संस्मरण पौड़ी के #2: और पत्थर बरसने लगे
इन खेतों को देखता हूँ तो इनसे जुड़ी कई यादें मन में ताज़ा हो जाती हैं। एक याद ऐसी भी जब आसमान से पत्थर बरसने लगे थे। यह सब हुआ …
संस्मरण पौड़ी के #2: और पत्थर बरसने लगे Read Moreकिस बात की जल्दी है तू ठहर जरा, बैठ चाय पीते हैं दो बातें करते हैं
इन खेतों को देखता हूँ तो इनसे जुड़ी कई यादें मन में ताज़ा हो जाती हैं। एक याद ऐसी भी जब आसमान से पत्थर बरसने लगे थे। यह सब हुआ …
संस्मरण पौड़ी के #2: और पत्थर बरसने लगे Read Moreखेतों में पतंग कटकर आने का इन्तजार करते बच्चे। फोटो 17 जून 2021 को खींची गई यह पतंग का मौसम है और शाम को पतंग बाजी खूब हो रही है। …
संस्मरण पौड़ी के #1: शक्तिमान – एक किंवदन्ती Read Moreसर्दी का मौसम मुझे हमेशा से पसंद रहा है। शायद मेरा बचपन एक हिल स्टेशन,पौड़ी गढ़वाल, में बीता है तो इस कारण भी सर्दी के मौसम के प्रति मेरा कुछ ज्यादा …
शिशिर ऋतु की कुछ सुखद स्मृतियाँ Read More