लिख रहा हूँ

 

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एक हसीं अफसाना लिख रहा हूँ,

दिल का एक तराना लिख रहा हूँ,

दिल के टुकड़े तो कई हो चुके मेरे,

मैं दिल बहलाने का बहाना लिख रहा हूँ

देख भड़क जाते हैं वो मेरे शब्दों को यूँ 

करूँ क्या, मैं तो ज़माना लिख रहा हूँ

है जख्म इतने, अब क्या करें अंजान,

कराहना है, मगर मुस्कराना लिख रहा हूँ

– विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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