सितंबर 2021 बुक हॉल – 1

सितंबर के महीने की बात करें तो इस महीने काफी किताबें खरीद ली। अगर टोटल किताबों की बात करूँ तो सितंबर में ही 25 के करीब मैंने खरीदी होंगी। इनमें कुछ ऐसी थी जिन्हे गंभीर साहित्य के श्रेणी में लोग रखते हैं और काफी कुछ ऐसी जिन्हे लोकप्रिय साहित्य या पोपुलर फिक्शन या लुगदी साहित्य की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन अगर पाठक के रूप में मुझसे पूछे तो किताबों की दो ही श्रेणियाँ होती है एक वो जो आपको जमी और एक वो आपसे राब्ता स्थापित न कर पाई। इसके अलावा सब मन बहलाने की बातें हैं। 

 

सितंबर माह में खरीदी गयी इन किताबों की सबसे रोचक बात ये है कि यह सभी किताबें मेरे बजट के अंदर अंदर आ गयी थीं। आपको यह जानकर शायद अटपटा लगे लेकिन जब से मेरी नौकरी लगी है तब से मैंने किताबों के लिए अलग बजट बनाकर रखा हुआ है। जैसे जैसे तनख्वाह बढ़ी है वैसे वैसे यह बजट 500 रुपये प्रतिमाह से होते हुए 2000 रुपये प्रतिमाह तक पहुँच गया है। अब मैं प्रतिमाह इतने रुपये किताबों के लिए अलग रख देता हूँ। हाँ, अगर किसी महीने मैं इतने की किताबें नहीं खरीदता हूँ तो पैसे को आगे केरीओवर कर देता हूँ जो कि किसी बाद में के महीने में किताब खरीदने के लिए इस्तेमाल हो ही जाते हैं। यानि औसत 2000 तक आ जाता है। सितंबर का महीना भी ऐसा ही था जिसमें मैंने 2000 से ऊपर (350 +335 +1560 = 2245) की किताबें खरीदीं। 

अब इन किताबों के विषय अगर एक साथ बताने लगा तो पोस्ट काफी लंबी हो जायेगी और आप लोग भी पढ़कर बोर हो जाएंगे तो इसलिए मैंने सोचा है तीन भागों में पोस्ट को विभाजित करूँगा और अक्टूबर माह में बीच बीच में एक भाग डाल दिया करूँगा। 

सितंबर बुक हॉल की पहली किश्त में मैं दखल प्रकाश से ली गयी किताबों के विषय में बताऊँगा। फेसबुक में अशोक कुमार पाण्डेय (कश्मीरनामा, उसने गांधी को क्यों मारा, कश्मीर और कश्मीरी पण्डित, इस देश में मिलिट्री शासन लगा देना चाहिए जैसी पुस्तकों के लेखक) ने जब दखल द्वारा दिये जा रहे इस ऑफर की पोस्ट साझा की तो किताबों को लेने का मन बना लिया। दखल प्रकाशन शायद इनका ही प्रकाशन है क्योंकि पहले भी मैं इस प्रकाशन से कुछ किताबें मँगवा चुका था। ऐसे में उनके द्वारा साझा किया गया ऑफर मुझे नजरअंदाज नहीं हुआ और मैंने पुस्तकों को मँगवाने का फैसला कर लिया। 

यह पाँच पुस्तकों का सेट था और दखल प्रकाशन द्वारा यह किताबें 350 रुपये में दी जा रही थी। वहीं किताबें मुफ़्त में डिलीवर हो रही थी। इन किताबों में एक और बात खास थी कि रज़िया सज्जाद ज़हीर, जिनकी शायद एक आध कहानी मैंने किसी पत्रिका में पढ़ी थी, को छोड़कर बाकि सब रचनाकार मेरे लिए नए थे। ऐसे में नए रचनाकारों को पढ़ने के लिए मेरे लिए एक मौका था जिसे मैं जाने देना नहीं चाहता था। 

इस सेट में जो किताबें आईं वो निम्न हैं:

सितंबर 2021 बुक हॉल - 1
सितंबर 2021 में आई पहली खेप

नमक और अन्य कहानियाँ 

नमक तथा अन्य कहानियाँ रज़िया सज्जाद ज़हीर की लिखी ग्यारह कहानियों का संग्रह है। रज़िया सज्जाद ज़हीर उर्दू की जानी मानी लेखिका रही हैं। मूलतः उर्दू में लिखी इन कहानियों को नूर ज़हीर ने हिंदी में अनूदित किया है। कहानियों का सम्पादन सुजाता द्वारा किया गया है। संग्रह में संकलित कहानियाँ वो हैं जो रजिया सज्जाद ज़हीर ने 1948 से 60 के बीच लिखीं थीं। इस संग्रह में संकलित कहानियाँ निम्न है:
नमक, सुतून, दो दिल एक दास्तान, वह शोले, बड़ा सौदागर कौन?, नीच, चीजों की पपड़ी, बादशाह, यस सर, दोशालाअँधेरा
पुस्तक लिंक: अमेज़न

खिलंदड़ ठाट 

खिलंदड़ ठाट लेखक विजय गौड़ का कहानी संग्रह है। विजय गौड़ ब्लॉगर भी है और लिखूँ यहाँ वहाँ नाम से अपना एक ब्लॉग भी चलाते हैं।   ‘सबसे ठीक नदी का रास्ता’ (कविता संग्रह), ‘फाँस’ (उपन्यास), भेटकी (उपन्यास) इत्यादि उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकें हैं। इस संग्रह में उनकी छः कहानियों को संकलित किया गया है।  संग्रह में संकलित कहानियाँ निम्न हैं: 

डॉलर, डॉ जेड ए अंसारी होमियोपैथ, इतिहास के जंगल में, गैस सिलेंडर, खिलंदड़ ठाट, फोल्डिंग दीवान

पुस्तक लिंक: अमेज़न

आवाजों वाली गली 

आवाजों वाली गली लेखिका कविता का कहानी संग्रह है।  ‘मेरी नाप के कपड़े’, ‘नदी जो अब भी बहती है’, और ‘उलटबाँसी’ उनके कुछ कहानी संग्रह हैं। वहीं ‘मेरा पता कोई और है’ ‘ये दिये रात की जरूरत थे’ भी प्रकाशित हो चुके हैं। आवाजों वाली गली में उनकी सात कहानियाँ संकलित की गयी हैं। यह कहानियाँ निम्न है:
सिंहवाहिनी, बावड़ी, तुमने खजुराहो की मूर्तियाँ देखी है!, मौसम – बेमौसम, आवाजों वाली गली, काले कोस, अँधेरी रातें, कोख घर 
पुस्तक लिंक: अमेज़न

दमिता 

मुझे हिंदी में रची मूल रचनाएँ पढ़ने का शौक तो है ही लेकिन इसके अलावा मेरी अन्य भारतीय भाषाओं से हिंदी में अनूदित रचनाएँ पढ़ने की कोशिश रहती है। ऐसे में इस सेट में दमिता का होना मेरे लिए अच्छी बात ही थी। दमिता  लेखिका रूद्राणी शर्मा का असमिया उपन्यास है जिसे उदिता जैन द्वारा हिंदी में अनूदित किया है। दमिता उनका दूसरा उपन्यास है। दमिता के अलावा अब तक उनके पाँच से ऊपर उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। उपन्यास के विषय में अमेज़न में निम्न पंक्ति ही दर्ज है:
मूलतः असमिया में लिखा यह उपन्यास एक पारम्परिक समाज में एक स्त्री के संघर्ष और द्वंद्व की रोचक कथा है।
वहीं किताब के प्रथम पृष्ठ पर यह कविता लिखी है जो कि किताब के प्रति रुचि जागृत करती है:
हम एक शरीर मात्र नहीं हैं 
न हैं बाजार में बिकने वाली वस्तु 
दूसरे दर्जे के लिंग भी नहीं हैं हम 
न हैं कोई पालतु जन्तु 
हम भी मानव हैं…
चाहते हैं
मानव का अधिकार!!
पुस्तक लिंक: अमेज़न

स्याह सफेद और सलेटी भी 

स्याह सफेद और सलेटी भी लेखक रणवीर सिंह चौहान का उपन्यास है। इससे पूर्व उनका कविता संग्रह ‘कुछ कहना था तुमसे’ प्रकाशित हो चुका है। रणवीर सिंह चौहान भारतीय प्रशासनिक सेवा में अधिकारी हैं जिनकी शिक्षा दीक्षा लखनऊ में हुई है। लखनऊ से जुड़ी अपनी इन्हीं यादों को उन्होंने इस उपन्यास के रूप में प्रस्तुत किया है। 
पुस्तक लिंक: अमेज़न
*****
तो यह थी सितंबर में खरीदी गयी किताबों किताबों पर पहली पोस्ट। उम्मीद है आपको इन किताबों के विषय में जानकर अच्छा लगा होगा। 
क्या आपने भी किताबों के लिए बजट तय किया हुआ है?  मुझे बताइएगा जरूर। 
अगली पोस्ट में मैं फिर आपको सितंबर में ली हुई अन्य किताबों के विषय में बताऊँगा। 

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

0 Comments on “सितंबर 2021 बुक हॉल – 1”

  1. मैंने अपने जीवन में किताबों पर बहुत अधिक व्यय किया है विकास जी लेकिन बजट कभी तय नहीं किया। जब जहाँ कोई अच्छी पुस्तक दिखाई दी, ले ली। अब ई-बुक का ज़माना आ गया है तो कई पुस्तकें ई-बुक के रूप में भी ख़रीदकर पढ़ लेता हूँ। हाल ही में संतोष पाठक जी के आशीष गौतम सीरीज़ के दो उपन्यास अमेज़न किंडल से लेकर पढ़े – 1. हैरतअंगेज़ हत्या, 2. आख़िरी शिकार। मैं आपका इस बात के निमित्त सदैव प्रशंसक रहूंगा कि आपने पुस्तकें पढ़ने तथा उन पर लिखने को अपने जीवन का एक अंग बना लिया है। इस युग में बहुत बड़ी बात है यह।

  2. जी आभार। किंडल पर तो अनलिमिटेड की सदस्यता ले रखी है। साल भर की सदस्यता आसानी से 999 की पड़ जाती है। काफी पुस्तकें इससे पढ़ सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *