जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ कि मुझे कॉमिक बुक्स में रहस्य कथाएँ पढ़ना अच्छा लगता है। लेकिन यह भी सच है भारतीय कॉमिक बुक्स में ऐसे नायक कम ही हुए हैं जो कि पूरी तरह से जासूस या डिटेक्टिव हों। फिर भी एक नायक जिसका नाम ध्यान में आता है वो है क्रुकबॉन्ड। लेकिन इसे पढ़ने का मौका मुझे उतना नहीं मिल पाया।
सही बताऊँ तो मेरे गृहनगर में कॉमिक बुक्स की मौजूदगी कम ही रहती थी। अक्सर उधर राज कॉमिक ही आया करती थीं। ऐसे में अन्य प्रकाशकों की कॉमिक बुक्स पढ़ पाना मेरे लिए थोड़ा दिक्कत देने वाला होता था। जब सर्दियों की छुट्टियों में मेरा दिल्ली आना होता था तो मामा के घर जाने पर ही कॉमिक बुक्स पढ़ने को मिलती थी। मेरा मामा कॉमिक बुक्स के बड़े शौकीन थे और आज भी वो कॉमिक बुक्स बड़े चाव से पढ़ते हैं। राज कॉमिक्स से इतर कॉमिक बुक्स मैंने जो पढ़ी वो उन्हीं के यहाँ आकर पढ़ी। वैसे तो वो भी राज कॉमिक के फैन थे और राज कॉमिक्स की ही कॉमिक बुक अधिक पढ़ते थे लेकिन अन्य किरदारों की इक्का दुक्का कॉमिक बुक उनके पास मिल जाया करती थी। ऐसे में मुझे धुंधली धुंधली याद है कि क्रुकबॉन्ड से मेरा पहले परिचय उन्हीं के घर हुआ था। चलिए जानते हैं कि कौन था ये क्रुकबॉन्ड।
क्रुकबॉन्ड और उसकी पीठ पर लदा उसका छोटा भाई मोटू |
क्रुकबॉन्ड
अनोखेलाल हवलदार धमाका सिंह का एक लौता बेटा था। जहाँ धमाका सिंह चाहता था कि वो पढ़ लिखकर अफसर बने वहीं अनोखेलाल को जासूसी का इतना शौक था कि पढ़ाई लिखाई छोड़कर वह इसी में रमा रहता था, अपने घर के एक इलाके को उसने एक प्रयोगशाला में बदल दिया जहाँ जासूसी से जुड़ी चीजें वह बनाया करता था। इस जगह को उसके घर वाले अजायब घर कहा करते थे। जहाँ जासूसी को लेकर उसके पिता हवलदार धमाका सिंह उसे चिढ़े रहते थे वहीं उसकी माँ गुलाबवती की आँखों का वह तारा था।
अनोखेलाल खुद को जेम्स बॉन्ड का शिष्य मानता था और इसलिए उसी की तर्ज पर उसने अपना नाम क्रुकबॉन्ड रखा था। दसवीं में चार बार फैल हो चुका क्रुकबॉन्ड जब एक बार फिर फेल हो जाता है तो अपने पिता के गुस्से से बचने के लिए अपने घर से निकलकर अपने मामा के घर नूरपुर चला जाता है। इस सफर में उसके साथ ऐसी घटनाएँ होती है कि उसकी जासूसी का लोहा सभी मानने लगते हैं और क्रुकबॉन्ड फुल टाइम जासूस बन जाता है।
क्रुकबॉन्ड शृंखला के कॉमिक्स की कहानियाँ क्रुक बॉन्ड के जासूसी किस्सों को दर्शाती है। इन कॉमिक बुक्स मेंन वह मोटू, अपने कुत्ते मनमौजी और अपनी सुपरकार की मदद से अपनी किस्मत की मदद से खलनायकों के दाँत खट्टे करता रहता है। हाँ, इस दौरान कई हास्यजनक परिस्थितियों होती हैं जिसके चलते इस शृंखला के कॉमिक बुक्स में जासूसी के साथ हास्य भी रहता है।
मॉडर्न जासूस क्रुकबॉन्ड से शुरू होकर इस शृंखला के 100 से ऊपर कॉमिक्स आए थे।
प्रकाशक
क्रुकबॉन्ड की कॉमिक बुक्स मनोज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित की जाती थी।
लेखक
क्रुकबॉन्ड की अधिकतर कॉमिक बुक्स की कहानियों को बिमल चटर्जी द्वारा लिखा गया था।
कहाँ से लें?
हाल ही में मनोज कॉमिस और कॉमिक इंडिया द्वारा क्रुकबॉन्ड की कॉमिक बुक्स को दोबारा प्रकाशित किया गया था। अमेज़न और दूसरे कॉमिक बुक पोर्टल्स में यह कॉमिक बुक्स मिल जाएँगी।
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क्या आपने क्रुकबॉन्ड की कॉमिक्स पढ़ी हैं? आपकी पसंदीदा कॉमिक बुक्स कौन सी थीं?
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