मार्च 2022 में छः पुस्तकें मेरे संग्रह में जुड़ी। इन छः पुस्तकों में दो उपन्यास, एक यात्रा वृत्तान्त, एक कहानी संग्रह, एक भोजपुरी लेख संग्रह, और एक लघु-कथा संग्रह शामिल था।
हुआ ये कि साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा दिसंबर में एक घोषणा की गई थी कि वह वार्षिक सदस्यता आरंभ कर रहे हैं जिसके अंतर्गत एक बार सदस्यता राशि, जो कि उस वक्त पचास प्रतिशत के डिस्काउंट पर 1499 में मिल रही थी, जमा करने पर सदस्यों को वर्ष 2022 में प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सभी पुस्तकें बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के भेजी जाएँगी। मैं वैसे तो साहित्य विमर्श प्रकाशन से जुड़ा हुआ हूँ लेकिन फिर भी इस अवसर का लोभ संवरण नहीं कर पाया और मैंने ये सदस्यता तुरंत हासिल कर ली। हाँ, टीम से मैंने ये अनुरोध किया था कि हर माह की बजाए किताब समूह में भेजे हैं और उन्होंने जनवरी-फरवरी में प्रकाशित किताबें मुझे भेज दी।
तो मार्च का माह साहित्य विमर्श की किताबों के नाम रहा। चलिए देखते हैं यह किताबें कौन सी हैं:
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मार्च 2022 में संग्रह में जुड़ी किताबें |
भोजपुरीयत के थाती
‘भोजपुरियत के थाती’ साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पहली भोजपुरी की किताब है। प्रमोद कुमार तिवारी द्वारा लिखी इस किताब में भोजपुरी संस्कृति को लेकर लिखे लेख मौजूद हैं। इस किताब में लेखक के 15 भोजपुरी लेख संकलित हैं जिनमें वह भोजपुरी समाज के महान व्यक्तित्वों और भोजपुरी किताबों के विषय में लिख रहे हैं।
वैसे भोजपुरी मेरी भाषा नहीं है लेकिन प्रकाशन में जिनकी भाषा थी उनके कहने पर यह पुस्तक लेना मैंने स्वीकार किया है। देखते हैं समझ आती है या नहीं।
किताब परिचय
भारत के 8वां आ दुनिया के 33 वां सबसे बड़ भाषा भोजपुरी आ ओकरा संस्कृति के बारे में ‘भोजपुरियत के थाती’ किताब बहुत सहज ढंग से बता रहल बिया। कवनो इलाका के संस्कृति सबसे बेसी ओह क्षेत्र के भाषा आ साहित्य में रहेले। प्रमोद कुमार तिवारी भोजपुरियत प अलग से बात करे के जगही पऽ कुछ अइसन लोग के चर्चा कइले बाड़े जिनका के छोड़ के भोजपुरी के बात पूरा ना हो सके। गोरखनाथ, कबीर से ले के भिखारी ठाकुर आ शैलेन्द्र तक के रचना प्रक्रिया के समेटेवाली ई किताब भोजपुरी माटी आ भोजपुरियत के समझे में बहुत मददगार साबित होखी, एह बात के पूरा विश्वास बा। भोजपुरिया समाज अगर नेपाल के तराई से ले के छतीसगढ़ तक मारीशस से ले के सूरीनाम तक अतना बड़ इलाका में फइलल फूलल तऽ एकरा पाछे कुछ खास कारण रहल बा जवना के संकेत एह किताब में मिल रहल बा।
कैलेंडर पर लटकी तारीखें
कैलेंडर पर लटकी तारीखें लेखिका दिव्या शर्मा का लघु-कथा संग्रह है। लघु-कथा गागर में सागर भरने की विधा है। ऐसे में मुझे लघु-कथाएँ पढ़ना पसंद रहा है। इस संग्रह में लेखिका की 87 लघु-कथाएँ संकलित की गई हैं।
किताब परिचय
हर तारीख की अपनी एक कथा है।
जो लिखी गई हैं यथार्थ के धरातल पर कल्पनाओं के रंगों को समेट कर। यह रंग हमारे अपने हैं जिनमें शामिल है हमारी पूरी ज़िन्दगी।
जिन्दगी जो समंदर की तरह होती है, वह समंदर दिल की गहरी गुफा में बह रहा है लेकिन “इस नमकीन… समंदर में भी ज्वार-भाटा आते हैं…. तब उस अंधेरी गुफा में ….भी …शोर मचने लगता है ..।”
इसी ज़िन्दगी के उतार चढावों को, इसके सुख और दुःख के रंगों को समेटकर लाया है यह लघुकथा संग्रह जो कहीं-न-कहीं आपको अपने होने का एहसास दिलाएगा।
दिल की खिड़की पर टँगा तुर्की
दिल की खिड़की पर टँगा तुर्की लेखिका रुपाली ‘संझा’ का यात्रा वृत्तान्त है। लेखिका अपनी काव्यात्मक भाषा के लिए जानी जाती हैं तो ऐसे में इस वृत्तान्त को पढ़ना एक अलग अनुभव होगा।
किताब परिचय
अपनी पहली साँस से लेकर अंतिम साँस तक यूँ तो हर कोई अपनी एक नियत जीवन यात्रा से गुजरता है। चाहे वो उतार-चढ़ाव वाली हो, घुमावदार हो या सीधी सपाट।
इस मायने में हर इंसान सैलानी ठहरा। लेकिन ताज्जुब ये कि अंतिम पड़ाव तक पहुँच जाने पर भी उनमें से अधिकतर ये जान नहीं पाते कि वो एक सुहाने सफ़र का हिस्सा थे। वे बस चलते चले जाते हैं, ऐसे जैसे चलता रहता है कोल्हू का बैल कोई।
इस चलने में तेल तो बनता रहता है, पता पर उनको चलता नहीं, ना ही उनकी देह के काम आ पाता है। दुनिया मगर इन जैसों के काँधों पर बैठ नहीं चलती। अपने धुर विगत इतिहास से लेकर अब तक, वो चलती-बढ़ती रही है उन खोजी-मनमौजी घुमंतु लोगों की बदौलत जो दूर-दूर तक ना जाने किस अनंत की तलाश में अथक रास्ते नापते रहे हैं।
हमारे पुरखों की उन यात्राओं से ही हमारी दुनिया का ये वर्तमान नक्शा उजागर हुआ है।
मेरी यह यात्रा भी उनके नक्शे-कदम पर चलकर उनकी यात्रा को एक कदम और आगे बढ़ाने की एक कोशिश थी। इस यात्रा वृत्तांत में दुनिया के इसी नक्शे पर ठीक दिल की जगह बसे देश तुर्की का बखान है। मैं उम्मीद करती हूँ ग्लोब का ये अनूठा दिल मेरे दिल की खिड़की में टँगकर विंडचाइम की मीठी ध्वनि की तरह आपका दिल लुभाएगा।
मौत का विलाप
मौत का विलाप लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा लिखी हुई रचनाओं का संग्रह है। इसमें उनके लघु-उपन्यास मौत का विलाप के साथ साथ उनकी आठ अन्य कहानियों को संकलित करके प्रकाशित किया गया है।
किताब परिचय
मौत का विलाप- एक अरसे से अप्रकाशित कहानियों का संग्रह! सुरेन्द्र मोहन पाठक की चमत्कारी लेखनी का एक और दस्तावेज!! साहित्य विमर्श का गौरवशाली प्रकाशन!!!
संग्रह में संकलित रचनाएँ निम्न हैं:
‘मौत का विलाप’, ‘घड़ी की गवाही’, ’57 साल पुराना आदमी’, ‘आँख का तारा’, ‘मौत का साया’, ‘ताश के पत्ते’, ‘ट्रेन में लाश’, ‘नैकलेस की चोरी’, ‘जुर्म का इकबाल’,
दानव
‘दानव’ लेखक आदित्य कुमार की दूसरी पुस्तक है। इनकी पहली पुस्तक ‘शंकराचार्य से शास्त्रार्थ’ वर्ष 2018 में आयी थी। यह पुस्तक भारत सरकार के राजभाषा सम्मान -2019 में प्रथम स्थान पर पुरस्कृत भी हुई। अब उनकी दूसरी पुस्तक आई है जो कि आस्तिक होने और नास्तिक होने की तहकीकात करती है।
किताब परिचय
आलोक को अनंत श्री के परिवार ने बचपन से पाला था। आख़िरकार वो अनाथ जो था। उस परिवार की परवरिश को लेकर आलोक कृतज्ञ भाव से इस क़दर लदा रहता कि उस परिवार की सेवा ही उसके लिए सब कुछ हो जाती। उस परवरिश ने उसे सब कुछ दिया भी था- नाम, इज़्ज़त, शोहरत और इन सबसे बढ़कर शिवानी। शिवानी, जो उसे ख़ुद के जान से भी ज़्यादा प्यारी थी।
परिस्थितियाँ तब विकट रूप लेती हैं, जब एक साज़िश होती है। चाहे अनचाहे आलोक और शिवानी उस साज़िश का हिस्सा हो जाते हैं। एक दूसरे पे मर मिटने की हद तक प्यार करने वाले आलोक और शिवानी इन बदली परिस्थितियों में एक दूसरे के आमने-सामने हो जाते हैं।
आख़िर क्या है वो साज़िश? किसने की? क्या उस साज़िश से आलोक और शिवानी कभी उबर सकेंगे?
मोहपाश
मोहपाश लेखक दिलीप कुमार द्वारा लिखित उपन्यास है। दिलीप कुमार अपने चुटीले लेखों और व्यंग्यों के लिए पाठकों के बीच जाने जाते हैं। यह मुख्यतः एक स्त्री के अपने रिश्तों के मोहपाश से बाहर निकल खुद को ढूँढने के सफर की दास्तान है।
किताब परिचय
मोहपाश आपको जीवन के उतार -चढ़ाव के ऐसे अनुभवों से राब्ता करायेगा कि आप हैरान हो जाएँगे। इसमें पाने, हासिल करने की होड़ नहीं है बल्कि जीवन में गुंथे मोह के धागों को आत्मसम्मान के साथ बचाये रहने की जुगत है। नारी की शक्ति सिर्फ उसके शरीर की बनावट तक सीमित नहीं है, बल्कि उसकी सोच में है।
कहते हैं कि पूरी दुनिया की औरतों की कोई जाति नहीं होती है, उनकी सिर्फ एक जाति होती है – औरत। यानी पूरी दुनिया में वो औरत ही रहती है चाहे वो नेपाल की तराई की एक छोटी सी दुकान चलाकर जीवनयापन करने वाली औरत हो या देश की राजधानी दिल्ली में रह रही आधुनकि परिवेश की स्त्री हो, उन सभी की सामाजिक बेड़ियाँ और संघर्ष कमोबेश एक जैसे ही हैं।
भुजाली लेकर पहाड़ों पर भेड़ियों और नरपिशाचों से जूझती स्त्री का संघर्ष, सिख दंगों में उजड़ी दिल्ली में इज्जत से जीवनयापन करने की जद्दोजहद की कहानी कहता है, यह उपन्यास। एक युवती के आत्मसम्मान से जीने की जद्दोजहद और हक की लड़ाई जिसमें उसके सामने सब ऐसे लोग ही हैं जिनसे वो मोहपाश के धागे से जुड़ी है।
सभी को एक दूसरे से मोह-नेह का रिश्ता है लेकिन जीवन के कुरुक्षेत्र से सज्ज है ये मोहपाश का चक्रव्यूह। कौन बच कर निकल पाता है – इससे जीत कर या सब कुछ हारकर?
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तो यह थीं मार्च 2022 में मेरे संग्रह में जुड़ी किताबें। मार्च में आपके संग्रह में क्या जुड़ा? मुझे बताना न भूलिएगा।
अगर आप साहित्य विमर्श की सदस्यटा लेना चाहते हैं तो इसे निम्न लिंक पर जाकर ले सकते हैं:
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Interesting list. Short story collection seems like a popular genre in Hindi.
I am going really slow this year. I have left 4 books unfinished (back to back, which is really frustrating) and now I am reading Red Cicada (mystery). I hope I like it.
I too am slow this year but i make it a point to read few pages daily. That really helps. Red Cicada sounds interesting. Story collections do come out regularlry in Hindi but i prefer longer formats for reading.