काश!!
‘काश’,ये शब्द नहीं लाश है,उन इच्छाओं की,उस प्रेम की,उस टूटे रिश्ते की, जो डर, झिझक और अहम के चलते,न हो सके पूरे,न बन सके दोबारा, ऐसी लाशें,जिन्हें ढोना होता है …
काश!! Read Moreकिस बात की जल्दी है तू ठहर जरा, बैठ चाय पीते हैं दो बातें करते हैं
‘काश’,ये शब्द नहीं लाश है,उन इच्छाओं की,उस प्रेम की,उस टूटे रिश्ते की, जो डर, झिझक और अहम के चलते,न हो सके पूरे,न बन सके दोबारा, ऐसी लाशें,जिन्हें ढोना होता है …
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क्यों पढ़ते हो? क्या मिलता है पढ़कर? यह सवाल अक्सर मुझसे पूछा जाता है। न जाने कितनी बार मुझसे न जाने कितने लोगों ने यही सवाल किया है। मैं उनसे …
क्यों पढ़ते हो? Read More
एक दिन कबूतरों के एक जोड़े पर नज़र चली गई और फिर अपने जीवन में मौजूद प्रेम कबूतरों का ख्याल मन में आ गया। उसी से ये निकला है। यह …
प्रेम कबूतर Read More
मैंने कुछ ई-बुक एग्रीगेटर की सदस्यता ली हुई है। शनिवार को जब कोलकता भ्रमण से कमरे में आया तो एक बज चुके थे। आकर सीधे सो गया। रविवार का दिन साधारण …
इच्छाएँ Read More
यूँ ही ऑफिस में बैठकर कुछ पंक्तियाँ मन में उभरी थी तो उन्हें गूगल ड्राइव के दस्तावेज में नोट कर दिया था। कुछ भी पुख्ता नहीं बन पाया था। यह पिछले …
किधर जाएँ Read More
(व्हाटसैप के एक समूह में दोस्तों के साथ बातचीत चल रही थी। इस समूह में एक मित्र ने अपने जीवन की कुछ घटना बताई और उनकी टांग खींचने के लिए …
पेशावरी हसीना Read Moreखुद ही ज़ख्म देके मरहम लगाते हो ,मेरी जान क्यूँ मुझ पर गजब ढाते हो , मेरी हालत देख कर जब तुम मुस्कुराते हो ,पता है कितना मुझ पर गज़ब …
गजब ढाते हो Read More
जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरेन जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे , सोचता हूँ ये क्या हो रहा हैं मुझे ,क्या नाम है इस मर्ज का मेरे , …
ख्याल और मुस्कराहट Read More
वो गहरी अँधेरी रात थी ,केवल मेरी तन्हाईयाँ मेरे साथ थी ,हम बैठे हुए घूर रहे थे अपने टीवी को ,केवल हमारी परछाई हमारे साथ थी , अचानक हमने सुनी …
अँधेरी रात | हिंदी कविता | विकास नैनवाल ‘अंजान’ Read More
चलो महफ़िल जमाते हैं,थोडा हँसते हैं ,इठलाते हैं ,चलो महफ़िल जमाते हैं, दिन भर की थकान को ,दोस्ती के दरिये में डुबाते हैं,चलो महफ़िल जमाते है, अपने अपने दिन के किस्से एक …
चलो महफ़िल जमाते हैं Read More