हाइकु #4

हाइकु 4 | कविताएँ | विकास नैनवाल
Image by brigachtal from Pixabay

कल (8/7/2023) घर से निकला तो बारिश होकर थमी थी। किसी काम से बाहर जाना पड़ा तो मन में कुछ पंक्तियाँ आ गईं। बहुत दिनों से हाइकु विधा में कुछ लिखा नहीं था लेकीन इस बार जो पंक्तियाँ आईं वो इसी विधा में थी। इससे पहले एक हाइकु जून में लिखी थी तो उसे भी इधर ही आखिर में दिया है।

 

 हाइकु क्या है इसके विषय में लोगों के अपने अपने मत हैं। हिंदी हाइकु के बारे में एक परिभाषा जो मिलती है वो है:

हाइकु कविता तीन पंक्तियों में लिखी जाती है। हिंदी हाइकु के लिए पहली पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी में ७ अक्षर और तीसरी पंक्ति में ५ अक्षर, इस प्रकार कुल १७ अक्षर की कविता है। हाइकु अनेक भाषाओं में लिखे जाते हैं; लेकिन वर्णों या पदों की गिनती का क्रम अलग-अलग होता है। तीन पंक्तियों का नियम सभी में अपनाया जाता है। (स्रोत)

मैंने भी ऊपर लिखी इसी परिभाषा के हिसाब से ये लिखीं हैं। उम्मीद है ये छः हाइकु आपको पसंद आएँगी:

(1)

बरसते हैं

नभ से मेघ, जैसे

आँखों से अश्रु

(2)

बरसा पानी

थे बरसे आँसू भी

जाना न कोई

(3)

मिलना उससे

दिखना वर्षा के बाद 

सुरधनु (इंद्रधनुष) का 

(4)

बसंत ऋतु

महकाती धरती

तुम मुझको

(5)

मैं रहा था मैं

हुआ न कभी  हम

यही है ग़म 

(26/06/2023)

–  विकास नैनवाल ‘अंजान’

मेरी अन्य हाइकु आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

हाइकु

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

0 Comments on “हाइकु #4”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *