फिर से मिलेंगे हम,
ये यकीं है मुझे,
वो वक्त और मोड़,
शायद कोई और होगा,
चेहरे पर पड़ चुकी होंगी झुर्रिया,
बालों से झाँकने लगेंगी रजत लटें,
फिर से मिलेंगे हम,
ये यकीं है मुझे,
मैं ऐसे ही देखा करूँगा तुझे तब भी,
तेरे कपोल मुझे देख हो जाया करेंगे सुर्ख,
मेरे दिल ऐसे ही लगेगा धड़कने
जैसे था धड़का तब जब देखा था तुझे पहली बार,
फिर से मिलेंगे हम ,
ये यकीं है मुझे,
कुतर चुके होंगे समय के पैने दाँत,
उन बेड़ियों को जिन्होंने किया था तुझे कैद,
खत्म हो गए होंगे वो रिश्ते,
जो पिघले न थे तेरे आँसुओं से,
आखिर हो चुके होंगे हम आज़ाद,
अपने अपने पिंजरों से
फिर से मिलेंगे हम,
ये यकीं है मुझे!!
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
भावपूर्ण सृजन ।
जी आभार मैम।