आज के युग में जब अत्यधिक संवेदनशील होने को एक तरह की कमजोरी माना जाता है वहीं ये सराहनीय बात है कि राज कॉमिक्स द्वारा 90 के दशक में एक ऐसा किरदार लेकर आया गया था जो कि अपनी संवेदनशीलता के कारण ही जाना जाता था।
यह किरदार था गमराज जिसका पहला कॉमिक बुक ‘गमराज’ किंग कॉमिक्स में 1995 में प्रकाशित हुआ था। गमराज की बात करें तो वह मृत्यु के देवता यमराज का पुत्र है जिसका दिल बड़ा कोमल है और लोगों के गम को वो अपना गम समझ लेता है। यह गमराज की संवेदनशीलता ही है कि वह अपने पिता यमराज से धरती पर रहकर जाने की आज्ञा माँगता है। यमराज उसे मुंबई में भेज देते हैं। साथ ही वह अपने भैंसे के पुत्र यामुण्डा को गमराज के साथ भेज देते हैं। यामुण्डा एक दैवीय भैंसा है जो कि धरती पर गमराज की सवारी का काम करता है। गमराज की इच्छानुसार वो खुद को किसी भी वाहन में बदल सकता है और गमराज को मुसीबत से भी निकालता है।
गमराज का पहला कॉमिक बुक जो कि किंग कॉमिक द्वारा प्रकाशित किया गया था |
धरती में गमराज का दोस्त शंकालु है। शंकालु एक नाटे कद का व्यक्ति है जो कि अपने नाम को सार्थक करते हुए हर बात में शंका करता है। वह एक चाल में अपनी बीवी और बारह बच्चों के साथ रहता है। भले ही खुद वह मुफलिसी में जी रहा हो लेकिन उसका दिल इतना बड़ा है कि गमराज को साथ रखने में हिचकिचाता नहीं है। क्या पता शुरुआत में हिचकिचाया भी हो? शंकालु ने पहले पहल गमराज पर शंका न की हो ये संभव तो नहीं लगता।
गमराज, शंकालु और यामुण्डा |
गमराज दिल का भोला है और इसकी कॉमिक बुक्स में कॉमेडी ऑफ एरर काफी होता है। यानी गमराज कई बार गलत आदमियों के दुख से द्रवित हो जाता है और वो गलत लोग उसके भोलेपन का फायदा उठाकर उससे ऐसे काम करवा देते हैं जो कि सही नहीं कहे जा सकते हैं। बाद में गमराज अपनी सवारी यामुण्डा की मदद से इनको सबक भी सिखाता है। लेकिन गलत लोगों के दुख से द्रवित होने के चलते चलते गमराज दूसरे सुपर हीरो के साथ भी टकरा जाता है। बीच में तो एक सीरीज चली थी जिसमें गमराज कई सुपर हीरोज के साथ आया था।
किंग कॉमिक्स से भले ही गमराज की शुरुआत हुई हो लेकिन वह शायद एक लौता किरदार था जो किंग के बंद होने के बाद राज में आ गया था और उसके लगभग सौ के करीब कॉमिक बुक्स राज कॉमिक द्वारा प्रकाशित किए गए।
अपनी बात करूँ तो मैंने गमराज की चुनिंदा कॉमिक बुक्स ही पढ़ी हैं। इनमें सामाजिक व्यंग्य से ज्यादा कॉमेडी को तरजीह दी गई लगती थी जबकि मुझे लगता है कि गमराज एक ऐसा किरदार है जिसे लेकर समाजिक व्यंग्य बहुत अच्छे से कहे जा सकते हैं। वो एक देव पुत्र है जिसके अंदर कोई दैवीय शक्ति नहीं है। वो एक साफ दिल का आदमी है जो कि अक्सर गलत लोगों द्वारा इस्तेमाल होता है। पर फिर भी वह अपने मन में मेल नहीं आने देता है और मजबूरों की मदद करने के लिए जिस तरह से आतुर रहता है। मुझे लगता है यह सब इतना सामान दे देता हैं कि लेखक इसे लेकर गहरी विचारोत्तेजक सामाजिक टिप्पणी पर भी कर सकते थे। हास्य के बजाए व्यंग्य पर अधिक ध्यान लगा सकते थे और कथानक यथार्थवादी रख सकते थे। अगर ऐसा होता तो जितना प्रभाव अभी इसका पड़ा है उससे अधिक प्रभाव शायद गमराज का पढ़ा होता।
आपको क्या लगता है?
I hope the author takes your feedback and incorporates the suggestion.Comedy can be a very effective method of social messaging.Interesting post.
विकास जी आपने तो बचपन की याद ताज़ा कर दी।
बिल्लू पिंकी,चाचा चौधरी साबू,मोटू-पतलू,ध्रुव,नागराज और भी अनगिनत किरदार हैं जिसको पढ़ने का जुनून हुआ करता था। हम बच्चों ने मिलकर अपने गुल्लक फोड़कर बकायदा कॉमिक्स लाइब्रेरी बनाई थी …।
खैर..
सीरीज की पिछली कहानियां तो पढ़ लिए बहुत अच्छा लिखते हैं आप..आगे की स्मृतियों की प्रतीक्षा रहेगी।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ अप्रैल २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर…
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत सुन्दर
सुन्दर
बहुत सुंदर
Thank you…
जी पांच लिंकों का आनंद में मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।
जी आभार
जी आभार
जी आभार