संस्मरण: इसको तो खाना नहीं दूँगा

संस्मरण पौड़ी के: ‘इसको तो खाना नहीं दूँगा’

बचपन में जब पॉपआई को पालक खाकर ब्लूटो को मारते हुए देखता तो मन में ये आता था कि पॉपआई पालक की जगह गोभी, मटर, या बैंगन खा लेता तो …

संस्मरण पौड़ी के: ‘इसको तो खाना नहीं दूँगा’ Read More

एक मुलाकात लेखक मनोहर चमोली जी से

हाल में ही पौड़ी अपने गृह कस्बे जाना हुआ तो लेखक मनोहर चमोली से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। लेखक मनोहर चमोली गढ़वाल के जाने माने लेखक हैं और बाल …

एक मुलाकात लेखक मनोहर चमोली जी से Read More

संस्मरण पौड़ी के #2: और पत्थर बरसने लगे

इन खेतों को देखता हूँ तो इनसे जुड़ी कई यादें मन में ताज़ा हो जाती हैं। एक याद ऐसी भी जब आसमान से पत्थर बरसने लगे थे। यह सब हुआ …

संस्मरण पौड़ी के #2: और पत्थर बरसने लगे Read More

संस्मरण पौड़ी के #1: शक्तिमान – एक किंवदन्ती

खेतों में पतंग कटकर आने का इन्तजार करते बच्चे। फोटो 17 जून 2021 को खींची गई यह पतंग का मौसम है और शाम को पतंग बाजी खूब हो रही है। …

संस्मरण पौड़ी के #1: शक्तिमान – एक किंवदन्ती Read More
शिशिर ऋतु की कुछ सुखद स्मृतियाँ

शिशिर ऋतु की कुछ सुखद स्मृतियाँ

सर्दी का मौसम मुझे हमेशा से पसंद रहा है। शायद मेरा बचपन एक हिल स्टेशन,पौड़ी गढ़वाल, में बीता है तो इस कारण भी सर्दी के मौसम के प्रति मेरा कुछ ज्यादा …

शिशिर ऋतु की कुछ सुखद स्मृतियाँ Read More