दिसंबर जनवरी में संग्रह में जुड़ी रचनाएँ |
पुस्तकों के शौक में मैंने कुछ समय इतने जोश से किताबें खरीदी कि अब पढ़ने के लिये काफी कुछ हो गया है। इसलिए अब मैं पेपरबैक किताबें कम ही लेने की कोशिश करता हूँ। पर मैंने पाया है कि मेरी यह कोशिश एक माह तक ही बामुश्किल बनी रहती है। अब दिसंबर 2021 और जनवरी 2022 की ही बात देख लीजिए। मैंने दिसंबर माह में एक भी किताब नहीं खरीदी। एक किताब जो मेरे पास आई वो केवल वह थी जो लेखिका द्वारा दी गई थी। लेकिन जनवरी का माह आया तो किताब खरीदने की इच्छा मेरे अंदर इस तरह कुलबुलाई की मुझे शांति तभी मिली जब मैंने पाँच किताबें मँगवा ली।
कभी-कभी तो मुझे लगता है किताब पढ़ना एक अलग शौक है और किताब खरीदना एक अलग ही शौक है। यकीन मानिए किताब खरीद कर एक अजीब सी खुशी मन में होती है जो उसके समतुल्य ही है जो कि एक अच्छी किताब पढ़ने से उत्पन्न होती है। क्या आपके साथ भी ऐसा होता है?
खैर, चलिए किताबें तो ले ली तो सोच इन्हें आपके साथ साझा ही कर लिया जाये। उम्मीद है आपको इन किताबों में से कोई रोचक किताब अपने लिए भी मिल जाये। वैसे भी एक किताब प्रेमी को खुद किताब खरीदने जितनी खुशी उतनी तभी होती है जब उसकी बताई किताब कोई दूसरा किताब प्रेमी खरीदे। है कि नहीं?
वैसे किताबों के विषय में बताने से पहले एक और चीज मैं आपके साथ साझा करनया चाहता हूँ। इस बार जितनी किताबें मेरे संग्रह में आई उनमें से दो ही किताबें ऐसी थीं जिसके विषय में मुझे जानकारी थी। इनमें से एक किताब अमित खान की थी जिसके विषय में मैंने अमेज़न में पढ़ा था और उसके विषय वस्तु ने मेरी रुचि जागृत की थी। वहीं दूसरी किताब सुरेश चौधरी की थी जिन्होंने अपने आम लेखन से कुछ अलग लिखने की कोशिश करी है तो मैं देखना चाहता था कि वह लेखन कैसा हुआ है। इसके अलावा रानु और जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा के उपन्यास मैंने लेखक के नाम को देखकर ही मँगवाई थी क्योंकि प्रकाशक द्वारा इनके विषय में ऐसी जानकारी साझा नहीं की गई थी जिससे पाठक इन उपन्यासों की कहानी जान सके। मुझे लगता है हर प्रकाशक को अपनी किताबों की कहानी का सार कम से कम अमेज़न जैसी वेबसाईट पर देना चाहिए ताकि पाठक की रुचि किताबों में जागृत हो। ऐसा न करने से केवल वही पाठक उस किताब को मँगवाते हैं जो लेखक से वाकिफ होते हैं। नए पाठक शायद ही उन किताबों को मँगवाने का रिस्क लें।
क्या आपने भी कभी कोई किताब लेखक का नाम देखकर मँगवाई है? या आप पहले किताब की विषय वस्तु का पता लगाते हैं और फिर किताब मँगवाते हैं? उत्तर जरूर दीजिएगा।
चलिए अब ज्यादा देर न करते हैं देखते हैं कि इस दिसंबर ’21 जनवरी ’22 के माह में जो किताबें खरीदीं वो कौन सी थीं?
बियर टेबल
‘बियर टेबल’ लेखिका सुरभि सिंघल की चौथी किताब है। तीन उपन्यासों के बाद उनका यह प्रथम कहानी संग्रह आया है।उनके इस कहानी संग्रह में 8 कहानियाँ संकलित किया गया है जिसमें आधुनिक जीवन से जुड़े कई पहलुओं को उन्होंने दर्शाने की कोशिश की है। यह कहानियाँ निम्न है:
अभिशाप अमीरी, जादूगरी, मंदाग्नि, वो अजनबी, नासूर, सट्टा बाजार, ठगी, टिश्यू पेपर
यह कहानी संग्रह लेखिका द्वारा ही मुझे प्राप्त हुआ। इस संग्रह के पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का भी मैं हिस्सा बना था जिसमें इस संग्रह पर मेरी लेखिका से एक लंबी बात हुई थी।
इस पुस्तक विमोचन की रिपोर्ट आप निम्न लिंक पर पढ़ सकते हैं:
देहरादून में लेखिका सुरभि सिंघल के कहानी संग्रह और लेखक देवेन्द्र प्रसाद के उपन्यास का हुआ विमोचन
पुस्तक लिंक: अमेज़न
और शाम ढल गई
‘और शाम ढल गई’ सामाजिक उपन्यासकार रानू का लिखा हुआ उपन्यास है। उपन्यास डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। हिंदी लोकप्रिय साहित्य में मैं पहले अपराध साहित्य, हॉरर साहित्य या फैन्टेसी ही पढ़ा करता था। लेकिन अब मैंने समाजिक उपन्यास पढ़ने की ठानी है और इसी इच्छा के तहत रानू का यह उपन्यास मँगवाया है। उपन्यास के कथानक का तो मुझे पता नहीं है और न ही पुस्तक के विषय में कहीं कुछ दर्ज है। इसे पढ़ना एक तरह का सरप्राइज़ ही रहने वाला है।
पुस्तक लिंक: अमेज़न
औरतों का शिकार
औरतों का शिकार जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा द्वारा लिखा गया उपन्यास है। यह उपन्यास नीलम जासूस कार्यालय द्वारा प्रकाशित किया गया है। उपन्यास के विषय में मुझे केवल इतना ही ज्ञात है कि उपन्यास चक्रम शृंखला का प्रथम उपन्यास है और उपन्यास पहली बार 1964 में प्रकाशित हुआ था। उपन्यास की कहानी तो पढ़ने के बाद प्राप्त होगा।
कुलदेवी का रहस्य
कुलदेवी का रहस्य जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा का लिखा हुआ उपन्यास है। 1962 में प्रकाशित यह उपन्यास गोपाली शृंखला का पहला उपन्यास है। उपन्यास नीलम जासूस कार्यालय द्वारा प्रकाशित किया गया है। उपन्यास की कहानी का पता पढ़ने के बाद ही पता चलेगा।
लौट आई छाया तथा अन्य कहानियाँ
बवंडर
बवंडर लेखक सुरेश चौधरी का पाँचवा उपन्यास है। उपन्यास रवि पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। सुरेश चौधरी सामाजिक उपन्यासकार हैं जो अपने आस-पास की कहानियाँ पाठकों को देते हैं। इस बार लेखक ने अलग तरह का उपन्यास पाठकों को देने की कोशिश की है। वह उपन्यास के विषय में लेखकीय में लिखते हैं:
बवंडर में नायक अपने परिवार को महत्व न देकर देशप्रेम को महत्व देता है। यह कहानी भारत व पड़ोसी देश से जुड़ी हुई है। जिसमें यद्ध जैसिस त्रासदी बार-बार भारत को झेलनी पड़ती है और हमारे युवा जातिवाद व धार्मिक मुद्दों को पीछे छोड़ देशप्रेम में अपना जीवन निर्वाह करते हैं।
उपन्यास रवि पॉकेट बुक्स की वेबसाईट बुक मदारी से खरीदी जा सकता है:
*****
तो यह थीं दिसंबर-जनवरी माह में मेरे संग्रह में जुड़ी नई किताबें। क्या आपने इसमें से किसी को पढ़ा है? अगर, हाँ तो उनके विषय में अपनी राय से मुझे जरूर अवगत करवाना न भूलिएगा।
क्या आपने इस दौरान कोई नई पुस्तक खरीदी हैं? अगर हाँ तो मुझे उनके विषय में जरूर बताइएगा।
आपके पुस्तक-प्रेम को नमन। आपके द्वारा क्रय की गई पुस्तकों में से रानू का उपन्यास 'और शाम ढल गई' मैंने कई वर्ष पूर्व पढ़ा था। रानू भावुकता में डूबी कथाएं (अधिकांशतः प्रेमकथाएं) लिखा करते थे। उनकी लेखन-शैली साधारण कथाओं को भी विशिष्ट बना देती थी जो पढ़ने वालों के मन को छू जाया करती थीं। यह उपन्यास ऐसा ही है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह आपको पसंद आएगा।
जी आभार। सामाजिक उपन्यासों को पढ़ने के क्रम में ही इसे क्रय किया है। हिंदी अपराध कथा लिखने वाले लेखक आजकल आ रहे हैं और कुछ सामाजिक उपन्यास पढ़ने के बाद मुझे लग रहा है इस विधा में भी लेखकों को लिखना चाहिए। उम्मीद है कोई लेखक जल्द ही इस खाली स्पेस को भरेगा। मुझे लगता है आप भी ऐसे किसी कथानक में हाथ आजमाएँ तो अच्छा रहेगा।