बचपन में हम सभी के बीच गोविंद कहरा जैसा दोस्त होता है। (अब आप पूछेंगे गोविंद कहरा कौन? तो इसके लिए आपको उदय प्रकाश जी की कहानी हत्या पढ़नी होगी।) गोविंद कहरा जैसे दोस्त वो होते हैं जो दोस्तों की मंडली में अपनी गप्पों के लिए जाने जाते। उनकी गप्पे इतनी रसीली होती हैं कि कोरी गप होने के बावजूद सभी सुनने के लिए ललायित रहते हैं। कई बार ये गप्प इतनी प्रचलित हो जाती हैं कि यथार्थ से कोसों दूर होने बावजूद सुनने वालों के लिए यथार्थ से कम भी नहीं होती है। कभी कभार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक भी इन गप्पों का रिसाव हो जाता है। और लोग इन बातों को सच मानने लगते हैं। इस प्रक्रिया में अक्सर गप्पों में मसाला बढ़ जाता है।
मेरे बचपन की ऐसी ही दो बात मुझे याद आती है जो उन दिनों हम लड़को के बीच गप्प होते हुए हमारे लिए असलियत थीं:
- फूलों की घाटी में एलियंस उतरते हैं(वो अलग बात है पिछले साल मैं उधर गया तो कोई एलियन मुझे नहीं मिला। 😉😉😉😉)
- किसी पिल्ले को कान से उठाओ और अगर वो रोता नहीं है तो ही वो भोटिया कुत्ता होता है फिर भले ही उसके माँ बाप पामेरियन क्यों न हो। इस बात से उसके भोटिया होने पर असर नहीं पड़ता था। (बाघ के डर से हम बच्चे अकेले बाथरूम भी नहीं जाते थे। तो हमारी निगाह में भोटिया कुत्ता एक मिथकीय जीव था।दो भोटिया कुत्ते मिलकर बाघ को उसकी नानी याद दिला सकते थे ऐसा हमारा मानना था।)
- चुड़ैल के गले में मंगलसूत्र डालो तो वो आपकी गुलाम हो जाती थी। (ये जुदा बात है कि कई शादी शुदा मर्दों ने इस प्रक्रिया को उल्टा बताया है। शादी के पश्चात मर्द किस चीज में mutate होते हैं इसके बारे में जानकारी नहीं मिली है। किसी को हो विशेषकर महिलाओं में तो बताए। 😉😉😉😉)
ये बातें कैसे प्रचलित हुई ये तो मुझे याद नहीं। मेरे जीवन में मौजूद ‘गोविंद कहरा’ या उसके जैसे अनेक लोग उम्र के कुहासे में खो से गये हैं। बस रह गई थी तो ये भ्रांतियाँ जो काफी समय तक मैं सच ही समझता था। आज उदय जी कहानी में गोविंद कहरा के विषय में पढ़ा तो ये बातें याद आ गई जो बचपन में हमारे लिए रहस्य,रोमांच और रोचकता लिए होती थी।
तो आपकी ज़िंदगी में क्या गोविंद कहरा हुए हैं?? और ऐसी कौन सी गप्प उन्होंने सुनाई तो थी तो कल्पना की उड़ान लेकिन आपको काफी समय तक सच ही लगी?
बताईये। और अपने क़िस्से साझा कीजिए।