
संस्मरण पौड़ी के: ‘इसको तो खाना नहीं दूँगा’
बचपन में जब पॉपआई को पालक खाकर ब्लूटो को मारते हुए देखता तो मन में ये आता था कि पॉपआई पालक की जगह गोभी, मटर, या बैंगन खा लेता तो …
संस्मरण पौड़ी के: ‘इसको तो खाना नहीं दूँगा’ Read Moreकिस बात की जल्दी है तू ठहर जरा, बैठ चाय पीते हैं दो बातें करते हैं
बचपन में जब पॉपआई को पालक खाकर ब्लूटो को मारते हुए देखता तो मन में ये आता था कि पॉपआई पालक की जगह गोभी, मटर, या बैंगन खा लेता तो …
संस्मरण पौड़ी के: ‘इसको तो खाना नहीं दूँगा’ Read Moreआज पौड़ी से जुड़ा जो संस्मरण मैं साझा करने जा रहा हूँ वह थोडा अलग किस्म है। इसके लिए एक भूमिका आपको देनी जरूरी है। अगर आप दुईबात को पढ़ते …
संस्मरण पौड़ी के #3: खबेस उत्पत्ति कथा Read Moreइन खेतों को देखता हूँ तो इनसे जुड़ी कई यादें मन में ताज़ा हो जाती हैं। एक याद ऐसी भी जब आसमान से पत्थर बरसने लगे थे। यह सब हुआ …
संस्मरण पौड़ी के #2: और पत्थर बरसने लगे Read Moreखेतों में पतंग कटकर आने का इन्तजार करते बच्चे। फोटो 17 जून 2021 को खींची गई यह पतंग का मौसम है और शाम को पतंग बाजी खूब हो रही है। …
संस्मरण पौड़ी के #1: शक्तिमान – एक किंवदन्ती Read More