जगह: कंडोलिया मंदिर की तरफ जाते हुए गढ़वाल पौड़ी उत्तराखंड में |
रास्तों पर चले थे अकेले
मिली न मंजिल
तुम मिल गए
कभी लड़े-झगड़े, कभी साथ मुस्कराये हम
न जाने कब एक दूसरे की मंजिल हो गए
विकास नैनवाल ‘अंजान’
18 अप्रैल 2022, पौड़ी उत्तराखंड
किस बात की जल्दी है तू ठहर जरा, बैठ चाय पीते हैं दो बातें करते हैं
जी पांच लिंकों का आनंद में मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।
चर्चाअंक में मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।
बहुत बढ़िया अनुज कब एक दूसरे की मंज़िल हो गए 👌
सादर
ऐसे ही मोड़ों पर बहुत यादें पीछे रह जाती हैं
जी आभार, दीदी…
जी सही कहा। आभार।
जी आभार।
सुन्दर! कविता और चित्र, दोनों।
जी आभार..
नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 25 अप्रैल 2022 को 'रहे सदा निर्भीक, झूठ को कभी न सहते' (चर्चा अंक 4410) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 25 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ….
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा… धन्यवाद!
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वाह
बहुत सुंदर