संस्मरण पौड़ी के #2: और पत्थर बरसने लगे
इन खेतों को देखता हूँ तो इनसे जुड़ी कई यादें मन में ताज़ा हो जाती हैं। एक याद ऐसी भी जब आसमान से पत्थर बरसने लगे थे। यह सब हुआ …
संस्मरण पौड़ी के #2: और पत्थर बरसने लगे Read Moreकिस बात की जल्दी है तू ठहर जरा, बैठ चाय पीते हैं दो बातें करते हैं
इन खेतों को देखता हूँ तो इनसे जुड़ी कई यादें मन में ताज़ा हो जाती हैं। एक याद ऐसी भी जब आसमान से पत्थर बरसने लगे थे। यह सब हुआ …
संस्मरण पौड़ी के #2: और पत्थर बरसने लगे Read More