
तुम क्या समझोगे
इस रचना की बात की जाए तो इस रचना की शुरुआत तब हुई थी जब 23 मई 2025 को ये अपना कॉमिक्स ग्रुप नामक व्हाट्सएप ग्रुप में ये बतकही के दौरान लिखी थी। उस समय ग़ज़ल के मकता (आखिरी शेर) से मैं संतुष्ट नहीं था।
तुम क्या समझोगे Read Moreकिस बात की जल्दी है तू ठहर जरा, बैठ चाय पीते हैं दो बातें करते हैं
इस रचना की बात की जाए तो इस रचना की शुरुआत तब हुई थी जब 23 मई 2025 को ये अपना कॉमिक्स ग्रुप नामक व्हाट्सएप ग्रुप में ये बतकही के दौरान लिखी थी। उस समय ग़ज़ल के मकता (आखिरी शेर) से मैं संतुष्ट नहीं था।
तुम क्या समझोगे Read Moreअकेले हैं इधर, बुलाएँ हम किसको Image by Pam Patterson from Pixabay जी रहे हैं कैसे ये बताएँ हम किसको घाव अपने ये दिखाएँ हम किसको रात है काली, और दिखता कुछ …
अकेले हैं इधर, बुलाएँ हम किसको Read More