कहते हैं हँसना सेहत के लिए लाभदायक होता है। वैज्ञानिकों ने भी इस बात को माना है और यही कारण है कि लोग अच्छी सेहत पाने के लिए पार्क में बिना बात के भी ठहाके लगाते दिख जाते हैं। मुस्कराने की यही चाहत ही शायद हम मनुष्यों को ऐसी चीजों के प्रति आकर्षित करती है जो हमें हँसा सके। यही चीज कॉमिक बुक्स पर भी लागू होती है। वैसे तो कॉमिक बुक में मेरा पसंदीदा विषय रहस्य या हॉरर रहता है लेकिन हास्य कॉमिक बुक्स के प्रति मैं हमेशा से ही आकर्षित होता रहा हूँ। हिंदी कॉमिक बुक्स की बात की जाए तो हिंदी के विभिन्न प्रकाशनों द्वारा समय समय पर हास्य किरदारों को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता रहा है लेकिन अपनी बात करूँ तो ऐसे दो ही किरदार हैं जिनकी रचनाओ को पढ़ने की उत्सुकता बचपन से ही मेरे भीतर रही है। यह दो किरदार हैं: बाँकेलाल और हवलदार बहादुर।
इन दोनों किरदारों से पहली दफा मेरा परिचय सर्दियों की छुट्टियों में ही हुआ था। वैसे तो बाँकेलाल और हवलदार बहादुर दो अलग अलग प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित किए जाते थे लेकिन इन किरदारों के बीच में कई समानताएँ भी देखने को मिलती थी। दोनों ही सिंगल पसली किरदार थे जो कि फूँक में रहते थे। दोनों ही के कॉमिक बुक्स में उनके द्वारा अर्जित यश पाने के पीछे उनकी किस्मत का बहुत बड़ा योगदान रहता था। वहीं चूँकि दोनों ही किरदारों को बेदी जी बनाते थे तो यह एक जैसे दिखते भी थे।
यहाँ ये बताना भी जरूरी है कि मैंने इनके हर कॉमिक बुक नहीं पढ़ें हैं लेकिन हास्य कॉमिक बुक्स किरदारों की बात की जाए तो मेरे लिए यह दोनों ही किरदार सबसे ऊपर हैं। आइए अब जानते हैं इन किरदारों के बारे में:
बाँकेलाल
बाँकेलाल |
बाँकेलाल रामपुर गाँव के एक गरीब किसान ननकु और गुलाबवती का पुत्र है। गुलाबवती शिव की भक्त रहती हैं और उसकी अगाध श्रद्धा से ही खुश होकर शिव जी गुलाबवती और ननकु को पुत्र प्रदान किया था। पर बाँकेलाल एक आम बालक नहीं था। वह इतना खुराफाती और उद्दंड था कि उसकी उद्दंडता से कुपित होकर शिव जी ने उसे श्राप दे दिया। इसी श्राप का नतीजा है कि बाँकेलाल जिसका भी बुरा करना चाहता है उसका आखिर में भला हो जाता है और बाँकेलाल का यश चारों तरफ फैल जाता है। यह बाँकेलाल का यश ही रहता है जिसके चलते विशालगढ़ के राजा विक्रम सिंह बाँकेलाल को अपने पास बुलाते हैं और बाँकेलाल को उसकी ज़िंदगी का मकसद मिल जाता है।
बाँकेलाल की ज़िंदगी का मकसद विक्रम सिंह को हटाकर विशालगढ़ की गद्दी पर खुद काबिज होना है। अपने मकसद को पाने के लिए वो क्या क्या षड्यन्त्र रचता है और शिव जी के श्राप के कारण कैसे षड्यन्त्र के शिकार विक्रम सिंह का भला होता है यही अधिकतर कहानियों का केंद्र बनता है।
चूँकि बाँकेलाल के कॉमिक बुक्स मध्यकालीन युग में बसाये गए हैं इसमें राक्षस, मायावी जीव, गुस्सैल ऋषि मुनि और देवता यदा कदा आते रहते हैं। बाँकेलाल इस दौरान जो कुटिल चाले चलता है और जिस तरह श्राप के चलते कैसे उसके साथ हाथ तो आया लेकिन मुँह न लगा होता है वो हास्य पैदा कर देता है।
बाँकेलाल का कमाल से शुरू हुई यह इस शृंखला में अब तक 200 स ऊपर कॉमिक बुक्स आ चुके हैं।
प्रकाशक
बाँकेलाल के कॉमिक बुक्स राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित किए गए हैं।
लेखक
बाँकेलाल के शुरुआती दो कॉमिक बुक्स पपिंदर जुनेजा नाम के सज्जन ने लिखे थे। इसके बाद के कॉमिक बुक्स राजा, तरुण कुमार वाही और नितिन मिश्रा जैसे लेखकों ने समय समय पर लिखे हैं।
कहाँ से लें?
बाँकेलाल के कई कॉमिक्स अमेज़न और दूसरे पोर्टल पर मिल जाएँगे।
बाँकेलाल के कुछ कॉमिक बुक्स की समीक्षाएँ: बाँकेलाल
हवलदार बहादुर
हवलदार बहादुर |
हवलदार बहादुर जैसे कि नाम से ही जाहिर है पुलिस में एक हवलदार है। रूपनगर में यह रहता है। वैसे तो हवलदार बहादुर एक सिंगल पसली डरपोक सा इंसान है लेकिन वर्दी की अकड़ उसमें हर वक्त दिखाई देती है। यही कारण है वो गाहे बगाहे लोगों को हवालात में सड़ा देने की धमकी दिया करता है। उसके अंदर थोड़ा बहुत बचपना भी है और वह थोड़ा बड़बोला भी है जिसके चलते वो कभी कभी ऐसी हरकतें भी कर देता है जिसके चलते उसे मुसीबत में पड़ना पड़ता है।
हवलदार बहादुर के साथ साथ इस कॉमिक बुक में कई चरित्र आते हैं। इनमें हवलदार बहादुर की पत्नी चंपाकली भी है। चंपाकली के सामने हवलदार बहादुर की सारी हेकड़ी धरी की धरी रह जाती है। वह उससे डरता भी है लेकिन अपने स्वभाव के चलते कुछ न कुछ ऐसी बात कर देता है जिसके चलते चंपाकली के हाथों उसे पिट जाना पड़ता है।
कॉमिक बुक में खड़गसिंह वो इन्स्पेक्टर जिसके नीचे हवलदार काम करता है। खड़गसिंह हवलदार की बेवकूफियों से वाकिफ है। यही कारण है जब किस्मत के चलते हवलदार बहादुर बाजी मार ले जाता है और वाह वाही बटोर जाता है खड़गसिंह चिढ़ने के अलावा कुछ नहीं कर पाता है।
हवलदार बहादुर की कॉमिक बुक्स कॉमेडी ऑफ एरर हुआ करती हैं। खलनायकों के भी अजीब अजीब नाम हुआ करते हैं और जिस तरह से हवलदार को न चाहते हुए भी जूझना पड़ता है वह ऐसी हास्यजनक परिस्थितियाँ पैदा कर देता है कि पाठक मुस्कुराये बिना नहीं रह पाता है।
प्रकाशक
हवलदार बहादुर मनोज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित किया जाता था।
लेखक
इस किरदार को लेकर लिखे गए कॉमिक बुक्स पर विनय प्रभाकर का नाम रहता था, जो कि एक ट्रेड नाम था। वैसे असल में लेखक अंसार अख्तर ने हवलदार बहादुर की कहानियाँ लिखी थी। उन दिनों उनका नाम कई रचनाओं में आ छप रहा था तो ऐसे में प्रकाशक के कहने पर उन्होंने ट्रेड नाम से इसे छापे जाने पर हामी भरी थी। (स्रोत: अंसार अख्तर की फेस बुक पोस्ट) अंसार अख्तर अपनी पोस्ट में यह भी बताते हैं उन्हें इस किरदार का आइडिया पुरानी दिल्ली के उस हवलदार से आया था जिसे वह अपने बचपने में देखते थे। वह हवलदार लोगों को हवालात में सड़ाने की बात किया करता है और उसी बात को उन्होंने हवलदार बहादुर का तकियाकलाम बनाया था।
कहाँ से लें?
हवलदार बहादुर के कई कॉमिक बुक्स हाल फिलहाल में प्रकाशित हुए हैं। इन्हें कॉमिक बुक्स बेचने वाले पोर्टल्स से लिया जा सकता है।
अमेज़न | कॉमिक अड्डा |
हवलदार बहादुर के कुछ कॉमिक बुक्स की समीक्षा: हवलदार बहादुर
*****
तो यह थे थे दो ऐसे कॉमिक बुक किरदार जिनकी हास्य कॉमिक बुक्स मुझे पसंद आती हैं। आपको क्या हास्य कॉमिक बुक्स पढ़नी है। कौन कौन से किरदारों की कॉमिक बुक्स पढ़ना आपको पसंद है? कमेन्ट के माध्यम से मुझे जरूर बताइएगा।