कमाल है!!

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भीड़ है,
भाड़ है,
दौड़ है,
भाग है,
कितनी जल्दी है,
कमाल है!
कभी इधर,
कभी उधर,
कभी यहाँ
कभी वहाँ
आदमी बेहाल है,
कितनी जल्दी है,
कमाल है!
खाने का,
होश नहीं,
जीने का
ख्याल नहीं,
जवान है,
बीमार है,
कितनी जल्दी है
कमाल है!
रुकता नहीं
थमता नहीं
पूछता नहीं
जाँचता नहीं
इच्छाएं हैं
जो खत्म होती नहीं
मंजिल हैं
जो मिलती नहीं
फिर भी 
कितनी जल्दी है
कमाल है!
जीतता है
पाता है
फिर भी वो खुश नहीं
अब तनाव है
अब अवसाद है
फिर भी
कितनी जल्दी है
कमाल है!

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कवितायें

© विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “कमाल है!!”

  1. इच्छाएं हैं
    जो खत्म होती नहीं
    मंजिल हैं
    जो मिलती नहीं
    फिर भी
    कितनी जल्दी है
    कमाल है!
    बहुत सुन्दर रचना…

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