अगस्त 2021 में पढ़ी गयी किताबें |
मर्डर इन द मोनास्टेरी – बरुन चन्दा
अगस्त में सबसे पहली रचना जो मैंने पढ़कर खत्म की थी वो बरुन चंदा का उपन्यास मर्डर इन मोनास्टरी है। यह एक रहस्यकथा है। बरुन चन्दा बांग्ला फिल्मों के ऐक्टर हैं। कुछ समय से बांग्ला फिल्में देखने का चस्का लगा तो इनकी अदाकारी ने मुझे आकर्षित किया। विकिपिडिया में इनके विषय में ज्यादा जानकारी जुटाने गया तो यह सुखद बात पता चली की बरुन एक उपन्यासकार हैं और अब तक दो उपन्यास लिखे चुके हैं। यह उपन्यास बांग्ला और अंग्रेजी में प्रकाशित हुए थे। वहीं जब पता चला कि उपन्यास रहस्यकथाएँ हैं तो मैं इनमें से एक पढ़ने का लोभ संवरण नहीं कर पाया। मर्डर इन द मोनास्टेरी जैसे नाम से ही जाहिरर है एक बौद्ध मठ में हुए कत्ल की कहानी है।दारजेलिंग की खूबसूरत माहौल में बसाई गयी यह कथा अंत तक आपका मनोरंजन करती है। उपन्यास का नायक अविनाश रॉय है जो पचास वर्षीय प्राइवेट डिटेक्टिव है और छुट्टियाँ मनाने डेंगजियांग मठ आया रहता है। यहाँ वह एक दुर्लभ पांडुलिपि और एक कत्ल के मामले में ऐसे उलझ जाता है कि उसकी जान पर बन आती है। उपन्यास रोचक है और लेखक ने इसमें काफी संदिग्ध किरदार रखकर उपन्यास के रहस्य को अंत तक बरकरार रखा है। उपन्यास मुझे पसंद आया।
किताब लिंक: अमेज़न
स्वीट मर्डर – तन्वी अठावले
स्वीट मर्डर तन्वी अठावले की कहानी है। यह कहानी मैंने जगरनॉट ऐप्लकैशन पर पढ़ी थी। इस ऐप्लकैशन पर भी मैं गाहे बगाहे चीजें पढ़ता रहता हूँ। कहानी एक डार्क कॉमेडी है जिसके केंद्र में एक भ्रष्ट सरकारी अफसर का परिवार है।
सीता राम चौधरी एक भ्रष्ट सरकारी अफसर है। मालती सीताराम की पत्नी है और उसका भोला बाबा पर अगाध विश्वास है। जब भोला बाबा उसे बताते हैं कि अगले एक हफ्ते में उसके पति के हाथों मालती के किसी चाहने वाले का कत्ल होगा तो उसके पाँव तले जमीन खिसक जाती है। वह अपने पति द्वारा होने वाले इस कत्ल को किस तरह रोकती है और इसके चलते क्या हास्यसपद परिस्थितयाँ बन जाती है यही कहानी बनती है। लेखिका ने हास्य का सहारा लेकर हमारे भ्रष्ट सरकारी तंत्र पर टिप्पणी की है जो कि मुझे अच्छी लगी। कहानी एक बार पढ़ी जा सकती है।
कहानी की विस्तृत समीक्षा:
पुस्तक लिंक: जगरनॉट
मौत की दस्तक – संतोष पाठक
अगस्त में पढ़ी जाने वाली अगली रचना संतोष पाठक द्वारा लिखा गया उपन्यास मौत की दस्तक था। यह आशीष गौतम शृंखला का दूसरा उपन्यास है। उपन्यास की शुरुआत आशीष को आए एक फोन कॉल से होती है जो आगे जाकर कई कत्लों के सिलसिले में तब्दील हो जाती है। यह कत्ल क्यों हो रहे हैं और इनके पीछे कौन शामिल है यह उपन्यास पढ़कर ही जाना जा सकता है।
उपन्यास रोचक है और अंत तक आपको बांधकर रखता है। संतोष पाठक जी ने कुछ ही समय में अपना एक वृहद पाठक वर्ग खड़ा कर दिया है और ऐसा वो कैसे कर पाएँ हैं यह उपन्यास उसका एक अच्छा उदाहरण है। रहस्यकथाएँ आपको पसंद हैं तो एक बार इसे जरूर पढ़ें।
उपन्यास की विस्तृत समीक्षा:
पुस्तक लिंक: अमेज़न
विराट 8
विराट 8 विराट शृंखला का आठवाँ कॉमिक बुक है। इस कॉमिक बुक में कहानी विराट 7 से आगे बढ़ती है। विराट 7 के अंत में पाठकों ने देखा था कि विराट ने अपने दोस्त नटवर और दुर्जन सिंह को कालभैरव की कैद से छुड़ा दिया था। अब वह तीनों प्रचण्डदेव के तिलस्म में यशोधरा और राजनर्तकी को ढूँढने निकल पड़े थे। प्रचण्डदेव इस तिकड़ी को रोकने के लिये अब क्या चाल चलता है यही इस कॉमिक का कथानक बनता है। कॉमिक शृंखला की अन्य कॉमिक बुक्स की तरह रोचक है और आपका मनोरंजन करने में सफल होती है।
कॉमिक बुक के ऊपर मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
समीक्षा: विराट
तीन रन का सौदा
वाईपर – गोपाल शर्मा
विराट 9
विराट 9 विराट शृंखला का आखिरी कॉमिक बुक है। इस कॉमिक बुक में विराट का टकराव प्रचण्डदेव से होता है। पर यह टकराव होना इतना आसान नहीं है। विराट को प्रचण्डदेव से टकराने से पहले छः तिलस्मी दरवाजे पार करने होंगे। यह कौन से तिलस्में दरवाजे हैं और विराट इनसे कैसे पार पाता है यही कॉमिक का कथानक बनता है।
कॉमिक बुक वैसे तो अच्छा बन पड़ा है लेकिन मुझे लगता है तिलस्मी दरवाजे और रोमांचक हो सकते थे। वहीं कुछ बातें कॉमिक में ऐसी रह गयी थी जिन्हे कुछ एक्स्ट्रा पृष्ठ जोड़कर बताया जा सकता था। हाँ, यहाँ मैं ये जरूर कहना चाहूँगा कि यह शृंखला यहीं पर राज ने रोक दी थी। हो सकता है उनका आगे कुछ और करने का विचार रहा हो लेकिन यह नौ कॉमिक बुक की शृंखला मेरी पसंदीदा शृंखला में शामिल हो चुकी है।
कॉमिक बुक के ऊपर मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
यह भी पढ़ें: विराट शृंखला का संक्षिप्त परिचय
नारीपना -मोहित शर्मा ‘जहन’
बाँकेलाल और कलियुग
कॉमिक बुक के ऊपर मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
समीक्षा: बाँकेलाल और कलियुग
आपने पाठक साहब का अंडर-रेटेड उपन्यास 'एक ही अंजाम' पढ़ा, जानकर ख़ुशी हुई विकास जी। यह पाठक साहब के बेहतरीन लेकिन बहुत कम चर्चित उपन्यासों में से एक है। आपने 'गोपाल शर्मा' का एक रिप्रिंट पढ़ा, यह भी अच्छी बात है। एक ज़माने में गोपाल शर्मा का नाम लुगदी साहित्य का जाना-माना नाम हुआ करता था। लेकिन जिस बात ने मुझे आपकी ख़ास तारीफ़ करने पर मजबूर कर दिया है, वह है आपके द्वारा बांग्ला अभिनेता बरून चंदा द्वारा रचित उपन्यास का पठन। बरून चंदा बांग्ला के तो जाने-माने अभिनेता हैं ही, उन्होंने रणवीर सिंह और सोनाक्षी सिन्हा अभिनीत उत्कृष्ट हिंदी फ़िल्म 'लुटेरा' (2013) में भी (नायिका के पिता की भूमिका में) सराहनीय अभिनय किया था। आपने मुझे यह नवीन जानकारी दी कि वे लेखक भी हैं और वो भी रहस्यकथा लेखक। उनका यह उपन्यास तो पढ़ना ही होगा। बहुत-बहुत आभार आपका। ऐसी पठन-पाठन की आदत वास्तविक अर्थों में आज बहुत कम लोगों में रह गई है। आपने आज भी इसे बनाए रखा है, यह बहुत बड़ी बात है।
आभार सर। बरुन जी की मैंने बांग्ला में ऐसी काफी फिल्में देखी है जिनमें वह छोटे छोटे रोल में भी अपनी छाप छोड़ जाते हैं। ऐसे में मेरे लिए उनके विषय में यह जानना अच्छा अनुभव रहा था। अच्छा लगा ये देखकर कि यह जानकारी आपको पसंद आई। पुस्तक के प्रति आपकी राय का इंतजार रहेगा।
अरे वाह!नैनवाल जी इतनी भागदौड़ भरी दिनचर्या में भी आपने एक महीने में दस-दस किताबें पढ़ डाली!…हैरान हूँ आपके शौक और सिद्धत पे !
कमाल है…।
बहुत बहुत नमन आपको।
जी आभार मैम। इसमें हैरान होने की बात नहीं है। मेरी कोशिश रहती है कि दिन में पंद्रह मिनट से आधा घंटा पढ़ने के शौक को दूँ और इतने में बीस से पचास पृष्ठ तक आसानी से पढे जा सकते हैं जो महीने में जोड़े तो दस किताबें बना ही लेते हैं। टीवी और फोन पर बिताने वाला वक्त मैंने काफी कम कर दिया है।