर यहाँ आते समय उन्हें बहुत अफसोस हो रहा था लेकिन इस छोटे शहर के बड़प्पन ने बाद में उन्हें हमेशा के लिए अपना कर लिया। इस किताब में उन्होंने उसी इलाहाबाद को साकार किया है। वह इलाहाबाद जहाँ ‘विपन्नता का वैभव और गरीबी का गौरव’ धन और सत्ता के दम्भ में झूमते महानगरों की आँखों में आँखें डाल कर देखा करता था।
यह सिर्फ संस्मरण नहीं है, एक यात्रा है जिसमें हमें अनेक उन लोगों के शब्दचित्र मिलते हैं जिनके बिना आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास नहीं लिखा जा सकता और जो उस समय के इलाहाबाद के मन-प्राण होते थे। उपेंद्रनाथ अश्क, शैलेश मटियानी, नरेश मेहता, भैरव प्रसाद गुप्त, मार्कण्डेय, शेखर जोशी, अमरकांत, ज्ञानरंजन, दूधनाथ सिंह, रवींद्र कालिया, उस समय के साहित्यिक इलाहाबाद की धुरी लोकभारती प्रकाशन और उसके कर्ता-धर्ता दिनेश जी, जलेस-प्रलेस और परिमल से जुड़े लेखक, गरज कि इतिहास का एक पूरा अध्याय अपने नायकों और उनकी खूबियों-खामियों के साथ यहाँ पूरी संवेदना और जीवन्तता के साथ अंकित है।
देवता
जबसे पेंगुइन ने हिन्द पॉकेट बुक्स का अधिग्रहण किया है तब से वह उधर से पूवप्रकाशित उपन्यास, जो काफी समय से आउट ऑफ प्रिन्ट थे, को पुनः प्रकाशित करने लगे हैं। मैं समय समय पर ऐसे उपन्यास मँगवाता रहता हूँ क्योंकि अक्सर इनमें कई लेखक ऐसे होते हैं जो मेरे लिए नए होते हैं। सत्यकाम विद्यालंकार भी ऐसा ही नाम है जिसके विषय में मुझे जानकारी नहीं थी। ऐसे में उनका यह उपन्यास दिखा तो मँगवा लिया। इसका आवरण चित्र मुझे भाया था और फिर परिचय में यह लिखा था कि यह अपने समय का बेस्टसेलर रहा था।
किताब परिचय
यह एक सामाजिक उपन्यास है और इसमें परिवार की मर्यादाओं को कुशल चित्रण किया गया है। यह उपन्यास मनोरंजन के साथ-साथ मन और आत्मा को भी सुकून पहुंचाने वाला और स्वस्थ मनोरंजन करने वाला है। यह अपने समय का बेस्टसेलर उपन्यास रहा है।
(अमेज़न में दर्ज विवरण)
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कॉमिक्स: डोगा डाइजेस्ट 19 और शक्ति कॉमिक्स सेट 1
मई के माह में मैंने कॉमिक बुक्स भी मँगवाए थे। शक्ति कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित पहला सेट मैंने मँगवाया क्योंकि मैंने इससे पहले फ़्लैश गॉर्डन, फैन्टम और मैनड्रेक के कॉमिक्स नहीं पढ़े थे। हाँ, छोटे में इन किरदारों की सीरीज के कुछ एपिसोड देखने की या अखबार में आने वाली कुछ कॉमिक स्ट्रिपस पढ़ने की धुंधली सी याद है। अब देखना है कि इनके कॉमिक बुक्स कैसे होते थे।
इसके साथ ही मैंने डोगा का डाईजेस्ट भी मँगवाया था। यह कॉमिक बुक मनीष गुप्ता द्वारा प्रकाशित किया गया है। जब से राज कॉमिक्स की तीन फड़े हुए हैं तब से कॉमिक बुक के दाम भी काफी बढ़े हैं। वहीं राज कॉमिक्स से जो डाईजेस्ट आते थे वह लगभग बंद ही हो गए थे। मैंने पहले राज कॉमिक्स से काफी डाईजेस्ट लिए थे लेकिन अब जब संजय गुप्ता और मनोज गुप्ता ने पुस्तकें प्रकाशित करना शुरू किया तो उधर से आने वाले कॉमिक्स से डाईजेस्ट नदारद थे। ऐसे में जब मनीष गुप्ता डाइजेस्ट कम दामों में लेकर आये तो एक बार लेना बनता था। और इसलिए डोगा की यह डाईजेस्ट को मँगवा लिया।
अगर राज कॉमिक्स के डाईजेस्ट पढ़ते आये हैं तो जानते होंगे कि हर किरदार के डाईजेस्ट को एक नंबर दिया गया होता है। यह डोगा का 19वाँ डाईजेस्ट है। डोगा के इस डाईजेस्ट में ‘हे राम’, ‘टॉर्चर’ और ‘जलियाँवाला’ नामक कॉमिक एकत्रित किये गए हैं। कॉमिक बुकों की कहानी क्या है ये तो नहीं पता लेकिन डोगा मेरा पसंदीदा किरदार है तो मज़ा तो आएगा ही इतना पता है।
ये कॉमिक बुक मैंने ऊमाकार्ट नाम के सेलर से मँगवाए थे लेकिन आप दूसरे सेलर से मँगवाए तो बेहतर रहेगा क्योंकि उनकी सर्विस से मुझे थोड़ी असंतुष्टि हुई थी।
कॉमिक बुक लिंक: शक्ति कॉमिक्स | राज कॉमिक्स
शब्दगाथा प्रकाशन से जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा की दो पुस्तकें आ चुकी हैं। चूँकि जनप्रिय लेखक की लेखनी मुझे पसंद आती है तो सोचा उनका एतिहासिक उपन्यास भी पढ़े जाने चाहिए। इसलिए शब्दगाथा से इस बार यह दो पुस्तकें मँगवा ही ली हैं। यह पुस्तकें निम्न हैं:
पापी धर्मात्मा
पापी धर्मात्मा में जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा के दो ऐतिहासिक उपन्यास इकट्ठा किए गए हैं। इसमें मौजूद पहला उपन्यास पापी धर्मात्मा है और दूसरा उपन्यास शहजादी गुलबदन है।
पापी धर्मात्मा औरंगजेब के वक्त की कहानी है। यह एक ऐसे जासूस की कहानी है जो आगे जाकर योगी बन जाता है। इस उपन्यास के माध्यम से लेखक ने औरंगजेब की दमनकारी नीतियों को भी उघाड़ा है।
शहजादी गुलबदन की बात की जाए तो यह अकबर के वक्त की कहानी बतलाता है। यह उपन्यास एक कथा की शक्ल में जिसे राजेश श्रीनगर के एक होटल में बैठा अपने साथियों को सुना रहा है। बताता चलूँ ऐसा ही एक उपन्यास विषकन्या भी है जिसमें भी राजेश द्वारा एक ऐतिहासिक कहानी सुनाई जाती है। विषकन्या भी मेरे पास मौजूद है।
पुस्तक लिंक: अमेज़न
गजनी का तूफान
मई में साहित्य विमर्श का नवीन सेट भी आया था। अब चूँकि मैंने इसकी सब्स्क्रिप्शन भी ले रखी है तो सेट की तीनों किताबें ही मेरे पास पहुँच गई थीं। यह तीन किताबें निम्न हैं:
जादूगरनी
जादूगरनी लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा रचित सुनील शृंखला का लिखा उपन्यास है। यह उपन्यास प्रथम बार 1983 में प्रकाशित हुआ था और अब साहित्य विमर्श द्वारा इसे पुनः प्रकाशित किया गया है। सुरेन्द्र मोहन पाठक के कई उपन्यास आउट ऑफ प्रिन्ट चल रहे हैं जिन्हें उनके पाठक कई बार ऊँचे दामों में खरीदने के लिए मजबूर हो जाते थे। अब चूँकि अलग-अलग प्रकाशन से उनके उपन्यास आ रहे हैं तो उनके पाठक वाजिब कीमत अदा करके इन्हें ले सकते हैं। वहीं मेरे जैसे नये पाठक के लिए भी यह सही है क्योंकि हमें भी इनके पुराने उपन्यास मिलते नहीं थे और इनकी हद से ज्यादा कीमत हम लोग दे नहीं पाते थे।
पुस्तक लिंक: अमेज़न | साहित्य विमर्श
उलझन बुलझन प्यार
उलझन बुलझन प्यार भुवनेश्वर उपाध्याय द्वारा लिखा हुआ उपन्यास है। इससे पहले उनका उपन्यास महाभारत के बाद भी आया था जो कि काफी प्रचलित हुआ था। यह शीर्षक से प्रेम कहानी तो लगती है लेकिन विवरण से पढ़कर लगता है कि उसके अतिरिक्त भी इसमें और कुछ मौजूद है।
किताब परिचय
कभी-कभी आँखों के सामने अचानक कुछ ऐसा घटित हो जाता है जो सोचने पर मजबूर कर देता है कि ऐसा आखिर हुआ क्यों? ये प्रश्न केवल मस्तिष्क में ही नहीं उठता, बल्कि कहीं न कहीं समाज और उसके बनाये रिश्तों को भी कटघरे में खड़ा कर देता है, और निर्देशित करता है कि जो है उसके बारे में पुनः सोच और व्यवहार, कर्तव्यों के निर्धारण से पहले व्यक्तियों और परिस्थितियों को भी परिभाषित करो, वरना कोई भी घुटता और पीड़ा महसूस करता हृदय विद्रोही होकर अपने रिश्तों को नकार देगा।
उलझन बुलझन प्यार की कहानी ऐसे ही एक कठोर, मगर नग्न यथार्थ का भावनात्मक और संवेदनशील तानाबाना है जिसमें रिश्तों के मध्य प्रेम और विद्रोह का उलझाव केवल जीवन को ही जटिल नहीं बनाता, बल्कि कटुताएँ बढ़ाकर जीवन में रेतीली शुष्कता भी पैदा कर देता है। कभी-कभी विश्वासों से उपजी धारणाओं के कारण भी लोग शुष्कता ओढ़ लेते हैं, किंतु भीतर रची बसी भावनाओं की नमी से भी इनकार नहीं किया जा सकता इसलिए इसमें कुछ ऐसे ही भावनात्मक और मानसिक परिवर्तनों की झलक भी दिखाई देती है।
पुस्तक लिंक: अमेज़न | साहित्य विमर्श
अँधेरों का संगतराश
‘अँधेरों का संगतराश’ लेखक संजय अग्निहोत्री का लिखा हुआ उपन्यास है। यह उनका चौथा उपन्यास है। इससे पहले लेखक ‘अकेला अंग्रेज‘, ‘झूठे नाते‘, ‘जो दिल की तम्मना‘ है नामक उपन्यास भी लिख चुके हैं। अँधेरों का संगतराश के शीर्षक ने तो मुझे आकर्षित किया ही साथ में इसने भी किया कि उपन्यास के केंद्र में मूर्तिकार है। अब देखना है कि उपन्यास बन कैसा पड़ा है।
पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श | अमेज़न
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तो यह थी वो किताबें जो मई 2022 के माह में मेरे संग्रह में जुड़ी हैं। यह पढ़ी कब जाएँगी ये तो मैं नहीं जानता लेकिन इन्हें पाकर खुशी बहुत हुई है।
क्या आपने भी मई माह में कुछ किताबें मँगवाई हैं? वह किताबें कौन सी थीं? बताइएगा जरूर।