घनघोर था अँधेरा, था चहूँ ओर सन्नाटा गहरा
घनघोर था अँधेरा, था चहूँ और सन्नाटा गहराआकाश पे उड़ते चमगादड़ जाने किसका दे रहे थे पहरा,आसमान में छाए थे बादल ,और हमें सुनाई दी कुछ हलचल , अभी खोया …
घनघोर था अँधेरा, था चहूँ ओर सन्नाटा गहरा Read Moreकिस बात की जल्दी है तू ठहर जरा, बैठ चाय पीते हैं दो बातें करते हैं
घनघोर था अँधेरा, था चहूँ और सन्नाटा गहराआकाश पे उड़ते चमगादड़ जाने किसका दे रहे थे पहरा,आसमान में छाए थे बादल ,और हमें सुनाई दी कुछ हलचल , अभी खोया …
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