जून जुलाई का महीना गुजरे हुए वैसे तो काफी वक्त गुजर चुका है लेकिन फिर भी मैं चाहता था कि इन दो महीनों में पढ़ी गयी रचनाओं का संक्षिप्त परिचय दुई बात के पाठकों को दूँ। पुस्तकों से मुझे प्यार है और उनके विषय में बातचीत करने का कोई भी मौका मैं नहीं छोड़ता हूँ।
फिर यह माहवार ब्योरे लिखना भी मुझे काफी भाता है। एक तो एक ही पोस्ट में संक्षिप्त में कई रचनाओं पर बात करने को मिल जाता है और दूसरा ये उम्मीद रहती है कि हो सकता है इस ब्योरे से कोई पुस्तक प्रेमी प्रेरणा ले और जिन पुस्तकों ने मुझे आनंद दिया है वह भी उनके पृष्ठों में खोकर उसी आनंद की अनुभूति कर सके। मुझे बाकी पुस्तक प्रेमियों का तो नहीं पता लेकिन मेरे द्वारा साझा की गयी पुस्तक को अगर कोई व्यक्ति पढ़ता है और उसे वह पसंद आती है तो एक अलग सी खुशी मुझे भी होती है। ऐसा लगता है जैसे आपके किसी अपने की परीक्षा रही हो और वह उसमें सफल हो गया है। यदा कदा ऐसा भी होता है जब मेरी पसंद से किसी को इत्तेफाक नहीं होता है तब यकीन जानिए बहुत दुख भी होता है। शायद यह इसलिए है क्योंकि पढ़ते हुए उस पुस्तक को हम आत्मसात कर लेते हैं और वह हमारा एक हिस्सा बन जाता है। क्या आपको भी ऐसा लगता है? मुझे बताइएगा जरूर।
वैसे तो मैं पहले ऐसे ब्योरे मैं एक बुक जर्नल में ही प्रकाशित करता था लेकिन जबसे उसे एक साहित्य से जुड़ी एक ई पत्रिका बनाने का विचार आया है तो ऐसे व्यक्तिगत लेखों को दुईबात में ही प्रकाशित करने का फैसला कर लिया है। समीक्षाएँ, साहित्यिक खबरें, पुस्तक अंश और लेख ही उधर प्रकाशित कर रहा हूँ।
खैर, वापिस किताबों पर आयें तो जून के माह में मैंने छः रचनाएँ पढ़ी और जुलाई के महीने में बारह रचनाएँ पढ़ी थीं। इन रचनाओं में भाषा के हिसाब से देखूँ तो केवल एक रचना अंग्रेजी की थी और बाकी सभी हिन्दी की ही थी। इन रचनाओं में तीन कहानी संग्रह थे, पाँच उपन्यास थे , तीन लघु-उपन्यास थे, एक उपन्यासिका थी और पाँच कॉमिक बुक्स थी। मेरी कोशिश रहती है कि हर तरह की विधा की किताबें पढ़ सकूँ। हाँ, हाल में मैंने देखा है मैं कथेतर साहित्य कम ही पढ़ रहा हूँ। इन दो माह में भी ऐसा ही हुआ है। और अब मुझे लग रहा है कि मुझे कथेतर साहित्य की संख्या में इजाफा करना ही पड़ेगा। वरना कथेतर के नाम पर मैं केवल ब्लॉग पोस्ट ही पढ़ पा रहा हूँ। उम्मीद है आने वाले वक्त में कथेतर पर भी ध्यान दिया जाएगा।
चलिए अब ज्यादा देर न करते हुए किताबों पर आते हैं।
जून के माह में पढ़ी हुई रचनाएँ
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जून 2021 में पढ़ी गयी पुस्तकें |
ब्लैकमेलर की हत्या – सुरेन्द्र मोहन पाठक (उपन्यास)
ब्लैकमेलर की हत्या
सुनील शृंखला का उपन्यास है। लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक का किरदार सुनील कुमार चक्रवर्ती ब्लास्ट नाम के अखबार में एक खोजी पत्रकार है। उसने काफी पेचीदा मसले सुलझाए हैं और इस कारण कई बार लोग उसकी मदद हासिल करने उसके पास पहुँच जाते हैं। ब्लैकमेलर की हत्या भी एक ऐसा उपन्यास है जिसमें दीवानचंद नाम का व्यक्ति सुनील के पास अपनी एक समस्या लेकर पहुँचता है। उसकी समस्या क्या है और सुनील उसे कैसे सुलझाता है यही उपन्यास का कथानक बनता है। उपन्यास रोचक है और इसका अंत आपको चौंका देता है।
इस उपन्यास में सुनील पत्रकार कम एक डिटेक्टिव की भूमिका में ज्यादा दिखाई देता है। वहीं उपन्यास की खासियत यह है कि इसमें सुनील अपने शहर राजनगर से बाहर विशालगढ़ जाकर तहकीकात करता दिखता है।
उपन्यास मुझे पसंद आया। मेरी विस्तृत समीक्षा आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
समीक्षा: ब्लैकमेलर की हत्या
पुस्तक लिंक: किंडल
यह भी पढ़ें: उपन्यास ब्लैकमेलर की हत्या का एक रोचक अंश
बाँकेलाल का जाल (कॉमिक बुक)
मैंने काफी पहले बाँकेलाल डाईजेस्ट 11 लिया था जिसमें बाँकेलाल के छः कॉमिक बुक एक साथ संकलित थे। यदा कदा मैं इन्हे पढ़ता रहता हूँ। बाँकेलाल का जाल इसी संकलन में संकलित पाँचवा कॉमिक बुक है।
यह एक शृंखला का कॉमिक है जिसमें बाँकेलाल और विक्रम सिंह विशालगढ़ की तलाश में भटक रहे हैं और इस दौरान वो कई राज्यों में पहुँचते हैं और अलग-अलग मुसीबतों से दो चार होते हैं।
बाँकेलाल का जाल में बान्केलाल और विक्रम सिंह राजा मुद्रिका देव के राज्य भी पहुँच गए हैं। राजा के पास एक अंगूठी है जिससे वो किसी भी जीव पर काबू पा सकता है। इस अंगूठी को देख बाँकेलाल इसे पाने का विचार बना लेता है और फिर जो होता है वह कथानक बनता है। चूँकि यह बाँकेलाल का कॉमिक है तो इसमें हास्य भरपूर है और डायलॉग आपको गुदगुदाते हैं। कॉमिक बुक में बाँकेलाल कई तरह के दुश्मनों जैसे भेड़ की खाल में छुपा भेड़िया, राक्षस, महाजीव(डायनासौर) से जूझता दिखता है जो हास्य के साथ कथानक में रोमांच भी पैदा कर देता है। कॉमिक मुझे पसंद आया।
बाँकेलाल का जाल की विस्तृत समीक्षा आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
आज, कल और परसों – बिमल मित्र (लघु-उपन्यास)
आज कल और परसों बिमल मित्र के रचना संग्रह चतुरंग में मौजूद लघु-उपन्यास है। चतुरंग में बिमल मित्र की चार रचनाएँ संकलित की गयी हैं। आज कल और परसों सुशांत सानयाल की कहानी है जो कभी बहुत प्रसिद्ध लेखक हुआ करता था। लोगों को लगता था वह काफी नाम कमाएगा लेकिन फिर उसने लिखना छोड़ दिया और लोग उसे भूलने लगे।
कई बार सफल लोगों की कथनी और करनी में फरक होता है। वहीं कई बार लोग लोग सफलता तो प्राप्त कर तो लेते हैं लेकिन उसे संभाल नहीं पाते हैं। कई बार सफल होते ही उनके पैर जमीन पर नहीं टिकते हैं और वह अपने सच्चे हितेषियों को दूर कर चाटुकारों से घिर जाते हैं। यही सब लघु-उपन्यास में देखने को मिलता है। लघु उपन्यास रोचक है और आपको बांध कर रखता है।
आज, कल और परसों की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
अनहोनी – चन्द्रप्रकाश पाण्डेय (लघु-उपन्यास)
अनहोनी चन्द्रप्रकाश पाण्डेय का लघु-उपन्यास है। उपन्यास के केंद्र में अनिरुद्ध पाठक है जो कि एक प्रसिद्ध अपराध कथा लेखक है। अनुराग अस्थाना उसका वो किरदार है जिसने उसे यह मकबूलियत दिलाई थी लेकिन अब अनुराग अस्थाना ही उसका जान का दुश्मन बन गया था। उसकी ज़िंदगी में कुछ ऐसी हादसे हुए थे जिसका संबंध सीधा अनुराग आस्थान से था। क्या ये अनिरुद्ध का वहम था या फिर कोई परलौकिक शक्ति उसके पीछे पड़ी थी?
अनहोनी एक परालौकिक रहस्यकथा है जो शुरू से लेकर आखिर तक आपका मनोरंजन करता है। यह लघु-उपन्यास मुझे काफी पसंद आया।
अनहोनी की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
अनोखा दोस्त – सतीश डिमरी (कहानी संग्रह)
अनोखा दोस्त सतीश डिमरी की पाँच कहानियों का संग्रह है। यह कहानियाँ माँ की ममता, सिपाही की गाथा, एक पेड़ का रहस्य, अनोखा दोस्त, एक साया सी हैं। कहानियों के शुरुआत में लेखक ने बताया कि यह कहानियाँ उनके लेखकीय जीवन की शुरुआत की हैं और यह चीज कहानियों में झलकती है। कहानियों के कॉन्सेप्ट तो अच्छे हैं लेकिन इन्हे और बेहतर तरीके से लिखा जा सकता था।
अनोखा दोस्त की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर पढ़ी जा सकती है:
यू ब्लडी शिट पंजाबी – लोकेश गुलयानी (कहानी संग्रह)
यू ब्लडी शिट पंजाबी लेखक लोकेश गुलयानी की दस कहानियों का संग्रह है। इन दस कहानियों में लेखक ने अपने आस पास के जीवन को खूबसूरती से दर्शाया है। अलग अलग परिवेश को लिखी गयी यह कहानियाँ अलग अलग तरह के लोगों से पाठकों को मिलवाती हैं। संग्रह मुझे पसंद आया। इसे एक बार पढ़ा जा सकता है।
जुलाई के माह में पढ़ी हुई रचनाएँ
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जुलाई 2021 में पढ़ी गयी रचनाएँ |
भूतों की टोली (कॉमिक बुक)
विशालगढ़ की तलाश में भटकते बाँकेलाल और विक्रम सिंह इस बार प्रसन्न नगर में पहुँच जाते हैं जहाँ राक्षसों से लेकर भूत उनका इन्तजार कर रहे होते हैं। बाँकेकाल के कुटिल दिमाग में यहाँ क्या चाल आती है और उसके साथ कर बुरा तो हो भला किस प्रकार चरितार्थ होता है यह देखना रोचक रहता है।
भूतों की टोली की विस्तृत समीक्षा आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
चाल पे चाल – अमित खान (उपन्यास)
चाल पे चाल
करण सक्सेना शृंखला का उपन्यास है। करण सक्सेना अमित खान का सबसे मकबूल पात्र है जिसे लेकर उन्होंने काफी सारे उपन्यास लिखे हैं। भारतीय सेना अध्यक्ष दामोदर सिंह डबराल जब विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के चलते पाकिस्तान द्वारा कैद कर लिए जाते हैं तो उनको छुड़ाने के लिए करण सक्सेना को पाकिस्तान की धरती पर भेजा जाता है। पर मामला इतना सीधा नहीं है जितना कि दिख रहा है। कई चीजें ऐसी हैं जो जैसी दिख रही हैं वैसी नहीं है और करण और उसकी टीम को इन चीजों से पार पा कर अपने लक्ष्य तक पहुँचना है।
चाल पे चाल एक रोचक उपन्यास है। लेखक ने एक अंग्रेजी फिल्म व्हेयर ईगल्स डैयर का भारतीयकरण कर पाठकों को ऐसा कथानक परोसा है जो उनका मनोरंजन करने में सफल रहता है। उपन्यास मुझे पसंद आया।
चाल पे चाल की विस्तृत समीक्षा आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
वे दोनों और वह – बिमल मित्र (उपन्यासिका)
वे दोनों और वह बिमल मित्र की उपन्यासिका है जो कि उनकी किताब चतुरंग में संकलित है। यह अटल बिहारी बसु की कहानी है जो कभी कथावाचक का प्रेरणा स्रोत हुआ करता था और जिससे कथावाचक को ही नहीं पूरे बदामतल्ले मोहल्ले को काफी अपेक्षाएँ थी। फिर अटल की ज़िंदगी में कुंतीदेवी और इंदुलता देवी आईं और उसकी ज़िंदगी बदल गयी। लघु-उपन्यास मुझे रोचक लगा।
वे दोनों और वह की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
डॉक्टर हू: विशिंग वेल (Doctor Who Wishing Well) – ट्रेवर बेक्सनडेल (Trevor Baxendale) (उपन्यास)
डॉक्टर हू के एपिसोड मुझे काफी पसंद आते हैं। उनमें विज्ञान गल्प के साथ हॉरर के तत्व भी मौजूद होते हैं। डॉक्टर हु विशिंग वेल डॉक्टर के एक टी वी एपिसोड का ही उपन्यासिकरण है। उपन्यास क्रीटन मेयर नाम के गाँव की कहानी है जहाँ एक पुराना कुआँ है जिसके विषय में गाँव में कई तरह की कहानियाँ प्रचलित हैं। कई लोगों का मानना है वहाँ खजाना है और कई उस कुएं को भूतिया मानते हैं। डॉक्टर हु और मार्था के साथ इस गाँव में पहुँचता है तो पाता है चीजें जैसी दिख रही हैं उससे काफी अलग हैं और अगर जल्द ही कुछ न किया गया तो यह गाँव और फिर पूरे इंग्लैंड के लिए दिक्कत का बायस बन सकती हैं। कहानी रोचक है और आपका भरपूर मनोरंजन करती है। मुझे तो यह काफी पसंद आई।
सुन्दरता की ब्लैकमेलिंग – एस सी बेदी (लघु-उपन्यास)
एस सी बेदी जी के
राजन इकबाल के उपन्यासों के कई किशोर पाठक शैदाई हुआ करते थे। मुझे बदकिस्मती से वयस्क होने पर ही इनके विषय में पता चल पाया। लेकिन जब पता चला तो उपन्यास खरीदने का मन बनाया और जब राज कॉमिक्स की वेबसाईट में इनके दो सेट मिले तो उन्हे खरीद लिया। अब मैं गाहे बगाहे इन्हे पढ़ लेता हूँ।
सुंदरता की ब्लैकमेलिंग भी इसी सेट का किशोर उपन्यास है।
कहानी की शुरुआत माला नाम की एक युवती माला की आत्महत्या से होती है। माला शहर के धनाढ्य व्यक्ति मोहन जयसवाल की पत्नी जिसकी मौत की परिस्थितियाँ जब पुलिस के आईजी को संदिग्ध लगती हैं तो वह इस मामले की जाँच के लिए राजन इकबाल की टीम को लगा देता है। आगे क्या होता है यही कथानक बनता है।
राजन इकबाल शृंखला के उपन्यास मुझे अत्यधिक सरल लगते हैं। शायद इसके पीछे एक कारण यह रहा हो कि ये किशोरों के लिए लिखे जाते थे या फिर कारण यह रहा हो कि लेखक को चूँकि काफी जल्दी जल्दी कथानक लिखने पड़ते थे तो वह इन पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाता था। यह उपन्यास मनोरंजक है लेकिन कहानी अत्यधिक सरल है। आप इसे किशोरों के लिए लिखा हुआ समझकर पढ़ेंगे तो आप इसका ज्यादा लुत्फ लए पाएंगे।
सुंदरता की ब्लैकमेलिंग की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
जाँच अभी जारी है – ममता कालिया (कहानी संग्रह)
जाँच अभी जा रही है ममता कालिया जी की सोलह कहानियों का संग्रह है। मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय जीवन के सरोकारों का खाका उन्होंने इस संग्रह में बाखूबी खींचा है। सभी कहानी पठनीय है और पाठकों को सोचने के लिए काफी कुछ दे जाती हैं। पहली, उमस, जाँच अभी जारी है, इक्कीसवीं सदी, शॉल इत्यादि संग्रह मे मेरी कुछ पसंदीदा कहानियाँ थी।
कातिल कैमरा – विकास सी एस झा (कहानी )
कातिल कैमरा विकास सी एस झा की कहानी है। किंडल अनलिमिटेड की सदस्यता लेना का फायदा ये है कि नये नये लेखकों के कार्य पढ़ने का मौका मिल जाता है। यह विराज माथुर नामक फोटो जर्नलिस्ट की कहानी है जिसके हाथ एक ऐसा कैमरा लग जाता है जिससे फोटो खींचते ही उस व्यक्ति का कत्ल हो जाता है जिसकी फोटो खींची गयी है। कहानी का कान्सेप्ट मुझे पसंद आया। हाँ इसे विस्तार देते तो बेहतर रहता। बहरहाल इस कहानी को पढ़ने के बाद मैं उनके लिखे उपन्यास जरूर पढ़ूँगा।
कातिल कैमरा की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
चट्टानों में आग – इब्ने सफ़ी (उपन्यास)
लेखक इब्ने सफ़ी का अपराध साहित्य की दुनिया में अपना एक अलग मुकाम है। उनके उपन्यास मैं यदा कदा पढ़ लेता हूँ। चट्टानों में आग उनका
इमरान शृंखला का उपन्यास है जिसे हार्पर हिन्दी द्वारा पुनः प्रकाशित किया गया था। अली इमरान शृंखला के उपन्यासों में हास्य भी भरपूर रहता है और चट्टानों में आग भी इस मामले में निराश नहीं करता है। यह एक रोचक रोमांचकथा है जिसे पढ़कर मेरा पूरा मनोरंजन हुआ।
चट्टानों में आग की विस्तृत समीक्षा आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
विराट 7 (कॉमिक बुक)
विराट 7
विराट शृंखला का कॉमिक बुक है। विराट छः में हम देखते हैं कि प्रचंडदेव की माया से लड़ते-लड़ते विराट जलनगरी पहुँच जाता है और उसका दोस्त नटवर उससे बिछड़ जाता है। इस कॉमिक में हमे पता चलता है कि नटवर के साथ आगे जाकर क्या होता है। वहीं कथानक में कई किरदारों के बीच समीकरण बनते बिगड़ते दिखते हैं। इस शृंखला के दूसरे कॉमिक बुक की तरह यह भी मुझे पसंद है।
विराट 7 की विस्तृत समीक्षा आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़िए:
ऑपरेशन ए ए ए – मोहन मौर्य (उपन्यास)
ऑपरेशन ए ए ए मोहन मौर्य का दूसरा उपन्यास है। यह उपन्यास उनके पहले उपन्यास
एक हसीन कत्ल की तरह ही राजनगर नाम के काल्पनिक शहर में बसाया गया है। कहानी के केंद्र में अनिल, असगर और अजित हैं जो ठग हैं और भ्रष्टाचारियों को ठगने का कार्य करते हैं। अपनी एक ठगी के सिलसिले में वह एक ऐसी साजिश से दो चार हो जाते हैं जो कि राजनगर को फिर से उसी आग में झोंकने के लिए की गयी थी जिसमे कभी उनका परिवार तबाह हुआ था और वो तीनों अनाथ हो गए थे। ऑपरेशन ए ए ए दो भागों में फैले हुए कथानक का पहला भाग है और एक भूमिका के रूप में पाठक का भरपूर मनोरंजन करता है। उपन्यास मुझे पसंद आया और इसने मुझे दूसरा भाग पढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
ऑपरेशन ए ए ए की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
समीक्षा: ऑपरेशन ए ए ए
लालची मौत फ्रीलांस टैलेंटस द्वारा प्रकाशित किया गया ई कॉमिक बुक है। करन वर्मा एक सरकारी मुलाजिम था जिसे हॉस्पिटल जब हॉस्पिटल में होश आया तो उसके साथ कई तरह की परालौकिक घटनाएँ होने लगती है। ये घटनाएँ क्यों हो रही हैं और इसके पीछे क्या कारण है यही कॉमिक का कथानक बनता है। लालची मौत एक हॉरर कॉमिक है जो दर्शाता है कि किस तरह कई बार लोग लालची होकर किस तरह अपनी इंसानियत खो देते हैं। कॉमिक बुक के पीछे जो विचार था वो मुझे पसंद आया था। हाँ, कहानी के प्रस्तुतिकरण पर थोड़ा और काम किया जा सकता था।
विराट 5 (कॉमिक बुक)
विराट राज कॉमकिस द्वारा प्रकाशित
कॉमिक बुक शृंखला है। यह शृंखला विराट नाम के धारवाहिक का कॉमिक रूपांतर है। विराट जब सुंदरगढ़ के राज्य में आकर नगरप्रमुख बना तो वह राज्य के सेनापति कालभैरव की नजर में खटकने लगा। कालभैरव ने इस बार भी राजा विजयसिंह को यह यकीन दिलाने में कामयाबी हासिल कर दी थी कि विराट ने न्याय प्रमुख की बेटी यशोधरा का अपहरण कर दिया था। इसी कारण अब सुंदरगढ़ के सैनिक भी विराट की तलाश में थे। विराट अपने ऊपर लगे दाग को मिटाने के लिए क्या कदम उठाता है यही इस कॉमिक में दिखता है। कॉमिक बुक रोचक है और अगले भाग के प्रति उत्सुकता जगाने का कार्य करता है। मुझे पसंद आया।
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तो यह थी जून जुलाई 2021 में मेरे द्वारा पढ़ी गयी रचनाएँ। अक्सर मैं संख्याओं के लिए नहीं पढ़ता हूँ और न ही पढ़ने में कोई रेस है लेकिन माह के अंत में ऐसा लेख लिखने का भी अपना मज़ा है। फिर एक ब्लॉगर को कंटेन्ट भी तो चाहिए होता है और यह एक ऐसा कंटेन्ट मुझे देता है जिसे लिखने में मुझे बहुत मज़ा आता है।
क्या आपको भी किताबें पढ़ना और उनके विषय में लोगों को बताना पसंद है? हाल फिलहाल में आपने क्या पढ़ा है? मुझे बताना न भूलिएगा। क्या पता मुझे किसी नई दुनिया में जाने का अवसर इसी बहाने मिल जाए।
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बहुत बढिया , happy reading🎊🎊🎉🎉
जी आभार….
बहुत दिनो़ के बाद बहुत सारी बुक्स और कॉमिक्स के बारे में पढ़ कर अच्छा लगा । बुक्स पढ़ने की आदत इन दिनों छूट सी गई है । इस पोस्ट ने प्रेरित किया कि वापस लौटना चाहिए किताबों की दुनिया में । आभार आपका इस सुन्दर पोस्ट हेतु ।
जी आभार मैम। मेरा भी पढ़ना काफी हद तक छूट चुका है इसलिए हल्का फुल्का पढ़ता रहता हूँ। अच्छा लगा जानकर कि इस पोस्ट ने आपको पढ़ने के लिए प्रेरित किया है। आपके ब्लॉग पर आपके द्वारा पढ़ी गयी पुस्तकों के विषय में पढ़ने का इंतजार रहेगा।
आप दुई बात पर बराबर आया कीजिए विकास जी क्योंकि मेरे लिए अब 'एक बुक जर्नल' पर आने का ज़रिया केवल मेरा मोबाइल ही रह गया है। वजह – हमारे कार्यालय के कम्प्यूटर विभाग द्वारा समय-समय पर कुछ लिंक ब्लॉक कर दिए जाते हैं जिसमें दुर्भाग्य से हाल ही में 'एक बुक जर्नल' भी आ गया है जिस पर पहले मैं अपने कार्यालय के पीसी पर बैठकर आपके विचारों को पढ़ने एवं पोस्ट पर टिप्पणी करने का काम बड़े आराम से कर लेता था। अब ऐसा केवल दुई बात पर ही कर सकता हूँ। आप न केवल नियमित रूप से विभिन्न श्रेणियों की पुस्तकें (हिंदी और अंग्रेज़ी) दोनों में पढ़ते हैं बल्कि उनके बारे में अपने विचार साझा भी करते हैं; यह एक बहुत-ही अच्छी बात है। मैंने हाल ही में सुरेन्द्र मोहन पाठक, वेद प्रकाश शर्मा और गुलशन नंदा के कुछ पुराने उपन्यास फिर से पढ़े हैं। अब शीघ्र ही पराग डिमरी जी का नया कथा-संकलन और संतोष पाठक जी का कोई उपन्यास पढ़ना है।
That's a lot of books and interesting comic book series, too. I used to write weekly and monthly round ups but I've stopped as I'm not consistent about it.
I also don't read much nonfiction but this year I'm taking a conscious decision to read more nonfiction. I've picked up Atomic Habits by James Clear first.
जी आभार सर… मेरी कोशिश रहेगी इधर नियमित तौर पर लिखते रहने की। यह जानकर दुख हुआ कि एक बुक जर्नल को ब्लॉक कर दिया है। कोई नहीं जब वक्त लगे मोबाईल से ही उधर आते रहिएगा। आपके द्वारा पढे गए उपन्यासों के प्रति आपके विचार पढ़ने की उत्सुकता हो गयी है। जल्द ही उनके प्रति अपने विचार साझा करिएगा। गुलशन नंदा जी को काफी वक्त से पढ़ना चाह रहा था। जल्द ही उनका लिखा कुछ न कुछ पढ़ूँगा। पराग जी की पुस्तक मैंने भी मँगवाई है। जल्द ही शायद पहुँच जाए।
yeah weekly writeups can be daunting . I was also not regular with monthly round-up as it takes a lot of your time but i have found that if you start the post at the starting of the month and keep updating it as you keep finishing the titles then at the end of the month you would have your post ready for publishing. I didn't do this with June and July post but have done it with August post. Let see how that turns out.
Atomic habits look like an interesting read. I'm starting with travelogues as travelling interests me so i guess that would keep my interest in the books.
किताबों को पढना, याद रखना और समीक्षात्मक लिखा लिखना बहुत दुष्कर कार्य है जो अपने किया …
जी आभार.. किताबें मेरी पहली पसंद रही हैं.. लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा..
विकास भाई, सचमुच आजकल किताबे पढ़ना बहुत कम हो गया है। किताबे पढ़ कर उन पर चर्चा भी करना…मान गए आपको। बहुत सुंदर तरीके से सभी किताबो के बारे में लिखा है आपने।
जी आभार मैम..