आज कल लिखना काफी कम हो गया है। कुछ दिनों से मन में कुछ खदबदा रहा था। आज इस रूप में बाहर आया है। आप भी पढ़ें
रहे मेरे अब पहले से हालात कहाँ,
मिलते हैं अब हमारे खयालात कहाँ
दिखती थी तू तो कभी जी जाता था मैं,
दिखने पर हैं उठते, अब वो जज़्बात कहाँ
मिल तो लेते ही हैं हम अब भी, मगर
होती पहली सी वो अब मुलाकात कहाँ
थी मुहब्बत कभी हमने भी की ‘अंजान’
रही तुमको भी थी, इसमें है मुबालात कहाँ
विकास नैनवाल ‘अंजान’ (15/12/2025)
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