फोटो निबन्ध: घुमक्कड़ी के कुछ अद्भुत क्षण

फोटो निबन्ध: घुमक्कड़ी के कुछ अद्भुत क्षण

नीलम रावत पेशे से खाद्य वैज्ञानिक  हैं लेकिन उन्हें घूमने फिरने का शौक है। उनका यही शौक उन्हें देश के कई कोनों में ले जाता है।

इस पोस्ट में नीलम रावत ने हमारे साथ घुमक्कड़ी के कुछ ऐसे ही क्षणों को साझा किया है।

इन क्षणों में उन्होंने दक्षिण भारत की अपनी एक यात्रा, जिसमें वो कर्नाटक के गोकर्ण और हम्पी क्षेत्र में गयी थी, और उत्तर-पूर्वी भारत में नागालैंड और मणिपुर की सीमा पर बसी  जूको घाटी की घुमक्कड़ी के दौरान ली गयी कुछ तस्वीरों को साझा किया है।

उम्मीद है यह फोटो निबन्ध आपको पसंद आयेगा।

नीलम रावत का पूरा परिचय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
नीलम रावत


गोकर्ण

गोकर्ण कर्नाटक के मैंगलोर के निकट मौजूद एक गाँव है । यह एक धार्मिक स्थल भी है। गोकर्ण नाम को लेकर कई धारणाएं इधर प्रचलित हैं। एक धारणा के अनुसार यहाँ के लोगों का मानना है कि शिव जी का जन्म गाय के कान से हुआ था और इसी कारण यहाँ का नाम गोकर्ण पड़ा। वहीं ऐसा भी माना जाता है कि यह गाँव, जो कि गंगावली और अघनाशिनी नाम की दो नदियों के संगम पर बसा है, दिखने में कान यानी कर्ण के समान है। (स्रोत: विकिपीडिया)यह गाँव अपने तटों और मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है। हर साल यहाँ की खूबसूरती कई पर्यटकों को अपने पास खींच लाती है।

 

हम्पी :
कर्नाटक का यह नगर अपने अवशेषों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। हम्पी तुंगभद्र  नदी के तट पर बसा हुआ है। यह कभी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। जब आक्रान्ताओं ने विजयनगर साम्राज्य पर हमला किया तो उन्होंने हम्पी को भी तहस नहस कर दिया। भले ही अब उस नगर के अवशेष ही बचे हैं लेकिन इन्हें देखकर इस नगर की समृद्धि का भान हो जाता है।

यह एक वर्ल्ड हेरिटेज साईट है।

ज़ुको घाटी:
नागालैंड और मणिपुर की सीमा पर बसी यह घाटी अपनी खूबसूरती से आपका मन मोह लेती है। कहा जाता है कि विस्वेमा जाति के कुछ पूर्वज इधर अपना गाँव बसाने आये थे। उन्होंने यहाँ रहने की कोशिश की लेकिन चूँकि यहाँ कि परिस्थितियाँ कुछ भी खाद्यान्न उगाने के लिए अनुकूल नहीं थी तो वह इस जगह को यह कहकर छोड़ आये कि यह जगह खूबसूरत तो है लेकिन पत्थर दिल है। जुको विस्वेमा भाषा में संगदिल या पत्थर दिल ही होता है।

यह घाटी समुद्र तल से 2452 मीटर ऊपर है। इस घाटी में वैसे तो कई सारे फूल खिलते रहते हैं लेकिन यह जुको लिली के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। अब अपनी खूबसूरती से हर साल यह घाटी पर्यटकों को मोह कर उन्हें अपने पास बुलाने में सफल हो जाती है।

नीलम द्वारा गोकर्ण, हम्पी और जुको घाटी की घुमक्कड़ी के दौरान कैद किये गये कुछ पल। उम्मीद है इन पलो का साथी बनना आपको भी उतना ही पसंद आया होगा जितना कि मुझे आया।

©विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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16 Comments on “फोटो निबन्ध: घुमक्कड़ी के कुछ अद्भुत क्षण”

  1. हर बार की तरह इस बार भी दुई बात पर अलग सा पढ़ने और देखने को मिला । कर्नाटक के देखे हुए स्थान नीलम रावत जी की फोटोग्राफी के साथ पुनः आँखों के आगे साकार हो गए।

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