दिल्ली बुक फेयर 2016

दिल्ली बुक फेयर 2016
दिल्ली बुक फेयर 2016 कल (4 सितम्बर) समाप्त हुआ। यह पुस्तक मेला 27 अगस्त से 4 सितम्बर तक था। यह 22 वाँ पुस्तक मेला है।लेकिन मैं पहली बार  दिल्ली पुस्तक मेले में गया। वैसे तो ये मेला दस दिन चला लेकिन मैं केवल दो दिन ही इधर गया। एक तो कल यानी चार सितम्बर को और उससे पहले पिछले हफ्ते 28 अगस्त को।
इससे पहले मैं केवल वर्ल्ड बुक फेयर में शामिल हुआ था। हाँ, ये बात अलग है उधर एक ही दिन गया था।
पुस्तक मेले में जाकर मुझे काफी अच्छा लगा। काफी पुस्तकें खरीदीं। कुछ पुस्तकें वो खरीदी जो पढ़ी नहीं थी और कुछ ऐसी जो पढ़ी तो थी लेकिन मेरी पर्सनल लाइब्रेरी में नहीं थी। वैसे, पुस्तक मेले में जाकर मेरी इच्छा होती है कि ऐसी किताबें खरीदने की कोशिश करूँ जिनके विषय में पहले से न जानता होऊँ और उनके बैककवर में दिए गये संक्षिप्त परिचय से ही अंदाजा लगाऊँ की वो मेरे लिए रुचिकर होंगी या नहीं।
पुस्तक मेला दो हॉल्स में था एक हॉल 9 से ग्यारह और दूसरा बारह के बाद। हाँ, विश्व पुस्तक मेले से इसकी तुलना करें तो स्टाल मुझे काफी कम लगें। और भीड़ भी जब मैं उधर था तो इतनी नहीं थी। लेकिन ये हो सकता है दोनों वक्त मैं उधर ग्यारह से 3 बजे के बीच में ही था तो भीड़ शाम के वक्त ज्यादा रही हो।
पुस्तकों की अगर बात करें तो हिंदी के प्रकाशकों के स्टाल्स तो थे और वो दस से पंद्रह प्रतिशत का डिस्काउंट भी दे रहे थे। लेकिन खरीदारी के मामले में भीड़ ज्यादा उन दुकानों में थी जहाँ पुराने उपन्यास 100 रूपये के , 100 रूपये में तीन और बीस रुपये के हिसाब से बिक रहे थे। मैंने भी इधर से काफी उपन्यास उठाये। अंग्रेजी के ज्यादातर उपन्यास तो इधर से ही उठाये। ऐसी जगहों में हिंदी के उपन्यास थे ही नहीं और मैं सोच रहा था कि क्या कभी ऐसा होगा कि हिंदी के उपन्यास ऐसे बिका करेंगे। वैसे एक बात और नोट करने वाली है। ऐसी जगहों पर धड़ले से बिकने वाले उपन्यास ज्यादातर मनोरंजक उपन्यास थे। और हिंदी में मनोरंजक उपन्यासों का अकाल सा है।  अगर वो बढ़ेंगे तो शायद वो भी ऐसे ही बिका करेंगे और पाठक ऐसे ही उनके लिए भीड़ लगाये खड़े रहेंगे। लेकिन हिंदी में तो ये हाल है जहाँ अगाथा क्रिस्टी के पहला उपन्यास अभी भी आसानी से उपलब्ध है वहीं जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा, सु मो पा, वेद प्रकाश शर्मा के पुराने टाइटल केवल इ बुक फॉर्मेट में उपलब्ध है। और ई बुक तक अभी सबकी पहुँच नहीं हुई है। और व्यक्तिगत तौर पर मुझे तो ई बुक के पेज स्लाइड करने से ज्यादा मज़ा हार्ड कॉपी के पन्ने पलटने में आता है।
खैर, ये तो मेरे विचार थे जो पुस्तक मेले में मैंने महसूस किया। हाँ, मुझे तस्वीरें लेने  का इतना शौक नहीं है तो तस्वीर केवल जो पुस्तकें ली उसी की हैं। और एक लौती तस्वीर बाहर लगे पोस्टर की।
वो पुस्तकें जो मैंने पुस्तक मेले से लीं:
28th अगस्त 2016
  1. पतझर की आवाज़ – कुर्रतुलऐन हैदर
  2. तीसरा प्राणी – मनोज दास
  3. छः बीघा ज़मीन – फकीरमोहन सेनापति
  4. तौशाली की हंसो – जसवंत सिंह कँवल
  5. गढ़वाली – केशवदत्त रुषाली
  6. ध्रुवतारे – गुलज़ार सिंह संधू 
  7. आज़ादी की छाँव में – बेगम अनीस किदवई
  8. अस्मिता की अग्नि परीक्षा – डॉ मिनाक्षी स्वामी
  9. फायर एरिया – इलियास अहमद गद्दी
  10. संकलित निबंध – हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
  11. Live by Night – Dennis Lehane
  12. The Canyon of Souls – Ronald Malfi
  13. Mansuri, Macabre – Sudhir Thapliyal
  14. Vampire Destiny Trilogy – Darren Shan
  15. Carnage by Angels – Y P Singh
  16. The Last War – Sandipan Deb
  17. One Shot – Lee Child
  18. The Clockwork Man – William Jablonsky
  19. The Skinning Tree- Srikumar Sen
  20. The Girl with the Dragon Tattoo – Stieg Larsson
  21. The Girl who Played with Fire – Stieg Larsson
  22. The Girl who kicked the Hornet’s Nest – Stieg Larsson
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4 सितम्बर 2016

  1. Black house by Stephen King
  2. Lisey’s Story by Stephen King
  3. Pet Semetary by Stephen King
  4. Rose Madder by Stephen King
  5. Dust of Dreams – Steven Erikson
  6. Personal – Lee Child
  7. Nothing to Lose – Lee Child
  8. Never Go back – Lee Child
  9. 61 hours – Lee Child
  10. स्त्री मुक्ति: साझा चूल्हा – अनामिका
  11. संकलित कहानियाँ – मुद्राराक्षस
  12. बकुल कथा – आशापूर्णा देवी
  13. मुझे चाँद चाहिए सुरेंद्र वर्मा
  14. अंतिम अरण्य – निर्मल वर्मा
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तो ये तो थी मेरी खरीदारी। क्या आप पुस्तक मेले में गये थे? अगर हाँ तो आपने क्या खरीदा? और आप किताबों का चुनाव कैसे करते हैं? क्या आप सूची बनाकर जाते हैं या मेरी तरह घुमते हुए जो पसन्द आए उसे उठा लाते हैं। और आप लोग अधिकतर कितने का बजट बनाकर जाते हैं? अपने विचारों से जरूर अवगत कराईयेगा।

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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