जनवरी 2022 में पढ़ी गई रचनाएँ |
वर्ष 2022 का पहला माह पढ़ने के लिहाज से अच्छा रहा। इस माह मैंने दस कृतियाँ पढ़ीं। इन कृतियों में में चार कॉमिक बुक, दो उपन्यासिकाएँ, और चार उपन्यास शामिल थे। अगर भाषा के हिसाब से देखूँ तो इनमें एक रचना अंग्रेजी की और बाकी नौ रचनाएँ हिंदी की शामिल थी। यह रचनाएँ निम्न हैं:
ताऊजी और काला नाग
ताऊजी डायमंड कॉमिक्स का किरदार है जिसका एक बाल उपन्यास ‘ताऊ जी और मुर्दों की सेना’ मैंने काफी पहले पढ़ा था। ऐसे में जब प्रतिलिपि पर ताऊजी शृंखला के कॉमिक बुक देखे तो उन्हें पढ़ने से खुद को रोक न सका। यह उस शृंखला का पहला कॉमिक है। शहर में काला नाग के आदमियों का आतंक है। ऐसे में एक घटना ऐसी होती है कि ताऊजी का सहायक रुमझुम काला नाग के साथियों के कब्जे में आ जाता है। ताऊजी इस गैंग से किस तरह निपटते हैं और रुमझुम को किस तरह बचाते हैं यही कॉमिक का कथानक बनता है।
कॉमिक बुक की विस्तृत समीक्षा:
कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि
अ वॉक टू रिमेंबर
पेंटिंग के पिशाच
‘पेंटिंग के पिशाच’ तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है जिसे मैंने प्रतिलिपि एप्प पर पढ़ा। कॉमिक बुक का कथानक आफताब खान द्वारा लिखा गया है। एक आर्टिस्ट की पेंटिंग से निकले पिशाच जब आस-पास के इलाकों में तहलका मचा देते हैं तो उस पेंटर पर इनको रोकने की जिम्मेदारी आ जाती है। वह यह कैसे करता है यही कॉमिक का कथानक बनता है।
कॉमिक बुक का कान्सेप्ट तो मुझे पसंद आया लेकिन इसके क्रियांवन में कमी लगी। कॉमिक में एक मुख्य सवाल भी अनुत्तरित रह जाता है तो यह भी अधूरेपन का अहसास कराती है।
कॉमिक बुक की विस्तृत समीक्षा:
कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि
गुनाह का कर्ज
प्रदीप मेहरा का चेहरा मोहरा ऐसा था कि कोई उस पर मक्खी मारने का शक भी नहीं कर सकता था लेकिन प्रदीप मेहरा एक खून कर चुका था और अब कुछ खून और करने वाला था।
आखिर कौन था प्रदीप मेहरा? उसने एक खून किसका किया था? अब वह किसका खून करने वाला था?
गुनाह का कर्ज सुरेन्द्र मोहन पाठक का लिखा थ्रिलर उपन्यास है जो कि सर्वप्रथम 1991 में प्रकाशित हुआ था। यह एक अपराध कथा है जिसके केंद्र में एक ऐसा व्यक्ति है जिसे लगता था कि वह किस्मत का मारा था और किस्मत ने उसकी हालत मोरी के कीड़े जैसी कर दी थी लेकिन उसने अपनी किस्मत से दो-दो हाथ करने की ठान ली थी। उपन्यास मुझे पसंद आया। इसका अंत भले ही मुझे थोड़ा कमजोर लगा लेकिन यह उपन्यास ‘क्राइम नेवर पेज’ का बेहतरीन उदाहरण है।
उपन्यास के प्रति विस्तृत विचार:
अब क्या होगा?
कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न
ब्लैक
सीतापुर न्यूक्लियर प्लांट में हुए हमले के अगले ही दिन जब भारत के दो परमाणु वैज्ञानिक दुर्घटनाग्रस्त हो गए तो मुंबई पुलिस कमीश्नर द्वारा जासूस बलराम को इस मामले में लगाया। जासूस बलराम ने क्या किया यही कॉमिक का कथानक बनता है।
‘ब्लैक’ जासूस बलराम की पहली कॉमिक बुक है जो कि फेनिल कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित की गई है। यह तीन भागों में प्रकाशित होने वाली कहानी का पहला भाग है और कहानी की भूमिका बांधने में सफल होता है। पाठक इसमें ब्लैक के विषय में जान पाते हैं और यह भाग इतने सवाल छोड़ जाता है कि अगला भाग पढ़ने के लिए आप उत्सुक रहेंगे।
कॉमिक बुक की विस्तृत समीक्षा:
फेमस फाइव स्मगलरों के बीच
ईस्टर की छुट्टियाँ मनाने किरीन कॉटेज पहुँचे जॉर्ज, जूलियन, डिक, एन और टिमी को जब पता लगा कि उन्हें किरीन नहीं बल्कि स्मगलर विला जाना पड़ेगा तो उन्हें लगा था शायद ये छुट्टियाँ उतनी रोमांचक न रह जाएँ। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उधर रोमांच उनका इंतजार कर रहा था।
फेमस फाइव और स्मगलरों के बीच एनिड बलाइटन की फेमस फाइव शृंखला का चौथा उपन्यास है। यह उपन्यास ‘फाइव गो टू स्मगलर्स टॉप’ का हिंदी अनुवाद है।
उपन्यास बेहद रोचक है और मुझे यह काफी पसंद आया। अगर नहीं पढ़ा तो एक बार पढ़ना चाहिए और अपने घर में मौजूद बच्चों को भी इसे पढ़ने को देना चाहिए।
पुस्तक की विस्तृत समीक्षा:
समीक्षा: फेमस फाइव स्मगलरों के बीच
पुस्तक लिंक: अमेज़न
चुड़ैल वाला मोड़
हर शहर में ऐसी जगह होती है जहाँ भूतों का साया बताया जाता है। इस उपन्यासिका में एक ऐसी ही जगह को केंद्र में रखकर लिखा गया है। संकेत के शहर में भी एक जगह थी जो कि चुड़ैल वाले मोड़ के नाम से जानी जाती थी। संकेत ने उसी जगह से उस लड़की को लिफ्ट थी जब उसका एक्सीडेंट हो गया। क्या संकेत की गाड़ी में कोई चुड़ैल थी?
उपन्यासिका की विस्तृत समीक्षा:
पुस्तक लिंक: अमेज़न
खतरे का हथौड़ा
सेठ पिशोरीलाल की हत्या के जुर्म में पुलिस ने उसके बड़े बेटे अशोक मेहरा को पकड़ लिया था। अशोक की पत्नी कमला का कहना था कि हत्या उसके पति ने नहीं की थी और इसलिए वह चाहती थी कि अर्जुन भारद्वाज इस मामले को देखे।
‘खतरे का हथौड़ा’ अर्जुन भारद्वाज शृंखला का उपन्यास है। अर्जुन भारद्वाज सुपर प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी का मालिक है जो कि अपराध और अपराधियों से बहुत नफरत करता है। वह अपराधियों को खत्म करने के लिए कानून से बाहर जाने में भी नहीं झिझकता है। प्रस्तुत उपन्यास ‘खतरे का हथौड़ा’ की बात करें तो अर्जुन भारद्वाज शृंखला के सभी गुण इसमें मिलते हैं। मूल रूप से यह एक लॉकड-रूम मर्डर मिस्ट्री है जो पाठक को अंत तक बाँधकर रखती है।
उपन्यास मुझे पसंद आया। अर्जुन भारद्वाज शृंखला की सभी खूबी इस उपन्यास में तो हैं ही साथ में एक अच्छी मर्डर मिस्ट्री भी लेखक ने पाठक को परोसी है। अगर आप लॉकडरूम मिस्ट्री या रहस्यकथा के शौकीन हैं तो आपको इसे एक बार जरूर पढ़ना चाहिए।
उपन्यास की विस्तृत समीक्षा:
लड़कियों का हंगामा
शहर में जवाहर रोड का इलाका अजीब घटनाओं का केंद्र बना हुआ था। लड़कियाँ डरी हुई थी क्योंकि रात के वक्त जवाहर रोड के इर्द गिर्द एक काला जीव अमीर घर की लड़कियों पर हमला कर रहा था। वहीं इसी इलाके में मौजूद एक कोठी में आत्मा का साया बताया जाता था।
उपन्यासिका की विस्तृत समीक्षा:
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तो यह थीं वो रचनाएँ जो जनवरी 2022 में मैंने पढ़ीं। कुछ व्यक्तिगत कारणों के चलते फरवरी में आने वाली ये अपडेट मार्च में खिसक गई लेकिन क्या कर सकते हैं। अपना ब्लॉग होने का यही तो फायदा है कि जो जब मन आया तब घिस दिया। उम्मीद है जल्द ही फरवरी वाली अपडेट भी आपसे साझा करूँगा।
हाल के दिनों में आपने क्या पढ़ा? मुझसे साझा करना न भूलिएगा।
हाल ही हमने ‘एक बुक जर्नल’ में गेस्ट पोस्ट लेनी शुरू कर दी हैं। अगर आप किसी पुस्तक के ऊपर अपने विचार लिखकर हमसे साझा करना चाहते हैं या पुस्तकों पर कोई आलेख (न्यूनतम 500 शब्द) साझा करना चाहें तो अपने लेख, अपनी तस्वीर और संक्षिप्त परिचय के साथ contactekbookjournal@gmail.com पर भेज सकते हैं। किसी मेहमान लेखक के पाँच लेख प्रकाशित होने पर एक बुक जर्नल की तरफ से उपहार स्वरूप एक पुस्तक हम उन्हें फिलहाल भेज रहे हैं। आपके लेखों की प्रतीक्षा रहेगी।
(नोट: लेख तभी प्रकाशित होगा जब वह तय मापदंडों के अनुरूप पाया जाएगा। अगर लेख प्रकाशित नहीं किया जा रहा है तो उसका कारण ईमेल के माध्यम से आपको देने की कोशिश रहेगी। )
एक बुक जर्नल में हाल में प्रकाशित गेस्ट पोस्ट:
एक महीने में दस किताबें! हां, कुछ कॉमिक्स हैं पर भी बहुत अच्छा। मैंने इस साल अब तक 6 किताबें पढ़ी है। दो किताबें, The Flatshare और Young Blood (हॉरर है, आपको पसंद आएगी), अब तक की फ़ेवरिट है। आजकल मैं Before the Dawn पढ़ रही हूँ, बहुत अच्छी है। शायद इस साल की तीसरी फ़ेवरिट हो।
मेरी कोशिश रहती है हर रोज पचास-साठ पेज पढ़ लूँ। ऐसे में हफ्ते में एक दो किताबें हो जाती हैं। हाँ, जब किताबों के विषय में लिखना नहीं होता था तो ज्यादा पढ़ी जाती थी। वैसे लेखन के चलते भी लिखना कम हो जाता है। आपके साथ शायद यही होता होगा। आपकी बताई किताबें पढ़ने की कोशिश रहेगी। इन्हें टीबीआर में जोड़ दिया है।