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एक हसीं अफसाना लिख रहा हूँ,
दिल का एक तराना लिख रहा हूँ,
दिल के टुकड़े तो कई हो चुके मेरे,
मैं दिल बहलाने का बहाना लिख रहा हूँ
देख भड़क जाते हैं वो मेरे शब्दों को यूँ
करूँ क्या, मैं तो ज़माना लिख रहा हूँ
है जख्म इतने, अब क्या करें अंजान,
कराहना है, मगर मुस्कराना लिख रहा हूँ
– विकास नैनवाल ‘अंजान’
वाह
आभार सर…
बहुत ही सुन्दर तराना लिखा है आपने…वाह!!!
जी आभार मैम…