कुछ खरीद फरोख्त: दिल्ली के संडे मार्किट से

अप्रैल के बाद नवम्बर में ही दिल्ली के संडे मार्किट जाना हुआ है। उस वक्त की कई किताबें अभी पढ़नी बाकी है लेकिन फिर भी उधर जाकर किताबें खरीदने के लोभ से मैं पार नहीं पा सका।
पिछली बार मनन के साथ संडे मार्किट गया था और इस बार किशन के साथ उधर का दौरा किया। खरीदने को तो काफी कुछ था लेकिन अभी काफी किताबें मेरे पास ऐसी पड़ी हुई है जिन्हें पढ़ना बाकी है तो चुनाचे कम खरीदने का फैसला किया।
इस बार जो किताबें ली हैं वो निम्न हैं:
दस रुपये में खरीदी गई किताबें:
  1. Blott on the landscape by Tom Sharpe
  2. Last Seen Wearing by Collin Dexter
  3. Gunsights by Elmore Leonard
  4. Fade to Black by Nyx Smith
  5. Warriors of the Deep (A doctor who novel) by Terrance Dicks
  6. The Scold’s Bridle by Minette Walters

(ऊपर की किताबों की टोटल कीमत 60 rs)

बीस रपयों में खरीदी गई किताबें:

  1. Brave new  World by Aldous Huxley
  2. Original Sin by PD James
  3. The Poet by Michael Connelly
  4. From the Corner of his Eye by Dean Koontz
  5. The Beach by Alex Garland
  6. The Cheerleader by Caroline B Cooney
  7. All the Pretty Horses by Cormac McCarthy
  8. Witch Child by Celia Rees
  9. One Day by David Nicholls
  10. The Red Room by Nicci French
  11. Elvis and the Memphis Mafia by Alanna Nash
  12. The Taking by Dean Koontz
  13. Our Fathers by Andrew O’Hagan
  14. Scaredy Cat by Mark Billingham
  15. Slob by Rex Miller

(300 rs में ऊपर की सारी किताबें आ गयी थीं।)

यानी अगर टोटल मूल्य देखें तो 21 किताबें 360 रूपये में आ गयी थीं। ये मेरे लिए तो मुनाफे का सौदा रहा है।

अगर आप लोग भी सस्ती किताबों के शौक़ीन हैं और किताबों के अम्बार में से अपनी पसंद की किताबें चुनने की मेहनत कर सकते हैं तो आपको इधर जरूर जाना चाहिए।

कैसे जाएँगे? अगर इसमें क्या है। दिल्ली मेट्रो में बैठिए और चाँदनी चौक मेट्रो स्टेशन पहुँचिये। स्टेशन में उतर कर लाल किले की तरफ पैदल चलिए और उधर से किसी को भी संडे मार्किट के विषय में पूछिये। आप पहुँच जायेंगे। अगर रिक्शा करना चाहते हैं तो वो भी कर सकते हैं। 30-40 रूपये में पहुँचा देगा आपको।अगर मेट्रो से ही जाना है तो दिल्ली गेट मेट्रो पर उतरिये। उसी के बाहर से शुरू हो जाता है। उधर से लाल किला के तरफ बढ़िये किताबों को देखते देखते।

तो इन्तजार किस बात का है?? जाइये और ले आइये अपनी मन पसन्द किताब? किताब लायेंगे तो इधर जरूर बताईयेगा कि क्या क्या खरीदा।

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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3 Comments on “कुछ खरीद फरोख्त: दिल्ली के संडे मार्किट से”

  1. मुझे तो लग रहा है यह जगह दिल्ली में आपकी सबसे पसंदीदा जगह होगी क्योंकि जितनी किताबे आप पढ़ते हो उसके हिसाब से यह जगह पसंदीदा होगी ही..

  2. जी, पहले तो महीने में एक बार चला जाता था। उधर से अब इतना खरीद चुका हूँ कि पढ़ने में दो तीन साल लगेंगे। 😂😂😂😂😂 किस्से कहानियों के प्रेमियों के किसी स्वर्ग से कम नहीं है यह जगह…किफायती दामों में कितने ही किस्से अपने साथ समेट कर लाये जा सकते हैं…

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