अक्टूबर के माह में पढ़ी गयी रचनाओं के ऊपर माहवार ब्यौरा काफी दिनों से लिख कर रखा हुआ था। सोचा था कि पहले एक दो वृत्तान्त या कुछ लेख प्रकाशित करूँगा और उसके पश्चात इसे प्रकाशित करूँगा। वैसे भी किताबों के विषय में कुछ ज्यादा ही पोस्टस हो रही है। लेकिन अब चूँकि ये माह भी गुजरने वाला है और कुछ और लिखने का सूझ नहीं रहा है तो सोचा है कम से कम इसे ही प्रकाशित कर दूँ। फिर अपना ही तो ब्लॉग है। इतना भी क्या शर्माना। हा हा हा हो सकता है कोई नया आईडिया भी इसके प्रकाशन की राह देख रहा हो। कह रहा हूँ जब पहले से पोस्ट तैयार है तो नई पोस्ट से क्यों अतिरिक्त बोझ दिमाग पर डाला जाए। हा हा हा देखते हैं क्या होगा।
खैर, अक्टूबर में पढ़ी गयी रचनाओं की बात करूँ तो संख्या में ये रचनाएँ 19 तक पहुँच गयी थीं। अगर आप कॉमिक पढ़ते हैं तो यह रचना इतनी अधिक भी नहीं है। और इस माह में मैंने कॉमिक ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं पढ़ीं। फिर इस महीने चूँकि मैं दूसरे कार्यों में व्यस्त था तो मैं उपन्यास की जगह लघु-उपन्यासों और उपन्यासिकाओं को पढ़ रहा था। ये एक या दो सीटींग में ही पढ़ी जाती है और आपको कहानियों से ज्यादा संतुष्ट भी करती हैं। इसलिए भी यह संख्या शायद इतनी चली गयी। अगर श्रेणीबद्ध करूँ तो अक्टूबर में मैंने 7 उपन्यास, 1 लघु-उपन्यास, 3 उपन्यासिकाएँ और 8 कॉमिक पढ़ीं। भाषा के हिसाब से देखें तो इनमें से दो रचनाएँ अंग्रेजी की थी और बाकी सब हिंदी की रचनाएँ ही थीं। चलिए अब ज्यादा देर न करते हुए देखा जाए कि यह रचनाएँ कौन सी थीं:
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अक्टूबर 2021 में पढ़ी गई रचनाएँ |
हांगकांग में हंगामा
हांगकांग में हंगामा लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक की सुनील शृंखला का उपन्यास है। यह इस शृंखला का 6वाँ उपन्यास है जो कि वर्ष 1966 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास सुनील के उन चुनिंदा उपन्यासों में से एक है जिसमें वह भारत सरकार के लिए अंतर्राष्ट्रीय मिशन को गुप्त रूप से अंजाम देते दिखता है। उपन्यास रोचक है और सुनील का यह नया रूप देखना मुझे तो अच्छा लगा। जासूसी दाँव पेंचों से लबरेज यह एक अच्छी रोमांचकथा है जिसे अगर आपने नहीं पढ़ा तो एक बार पढ़कर देख सकते हैं।
उपन्यास की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर:
समीक्षा: हांगकांग में हंगामा – सुरेन्द्र मोहन पाठक
स्लो बर्नर
स्लो बर्नर लॉरा लिपमैन द्वारा लिखी गयी एक उपन्यासिका है। यह उपन्यासिका हश कलेक्शन का हिस्सा है जिसके अंतर्गत कई अपराध साहित्यकारों ने किंडल पर अपनी अपनी उपन्यासिकाएँ प्रकाशित की थी।
यह फिल और लिज नामक दंपति की कहानी है। लिज को लगा था कि फिल अपनी प्रेमिका से अपना अफेयर खत्म करके आगे बढ़ चुका है लेकिन जब उसे उसकी जेब में एक फोन मिला तो उसकी यह गलतफहमी टूट सी गयी। आगे लिज ने क्या किया? क्या वह अपनी शादी बचा पाई? यही सब इस उपन्यासिका का कथानक बनता है। कहानी रोचक है और एक बार पढ़ी जा सकती है।
उपन्यासिका की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
हत्यारी सुरंग
हत्यारी सुरंग तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है। यह कॉमिक बुक प्रतिलिपि एप्प पर मुफ़्त में पढ़ने के लिए उपलब्ध है। क्रांति सीक्रिट सर्विस का जासूस है जो कि जब कालका से शिमला की ओर जा रहा होता है तो उस पर अनजान व्यक्तियों द्वारा हमला कर दिया जाता है। क्रांति पर यह हमला क्यों किया गया और वह क्यों शिमला जा रहा था ही इस कॉमिक का कथानक बनता है। कॉमिक बुक रोचक है और एक बार पढ़ा जा सकता है।
विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
ऑन द हेज ऑफ मिडनाइट लिली
ऑन द हेज ऑफ मिडनाइट लिली लेखक नितिन मिश्रा की उपन्यासिका है। यह उपन्यासिका प्रतिलिपि पर दो भागों में प्रकाशित है। एक रात के इर्द गिर्द लिखी यह कहानी आपको बांधकर रखती है और पढ़ते जाने पर विवश कर देती है। मुझे यह उपन्यासिका पसंद आई।
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बाली उमर
बाली उमर भगवंत अनमोल का लिखा हुआ उपन्यास है। गाँव की पृष्ठ भूमि पर लिखा हुआ यह उपन्यास चार किशोरों की कहानी है जिन्हे अपने गाँव के ही एक किशोर के चलते जीवन का असली मतलब पता चलता है। इन किशोरों के जीवन के विभिन्न पहलू जहाँ आपको अपने किशोर जीवन के कई पल दिखेंगे वहीं उपन्यास अंत में एक शिक्षा भी आपको दे जाता है। हाँ, कथानक अभी इस तरह से लिखा गया है कि वह आगे पढ़ते चले जाने के लिए विवश नहीं करता है। आपको पढ़ने के लिए खुद को थोड़ा फोर्स करना पड़ता है।
उपन्यास एक बार पढ़ा जा सकता है।
खूनी कब्रिस्तान
खूनी कब्रिस्तान तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है जिसे प्रतिलिपि पर मैंने पढ़ा। तुलसी कॉमिक्स बचपन में ज्यादा नहीं पढ़ी थी तो अब प्रतिलिपि पर हफ्ते में एक दो पढ़ ले रहा हूँ। उपन्यास विशालगढ़ कस्बे के कब्रिस्तान में मौजूद प्रेतों और दो किशोर राकेश और मनोज की भिड़ंत के विषय में है। वैसे तो यह विषय ऐसा है जिस पर काफी रचनाएँ लिखी जा चुकी हैं लेकिन इसके बावजूद कॉमिक बुक एक बार पढ़ा जा सकता है। राकेश मनोज के किरदार मुझे पसंद आए।
विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
मौत का सफर
मौत का सफर लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा लिखा गया उपन्यास है। यह उपन्यास प्रमोद शृंखला का उपन्यास है। वैसे तो उपन्यास का कथानक साधारण है लेकिन चूँकि पूरा उपन्यास चीन में बसाया गया है तो यह उपन्यास में रोचकता बनाए रकता है। उपन्यास का मुख्य किरदार प्रमोद भी मुझे पसंद आया। इस शृंखला के दूसरे उपन्यास पढ़ने की कोशिश रहेगी।
उपन्यास के प्रति मेरे विस्तृत विचार निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
ज़िंदा लाश
ज़िंदा लाश तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित किया गया कॉमिक बुक है। शैली की हत्या के बाद उसके फ्लैट में उसका प्रेत दिखने लगा था। उसकी हत्या किसने की थी और फ्लैट में दिखते इस प्रेत का क्या कारण था यही कॉमिक बुक का कथानक बनता है।
कॉमिक बुक की कहानी कमजोर है जिसके चलते वह जितना अच्छा हो सकता था उतना अच्छा नहीं बन पड़ा है। अगर बेहतर सम्पादन होता तो यह एक अच्छा कॉमिक बुक हो सकता था।
कॉमिक्स की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
विषकन्या का जहर
विषकन्या का जहर तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है। मध्ययुगीन काल में राजाओं द्वारा छल द्वारा अपने दुश्मनों को मारने के लिए विषकन्याओं का इस्तेमाल किया जाता है। प्रस्तुत कॉमिक बुक भी ऐसे ही एक राजा द्वारा विषकन्या मोहिनी को अपने दुश्मन से बदला लेने के लिए इस्तेमाल करने की कहानी है। कहानी साधारण है लेकिन विषकन्याओं के प्रति रुचि जागृत करती है।
कॉमिक को पढ़ने के बाद मैं विषकन्याओं के विषय में अधिक से अधिक जानने के लिए लालायित हो गया हूँ।
कॉमिक बुक के प्रति मेरी विस्तृत राय निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
फिर सुबह होगी
फिर सुबह होगी संजीव जायसवाल ‘संजय’ का बाल विज्ञान गल्प उपन्यास है। वर्ष 2061 के समय में घटित होने वाला यह उपन्यास एक रोमांचकथा है जहाँ जब एक वैज्ञानिक का अपहरण हो जाता है तो दो किशोरों विशाल और प्रियंका को अपनी सूझ बूझ के चलते उन्हें छुड़ाने की योजना बनानी पड़ती है। वयस्कों को भले ही कथानक सरल लग सकता है लेकिन मुझे लगता है कि यह उपन्यास बाल पाठकों को पसंद आएगा।
फिर सुबह होगी की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
फोटोग्राफर का रहस्य
प्रताप एक प्राइवेट डिटेक्टिव था जिसका दोस्त इंस्पेकटर राज सिंह जब अचानक गायब हो जाता है तो प्रताप उसे ढूँढने के चक्कर में कई अपराधियों से भिड़ जाता है। कॉमिक बुक एक रहस्यकथा जरूर है लेकिन इसमें रहस्य के तत्व काफी कमजोर है। कॉमिक बुक में एक्शन प्रचुर मात्रा में है जो इसे एक बार पढ़े जाने लायक बनाता है। रहस्य के तत्व अगर मजबूत होते तो यह एक अच्छा कॉमिक बुक बन सकता था।
कॉमिक बुक के प्रति मेरी विस्तृत राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
काला मोती
काला मोती तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित एक कॉमिक बुक जो कि प्रतिलिपि पर निशुल्क पढ़ा जा सकता है। कहानी कृष्ण के काले मोती के चारों ओर घूमती है जिसमें कई दैवीय तत्व मौजूद हैं। यह तीन दोस्तों रोहन सोहन और मोहन की कहानी है जो काले मोती की तलाश में निकल पड़ते हैं। इनके साथ क्या होता है यही कहानी बनती है। कहानी साधारण है। कहानी में काफी एक्शन है जो कि पृष्ठ पलटने के लिए प्रेरित करता है।
काल मोती की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
कठपुतली
कठपुतली लेखक वेद प्रकाश शर्मा द्वारा लिखा गया थ्रिलर उपन्यास है। उपन्यास के केंद्र में विनम्र भारद्वाज नाम का व्यवसायी है जिसे एक आवाज कत्ल करने को उकसाती रहती है। उस आवाज के दबाव में आकर जब वह कत्ल कर देता है तो उसके जीवन में क्या तूफान उठता है यही उपन्यास का कथानक बनता है।
उपन्यास शुरुआत से ही आपके ऊपर अपनी पकड़ बनाकर चलता है और आपको पृष्ठ पलटते चले जाने के लिए विवश कर देता है। अगर आपने इसे नहीं पढ़ा है तो एक बार इसे पढ़ सकते हैं। मुझे उपन्यास पसंद आया।
उपन्यास के प्रति मेरी विस्तृत टिप्पणी निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
समीक्षा: कठपुतली
लेट हर बी
लेट हर बी लेखिका लीसा उंगर की लिखी हुई उपन्यासिका है। कहानी के केंद्र में एक युवक विल है जो कि लेखक बनने के सपने देखता है। विल की प्रेमिका ऐनिसा उसे छोड़कर उससे दूर जा चुकी है। लेकिन विल को लगता है वह अपने सोशल मीडिया में जैसी जिंदगी प्रदर्शित कर रही है वैसी जिंदगी वह जी नहीं रही है। कुछ तो गड़बड़ है? अपने इस सोच के चलते ऐनिसा की चिंता उसे सताने लगती है। विल की इस चिंता का क्या परिणाम निकलता है यही कहानी बनती है। कहानी रोचक है और मुझे पसंद आई। कहानी के कुछ रहस्यो का मैंने अंदाजा लगा लिया था लेकिन कुछ चीजों में कहानी मुझे चौंकाने में सफल हुई। एक बार पढ़ सकते हैं।
चलते फिरते बम
चलता फिरता बम तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है। कॉमिक बुक के केंद्र में ऐसा गिरोह है जिसने पूरे नगर की पुलिस को घुटनों में ला दिया है। आत्मघाती दस्तों से युक्त गैंग आखिर किसका था? क्या पुलिस इस पर काबू पा पाई? इन सब सवालों के उत्तर इस कॉमिक का कथानक बनते हैं।
यह एक साधारण कथा है जिसे एक बार पढ़ा जा सकता है।
कॉमिक बुक के प्रति मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
शैतान की घाटी
शैतान की घाटी लेखक जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा द्वारा लिखा हुआ उपन्यास है। यह उपन्यास राजेश जगत शृंखला का उपन्यास है।
उपन्यास पठनीय है। अगर जगत को उपन्यास की हाईलाइट कहूँ तो गलत नहीं होगा। वह जब जब उपन्यास में आता है तब तब उपन्यास में रोमांच बढ़ता चला जाता है। उपन्यास एक बार पढ़ा जा सकता है।
हाँ, उपन्यास का शीर्षक कथानक के साथ न्याय नहीं कर पाता है। शीर्षक कथानक के अनुरूप होता तो मेरे हिसाब से बेहतर होता।
उपन्यास की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
बदकिस्मत कातिल
बदकिस्मत कातिल जावेद अमर जॉन शृंखला का दूसरी किताब है। यह एक लघु-उपन्यास है।
सेठ जामवंत राय की बेटी निहारिका जब गायब हो जाती है और पुलिस उसे ढूँढ नहीं पाती है तो वह अपने प्रभाव का उपयोग कर सीक्रिट सर्विस को इस काम में लगा देते हैं। जावेद अमर जॉन इस मामले को कैसे सुलझाते हैं यही लघु-उपन्यास का कथानक बनता है।
यह लघु-उपन्यास बदकिस्मत कातिल मुझे पसंद आया। कथानक सरल जरूर है लेकिन फिर भी आखिर में आए कुछ ट्विस्टस के लिए एक बार पढ़कर देखा जा सकता है। हाँ, चूँकि यह जावेद अमर जॉन शृंखला का उपन्यास है तो उम्मीद रहती है कि तीनों किरदारों को बराबर की जगह मिले लेकिन इधर ऐसा नहीं था। इधर अमर और फिर जावेद को ज्यादा जगह मिली है। अगर जॉन उपन्यास में न भी होता तो शायद इतना ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे में लेखक से उम्मीद रहेगी कि वह आगे जब इस शृंखला के उपन्यास लिखे तो कोशिश करें कि तीनों का किरदार महत्वपूर्ण हो।
उपन्यास की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:
षडयंत्र
षडयंत्र डायमंड कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है। यह डायनामाइट शृंखला का कॉमिक बुक है।
कॉमिक के बारे में यही कहूँगा कि भले ही इसका अंत थोड़ा बचकाना है लेकिन फिर भी एक बार इस कॉमिक को पढ़ सकते हैं। अगर रहस्य के तत्वों पर ज्यादा काम होता तो कॉमिक अच्छा बन सकता था। डायनामाइट नाम के किरदार के विषय में मुझे अभी तक कोई जानकारी नहीं थी लेकिन मुझे किरदार रोचक लगा। अब इसके दूसरे कॉमिक पढ़ना जरूर चाहूँगा।
दूसरा चेहरा
दूसरा चेहरा लेखक अजिंक्य शर्मा की अविनाश भारद्वाज शृंखला का दूसरा उपन्यास है।
दूसरा चेहरा एक मर्डर मिस्ट्री है लेकिन लेखक ने इस कथानक को इस तरह से रचा कि उपन्यास पढ़ते हुए रहस्य के साथ रोमांच भी बना रहता है। एक होटल के कमरे में एक मृत युवक और बेहोश युवती के मिलने से शुरू हुये उपन्यास में जल्द ही हुआ अंडरवर्ल्ड और प्राइवेट डिटेक्टिव का आगमन कथानक में रोमांच की कमी नहीं आने देता है। आप एक बार उपन्यास शुरू करते हैं तो ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं कि उपन्यास के पृष्ठ पलटते जाने के लिए आप मजबूर हो जाते हैं। कहानी में ट्विस्टस भी मौजूद हैं जिससे कथानक पाठक पर अपनी पकड़ बनाए रखता है। उपन्यास नहीं पढ़ा तो आपको पढ़ना चाहिए
उपन्यास की विस्तृत समीक्षा:
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तो यह थी वह रचनाएँ जिन्हें अक्टूबर के महीने में पढ़ा गया। क्या आपने इनमें से किसी रचना को पढ़ा है? अगर हाँ तो वो आपको कैसी लगी?
अक्टूबर के माह में आपने क्या क्या पढ़ा? अपने पसंदीदा उपन्यासों में से कुछ के नाम साझा अवश्य कीजिएगा। क्या पता मुझे कुछ नया पढ़ने को मिल जाये।
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आपका पठन इस माह अच्छा रहा है। काॅमिक्स आपने खूब पढी है, अंग्रेजी साहित्य भी पढ लिया, बहुत अच्छे ।।
मैंने उक्त किताबों में से दो ही पढी हैं -' दूसरा चेहरा' और 'हाॅगकाॅग में हंगामा'। दोनों रोचक हैं
रोचकता से लिखा है आपने …
बहुत शुभकामनायें आपकी पठन यात्रा के लिए …
जी सही कहा। आभार।
जी आभार। जानकर खुशी हुई कि लेख आपको रोचक लगा।
Nice post sir I regularly visit your site
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