ग़मों की गठरी सीने में दबाकर लाया हूँ | ग़ज़ल | विकास नैनवाल 'अंजान'

लाया हूँ

ग़मों की गठरी सीने में दबाकर लाया हूँ,अश्कों को अपने,  तबस्सुम में छुपाकर लाया हूँ सुना, है बिकती इस जहाँ में हर एक चीज,सो जज़्बात अपने, मैं आज उठाकर लाया …

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बता रक्खा है | ग़ज़ल | विकास नैनवाल 'अंजान'

बता रक्खा है | विकास नैनवाल ‘अंजान’

काम काज को धता बता रक्खा है,जनता को सरकार से खफा बता रक्खा है जमा के मजमा ज़माने भर कानेता ने खुद को खुदा बता रक्खा है, सी कर ज़बाँ …

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मैं ज़बाँ से कुछ न कहता होऊँ मगर | विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं ज़बाँ से कुछ न कहता होऊँ मगर

मैं ज़बाँ से कुछ न कहता होऊँ मगर,तू  न सोच कि दिल में मेरे जज्बात नहीं, कहने को तो कह दूँ मैं हाल ए दिल,पर अभी सही वक्त और हालात …

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