चलो महफ़िल जमाते हैं | हिंदी कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

चलो महफ़िल जमाते हैं

चलो महफ़िल जमाते हैं,थोडा हँसते हैं ,इठलाते हैं ,चलो महफ़िल जमाते हैं, दिन भर की थकान को ,दोस्ती के दरिये में डुबाते  हैं,चलो महफ़िल जमाते है, अपने अपने दिन के किस्से एक …

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