अकेले हैं इधर, बुलाएँ हम किसको

अकेले हैं इधर, बुलाएँ हम किसको
अकेले हैं इधर, बुलाएँ हम किसको Image by Pam Patterson from Pixabay

जी रहे हैं कैसे ये बताएँ हम किसको
घाव अपने ये दिखाएँ हम किसको

रात है काली, और दिखता कुछ नहीं,
अकेले हैं इधर, बुलाएँ हम किसको

आया है कुछ जहन में शेर सा मेरे,
रहे हैं ढूँढ के अब सुनाएँ हम किसको 

हैं एक ही थैली के चट्टे बट्टे सभी इधर
रहे हैं सोच इस बार जिताएँ हम किसको

होती बन्द आँखें खेमों के हिसाब से अंजान
 करें सोने का यूँ नाटक, जगाएँ हम किसको

– विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “अकेले हैं इधर, बुलाएँ हम किसको”

  1. ऐसा लग रहा की आपने आज सुबह मेरे मन के भाव पढ़ लिए है। अति सुन्दर।

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