काश | कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

काश!!

‘काश’,ये शब्द नहीं लाश है,उन इच्छाओं की,उस प्रेम की,उस टूटे रिश्ते की, जो डर, झिझक और अहम के चलते,न हो सके पूरे,न बन सके दोबारा, ऐसी लाशें,जिन्हें ढोना होता है …

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इच्छाएँ | कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

इच्छाएँ

मैंने कुछ ई-बुक एग्रीगेटर की सदस्यता ली हुई है। शनिवार को जब कोलकता भ्रमण से कमरे में आया तो एक बज चुके थे। आकर सीधे सो गया।  रविवार का दिन साधारण …

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मिस एडवेंचर्स ऑफ़ तोताराम

मिस एडवेंचर्स ऑफ़ तोताराम #2

(‘तोताराम’ और  ‘इलाइची’ मेरे जेहन से निकले दो किरदार हैं। कभी कभी मन के किसी कोने से उभर कर आ जाते हैं और अपनी दुनिया की झलक सी दिखा जाते …

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खुरचन | कहानी | विकास नैनवाल 'अंजान'

खुरचन

नीलकंठ का ट्रैक आखिर खत्म हो चुका था। मैं मंदिर देख आया था और अब वापस ऋषिकेश की तरफ मुड़ गया था। दिन का वक्त था। सूरज आसमान पर चढ़ा …

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मिस एडवेंचर्स ऑफ़ तोताराम

मिसएडवेंचर्स ऑफ़ तोताराम #१

‘इलाइची मैं तुझे दुनिया तबाह नहीं करने दूँगा’- रस्सियों से जकड़ा तोताराम गुर्राया। इलाइची ने अपने काले घने बालो को झटका और दुनिया भर की शोखी अपनी आवाज में घोलती …

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