काश | कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

काश!!

‘काश’,ये शब्द नहीं लाश है,उन इच्छाओं की,उस प्रेम की,उस टूटे रिश्ते की, जो डर, झिझक और अहम के चलते,न हो सके पूरे,न बन सके दोबारा, ऐसी लाशें,जिन्हें ढोना होता है …

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इच्छाएँ | कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

इच्छाएँ

मैंने कुछ ई-बुक एग्रीगेटर की सदस्यता ली हुई है। शनिवार को जब कोलकता भ्रमण से कमरे में आया तो एक बज चुके थे। आकर सीधे सो गया।  रविवार का दिन साधारण …

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अँधेरी रात | हिंदी कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

अँधेरी रात | हिंदी कविता | विकास नैनवाल ‘अंजान’

वो गहरी अँधेरी रात थी ,केवल मेरी तन्हाईयाँ मेरे साथ थी ,हम बैठे हुए घूर रहे थे अपने टीवी को ,केवल हमारी परछाई हमारे साथ थी , अचानक हमने सुनी …

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चलो महफ़िल जमाते हैं | हिंदी कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

चलो महफ़िल जमाते हैं

चलो महफ़िल जमाते हैं,थोडा हँसते हैं ,इठलाते हैं ,चलो महफ़िल जमाते हैं, दिन भर की थकान को ,दोस्ती के दरिये में डुबाते  हैं,चलो महफ़िल जमाते है, अपने अपने दिन के किस्से एक …

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