अपडेट: जाता हुआ नवंबर और एक किताबी अपडेट

अपडेट: जाता हुआ नवंबर और एक किताबी अपडेट

नवंबर का महीना समाप्ति की ओर अग्रसर है। अब तो एक ही दिन बचा है। माहौल में अब थोड़ी ठंड व्याप्त हो चुकी है। पेड़ों से पत्ते गिरने लगे हैं। गुड़गाँव की बात करें तो कल पहली बार हुआ कि रात में मुझे पंखा बंद करना पड़ा। ये मेरे लिए अच्छी बात है क्योंकि मुझे तो ठंड का मौसम बहुत पसंद है। फिर गुरुग्राम में प्रदूषण का स्तर भी थोड़ा बहुत कम होने लगा है।  लेकिन ये पोस्ट मैंने ठंड का गुणगान करने और प्रदूषण की चर्चा के लिये नहीं की है। यह पोस्ट तो एक ऐसी भूमिका के विषय में लिखने के लिए है जिसका निर्वाहन करने का मौका मुझे कुछ समय पूर्व मिला और अब वह काम बाहर आ रहा है। लेकिन उससे पहले थोड़ा दुईबात पर बात कर लें।

मालदेवता में बहने वाली सॉन्ग नदी जहाँ पिछले नवंबर मौजूद थे

दुईबात की बात करूँ तो इधर आना कुछ माह से रुका हुआ सा ही है। कुछ काम ऐसे पड़ गए कि आने का  मौका ही नहीं लगा। मुझे याद है कि आखिरी पोस्ट मैंने सितम्बर में की थी जो कि योगेश मित्तल जी की एक कविता थी और उससे पहले जो पोस्ट थी वो जुलाई में की थी जो कि एक प्रतिस्पर्धा के लिए नोटिस ही था। जो वक्फ़ा खाली गुजरा उसमें लिखने का कई बार मन तो किया लेकिन काम का लोड ऐसा था कि लिखना न हो पाया। वैसे एक बुक जर्नल, जो कि किताबों से जुड़ा मेरा ब्लॉग है, में मैं नियमित पोस्ट्स आ ही रही हैं।  उम्मीद है अब से थोड़ा नियमित तौर पर इस पटल पर मौजूद रहूँगा।

आज की पोस्ट की बात करूँ तो यह पोस्ट भी किताबों के विषय में है। किताबों से जब मेरा जुड़ाव हुआ था तो मैंने सोचा नहीं था कि ऐसा मौका भी मुझे मिलेगा। कई बार किताबें पढ़ते हुए लगता था कि अगर फलाँ चीज फलाँ तरीके से होती तो बेहतर होती। जो लेखक उन लेखों को पढ़ते तो वो भी अधिकतर मेरी बात से सहमत होते। लेकिन ये मूल रूप से साँप निकलने के बाद लाठी पीटने की ही बात है।

पर अब ऐसा नहीं है। साहित्य विमर्श की टीम के साथ काम करने का मौका मिल रहा है तो संपादन का काम भी मिल रहा है। वहीं फ्रीलांसिंग संपादन का कार्य भी मिल रहा है। इस कारण एक संपादक के रूप में किताब में मौजूद वाक्य विन्यास, किताब में दर्ज तथ्यों की चेकिंग और कथानक के प्लॉट में  बढ़ाव-घटाव करने का मौका मुझे मिल रहा है।

आज की मेरी यह पोस्ट अपनी इस नवीन भूमिका के विषय में ही है।

मुझे बताते हुए खुशी हो रही है इस माह नवंबर में तीन किताबें ऐसी आई हैं जिसमें मैं संपादक के तौर पर जुड़ा हुआ था। जहाँ एक किताब अंग्रेजी की है जो कि साहित्य विमर्श के नवीन इंप्रिट पैलेट बुक्स (palette books) से प्रकाशित हुई है वहीं दो पुस्तकें हिंदी अपराध कथाएँ हैं जो कि सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुई हैं। चलिए पहले इन तीनों पुस्तकों के विषय में जान लेते हैं:

चेडेप: इंडियन शी वैम्पायर (Chedipe : Indian She Vampire)

Chedipe: Indian She Vampire | Vickram E Diwan | Palette Books

चेडेप: इंडियन शी वैम्पायर लेखक विक्रम दीवान की नवप्रकाशित पुस्तक है। यह पुस्तक साहित्य विमर्श प्रकाशन के पैलेट बुक्स से प्रकाशित हुई है। पैलेट बुक्स के माध्यम से साहित्य विमर्श प्रकाशन ने अंग्रेजी भाषा के साहित्य को प्रकाशित करने में कदम रख दिया है।

पुस्तक की बात करें तो पुस्तक 1800 इसवीं से शुरू होती है। मध्यप्रदेश के जंगलों में चेडेप का खौफ है जो कि वहाँ मौजूद गाँव वालों को मार रही है। गाँव वाले वहाँ मौजूद अंग्रेज अफसर के पास मदद की गुहार लेकर जाते हैं। इसके बाद जो होता है यही इस उपन्यास का कथानक बनता है। यहाँ ये बताना जरूरी है कि भले ही कहानी में वैम्पायर है लेकिन यह एक हॉरर कथा नहीं है। यह मूल रूप से एक पारलौकिक रोमांचकथा (paranormal adventure) है जिसमें ऐतिहासिक गल्प (historical fiction) के कुछ तत्व भी मौजूद है।

 

पुस्तक के विषय में

She has always been with us and will always be our haunting shadow.

Chedipe entices, seduces, exploits and then kills. She traps men with beauty and repulses them with ugliness. Confronting her are a cunning English Captain, an Anglo-Iranian Anthropologist and an Indian Subedar. But can these desperados fight and defeat a supernatural being that has conquered death?

This is the hidden history of an ancient Vampire, who terrorised the villagers of Hindustan, worried the fledgling Company Raj and interested the wily and merciless thugs in the 1800s.

 

पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श | अमेज़न

ड्रेगनफ्लाई

ड्रैगनफ्लाई | शुभानन्द | सूरज पॉकेट बुक्स

ड्रेगनफ्लाई लेखक शुभानन्द द्वारा रचित जावेद अमर जॉन शृंखला का उपन्यास है। जावेद अमर जॉन सीक्रिट सर्विस के एजेंट हैं और इनके कारनामों को ही इस शृंखला के उपन्यासों में दर्शाया जाता है। इससे पूर्व इस शृंखला का उपन्यास आखिरी मिशन प्रकाशित हुआ था जो कि पाठकों को पसंद आया था। अब ड्रेगनफ्लाई के रूप में लेखक इस शृंखला का सातवाँ उपन्यास आप तक लाएँ हैं।

पुस्तक के विषय में

अपनी एक्स गर्लफ्रेंड के शहर से अचानक ही गायब हो जाने की वजह जानने की उत्सुकता सीक्रेट सर्विस ऑफिसर अमर वर्मा के लिये धीरे-धीरे एक जुनून में परिवर्तित हो जाती है। आखिरकार जब वह उसके नये एड्रेस पर पहुँचता है तो उसे उसके नाम पर कोई और ही लड़की रहती हुई मिलती है। जब इस पूरे सिलसिले के तार भारत में मौजूद चीनी जासूसों के साथ जुड़ने लगते हैं तब इंडियन सीक्रेट सर्विस के सामने एक मौका आता है कि वह अपने दुश्मन देश के जासूसों और देश के गद्दारों को सबक सिखा सकें पर कोई तो था जो रहस्य की कई परतों में छिपा उनके प्लान को फेल करने के लिये घात लगा कर बैठा था। उस अनोखी शख्सियत का कोड नेम था ‘ड्रैगनफ़्लाई’ ।

पुस्तक लिंक: अमेज़न | सूरज पॉकेट बुक्स

चौसर

चौसर | जितेन्द्र नाथ | सूरज पॉकेट बुक्स

चौसर लेखक जितेन्द्र नाथ का दूसरा उपन्यास है। इससे पहले उनका उपन्यास राख आया था जो कि एक पुलिस प्रोसीजरल उपन्यास था लेकिन इस बार वह अलग थ्रिलर लेखकों के समक्ष लाए हैं। एक बस के अपहरण से शुरू हुई यह कहानी कैसे हर पल क्या अलग मोड़ ले लेती है यह तो आप उपन्यास पढ़कर ही जान पाएँगे।

पुस्तक के विषय में

मुम्बई महानगर। न जाने कितने रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए सपनों का शहर। जब इंस्पेक्टर सुधाकर शिंदे एक कम्पनी के लापता हुए लोगों की तलाश में मुम्बई में निकला तो फिर शह और मात का एक ऐसा खेल शुरू हुआ जिसमें हर खिलाड़ी सिर्फ जीतना चाहता था । जिन्दगी और मौत के बीच बिछी चौसर की बिसात पर अपने कर्तव्य-पथ पर बढ़ते वीरों की हैरतअंगेज दास्तान…

पुस्तक लिंक: सूरज पॉकेट बुक्सअमेज़न

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तो यह थी वो पुस्तकें जिनका संपादन करने का मौका मुझे मिला। अच्छी बात यह थी कि इसमें मेहनताना भी मिला।

उम्मीद है यह किताबें आपको रोचक लगेंगी और आप इन्हें पढ़ेंगे। अगर आपने इन्हें पढ़ा है तो किताबों के विषय में आपकी राय जरूर जानना चाहूँगा। कहीं पर संपादन की त्रुटि हो तो वो भी नजर में लाएँगे तो अच्छा रहेगा।

आपके ये माह कैसे गए हैं? क्या आपने कुछ नया किया? अगर हाँ तो मुझे टिप्पणी के माध्यम से अवश्य अवगत करवाइएगा।

चलिए अब इजाजत दीजिए। उम्मीद है नवीन रचनाओं और नवीन अपडेटों के साथ जल्द ही मिलेंगे।

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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11 Comments on “अपडेट: जाता हुआ नवंबर और एक किताबी अपडेट”

  1. बहुत अच्छी जानकारी साझा की आपने । व्यस्तताओं के कारण आजकल पढ़ना कम हो पा रहा है समय मिलते ही साहित्य विमर्श पर संपादित आपकी बुक्स जरूर
    पढूँगी ।

  2. बढ़िया। अभी पिछले महीने मैंने भी एक हिन्दी कहानी संग्रह पर बीटा रीडर और एडिटर के तौर पर काम पूरा किया है। हिन्दी का मेरा पहला प्रोजेक्ट।

    ये किताबें काफी दिलचस्प लगती हैं। आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।

  3. पैशन और करियर को नए आसमां मिलें, इससे बेहतर क्या हो सकता है एक जोशीले नौजवां के लिए. आपके उज्ज्वल भविष्य हेतु बहुतबहुत शुभकामनाएं.

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