अँधेरी रात | हिंदी कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

अँधेरी रात | हिंदी कविता | विकास नैनवाल ‘अंजान’

वो गहरी अँधेरी रात थी ,केवल मेरी तन्हाईयाँ मेरे साथ थी ,हम बैठे हुए घूर रहे थे अपने टीवी को ,केवल हमारी परछाई हमारे साथ थी , अचानक हमने सुनी …

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चलो महफ़िल जमाते हैं | हिंदी कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

चलो महफ़िल जमाते हैं

चलो महफ़िल जमाते हैं,थोडा हँसते हैं ,इठलाते हैं ,चलो महफ़िल जमाते हैं, दिन भर की थकान को ,दोस्ती के दरिये में डुबाते  हैं,चलो महफ़िल जमाते है, अपने अपने दिन के किस्से एक …

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