तुम क्या समझोगे | ग़ज़ल | विकास नैनवाल 'अंजान'

तुम क्या समझोगे

इस रचना की बात की जाए तो इस रचना की शुरुआत तब हुई थी जब 23 मई 2025 को ये अपना कॉमिक्स ग्रुप नामक व्हाट्सएप ग्रुप में ये बतकही के दौरान लिखी थी। उस समय ग़ज़ल के मकता (आखिरी शेर) से मैं संतुष्ट नहीं था।

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हाइकु #5

 हिंदी हाइकु के विषय में काफी जगह देखा और जो परिभाषा समक्ष आई उससे ज्ञात हुआ कि हिंदी हाइकु 17 अक्षरों और तीन पंक्तियों में लिखी जाने वाली कविता है।  …

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गाँव चलूँगा...! | हिंदी कविता | योगेश मित्तल

गाँव चलूँगा…! | हिंदी कविता | योगेश मित्तल

वरिष्ठ लेखक योगेश मित्तल की पहली कविता व कहानी 1964 में कलकत्ता के सन्मार्ग में प्रकाशित हुई थी। तब से लेकर आजतक वह लेखन क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। कविता, …

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आई छुट्टी – आई छुट्टी | हिन्दी कविता | विकास नैनवाल ‘अंजान’

गर्मियाँ  शुरू हो चुकी हैं और इस वक्त बच्चों की छुट्टियाँ भी पड़ चुकी हैं। चूँकि ये छुट्टियाँ परीक्षाओं के बाद आती हैं तो एक अलग तरह का उत्साह बच्चों में देखने को मिलता है। अपने उन्हीं दिनों को याद करते हुए यह पंक्तियाँ लिखी हैं। उम्मीद है पसंद आएगी। 

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अकेले हैं इधर, बुलाएँ हम किसको

अकेले हैं इधर, बुलाएँ हम किसको Image by Pam Patterson from Pixabay जी रहे हैं कैसे ये बताएँ हम किसको घाव अपने ये दिखाएँ हम किसको रात है काली, और दिखता कुछ …

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धरती माँ ने पकड़े कान | हिन्दी कविता | योगेश मित्तल

Image by Papa Smurf from Pixabay वरिष्ठ लेखक योगेश मित्तल की पहली कविता व कहानी 1964 में कलकत्ता के सन्मार्ग में प्रकाशित हुई थी। तब से लेकर आजतक वह लेखन …

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