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# टैग में खोया
@ में फँसा हुआ
वो चाहता है बनाना
अपना
एक संसार
फिर जब पाता है अकेला
खुद को भीड़ में
तस्वीरों की, कमेंट्स की,लाइक्स की
तो हो जाता है
बेकरार!!
सोचता है बैठकर
कि क्या खोया
और क्या पाया
क्यों दौड़ता है काटने को
यह सब
क्यों मिलता नहीं चैन
क्यों लगता है जीना
दुश्वार!!
मेरी दूसरी रचनाएँ निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
ये भी एक नशा है जो आजकल ज्यादा ही लोगों के जेहन में छाया हुआ है
बहुत सही प्रस्तुति
जी सही कहा….ज़िन्दगी के हिस्से को ज़िन्दगी मान लिया जाता है कई बार…
आज का यथार्थ यही है । बहुत सुन्दर सृजन ।
जी आभार, मैम….