चलो महफ़िल जमाते हैं

चलो महफ़िल जमाते हैं | हिंदी कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

चलो महफ़िल जमाते हैं,
थोडा हँसते हैं ,इठलाते हैं ,
चलो महफ़िल जमाते हैं,

दिन भर की थकान को ,
दोस्ती के दरिये में डुबाते  हैं,
चलो महफ़िल जमाते है,

अपने अपने दिन के किस्से
एक दूसरे को बतलाते हैं,
चलो  महफ़िल जमाते है,

इस भागती दौड़ती ज़िंदगी में ,
ठहरकर कहीं चाय की  चुस्कियाँ  लगाते है ,
चलो  महफ़िल जमाते हैं,

न जाने ये पल फिर आये न आये,
इनको मिलके साथ बिताते हैं,
चलो महफ़िल जमाते हैं।

-विकास  ‘अंजान’

नोट : copyright  © २०१४ विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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