ये यकीं हैं मुझे

ये यकीं हैं मुझे | विकास नैनवाल 'अंजान' | हिंदी कविता

फिर से मिलेंगे हम,
ये यकीं है मुझे,
वो वक्त और मोड़,
शायद कोई और होगा,
चेहरे पर पड़ चुकी होंगी झुर्रिया,
बालों से झाँकने लगेंगी रजत लटें,

फिर से मिलेंगे हम,
ये यकीं है मुझे,
मैं ऐसे ही देखा करूँगा तुझे तब भी,
तेरे कपोल मुझे देख हो जाया करेंगे सुर्ख,
मेरे दिल ऐसे ही लगेगा धड़कने
जैसे था धड़का तब जब देखा था तुझे पहली बार,

फिर से मिलेंगे हम ,
ये यकीं है मुझे,
कुतर चुके होंगे समय के पैने दाँत,
उन बेड़ियों को जिन्होंने किया था तुझे कैद,
खत्म हो गए होंगे वो रिश्ते,
जो पिघले न थे तेरे आँसुओं से,
आखिर हो चुके होंगे हम आज़ाद,
अपने अपने पिंजरों से

फिर से मिलेंगे हम,
ये यकीं है मुझे!!

© विकास नैनवाल  ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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