गजब ढाते हो
खुद ही ज़ख्म देके मरहम लगाते हो ,मेरी जान क्यूँ मुझ पर गजब ढाते हो , मेरी हालत देख कर जब तुम मुस्कुराते हो ,पता है कितना मुझ पर गज़ब …
गजब ढाते हो Read Moreकिस बात की जल्दी है तू ठहर जरा, बैठ चाय पीते हैं दो बातें करते हैं
खुद ही ज़ख्म देके मरहम लगाते हो ,मेरी जान क्यूँ मुझ पर गजब ढाते हो , मेरी हालत देख कर जब तुम मुस्कुराते हो ,पता है कितना मुझ पर गज़ब …
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जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरेन जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे , सोचता हूँ ये क्या हो रहा हैं मुझे ,क्या नाम है इस मर्ज का मेरे , …
ख्याल और मुस्कराहट Read More
वो गहरी अँधेरी रात थी ,केवल मेरी तन्हाईयाँ मेरे साथ थी ,हम बैठे हुए घूर रहे थे अपने टीवी को ,केवल हमारी परछाई हमारे साथ थी , अचानक हमने सुनी …
अँधेरी रात | हिंदी कविता | विकास नैनवाल ‘अंजान’ Read More
चलो महफ़िल जमाते हैं,थोडा हँसते हैं ,इठलाते हैं ,चलो महफ़िल जमाते हैं, दिन भर की थकान को ,दोस्ती के दरिये में डुबाते हैं,चलो महफ़िल जमाते है, अपने अपने दिन के किस्से एक …
चलो महफ़िल जमाते हैं Read More