कहते हैं जब जब जो जो होना होता है तब तब वो वो होता ही है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ कुछ दिनों पहले हुआ। हुआ यूँ कि जब नवंबर 2021 में साहित्य विमर्श प्रकाशन ने अपना बाल/किशोर पाठक सेट लॉन्च किया था तो मैंने उसे मँगवा लिया था और वह अब अप्रैल 2022 को मेरे पास पहुँचा है।
खैर, ऑर्डर तो लगवा दिया नवंबर 2021 को और पार्सल भी जिस दिन डिसपैच होना था उस दिन डिसपैच हुआ यानी दिसम्बर 2021 को लेकिन गड़बड़ तब हुई जब वो गुड़गाँव के पते पर भेज दिया गया क्योंकि अकाउंट में वही मेन्शन था। अब जिन किताबों को मैं हाथ में लेने के लिए मचल रहा था वो हाथ में नहीं आ सकती थीं। दो ही चीज हो सकती थीं। या तो मैं गुड़गाँव जाता, जो कि मुझे लग नहीं रहा था कि जल्द ही होगा, या फिर गुड़गाँव से कोई आता जो इस पार्सल को मेरे तक पहुँचाता।
ऐसा एक मौका आया भी लेकिन वह हाथ से निकल गया। हुआ यूँ कि मार्च को मेरी बहन को घर आना था। वह गुड़गाँव होकर आई भी लेकिन मैं उसे बताना ही भूल गया। जब घर आई तो याद आई कि यह चीज तो रह ही गई और किताबों को पाने का एक मौका हाथ से निकल गया। लेकिन उम्मीद अभी बाकी थी क्योंकि बहन ने मार्च में फिर अपनी नौकरी पर जाना था और अप्रैल में आना था। अप्रैल आया और उसके आने का मौका लगा तो मैंने उसे याद दिला दी कि पाँच पुस्तकों का यह पैकेट उसे लेकर आना है। और आखिरकार बाल/किशोर साहित्य की पुस्तकों का वह सेट मेरे पास पहुँच ही गया।
आइये देखते हैं कि इस पुरानी खरीद में कौन कौन सी किताबें थीं जो मुझे मिली:
चाँद का पहाड़
‘चाँद का पहाड़’ बांग्ला लेखक विभूतिभूषण बंधोपाध्याय का लिखा बांग्ला उपन्यास ‘चांदेर पहाड़’ का हिंदी अनुवाद है । इस पुस्तक को बांग्ला में क्लासिक का दर्जा हासिल है। पुस्तक का अनुवाद जयदीप शेखर द्वारा किया गया है जो कि जाने माने ब्लॉगर (‘बनफूल’ की कहानियाँ, कभी-कभार, आरामकुर्सी से ) और अनुवादक हैं और काफी रचनाओं का बांग्ला से हिंदी में अनुवाद कर चुके हैं। चूँकि किताब की पांडुलिपि मैंने ही संपादित की थी तो इस किताब के विषय में कुछ कहना ठीक न होगा। बस इतना ही कहूँगा कि अगर आप बांग्ला साहित्य और विभूतिभूषण बंधोपाध्याय के विषय में थोड़ी भी जानकारी रखते हैं तो इस किताब के विषय में जानते ही होंगे।
किताब परिचय
कुबड़ी बुढ़िया की हवेली
सुरेन्द्र मोहन पाठक ने अपने लेखकीय जीवन में दो बाल उपन्यास भी लिखे थे। इस उपन्यासों में से पहला उपन्यास ‘कुबड़ी बुढ़िया का हवेली’ है। यह उपन्यास 1971 में पहली बार प्रकाशित हुआ था और अब तक आउट ऑफ प्रिन्ट चल रहा था। ऐसे में जब साहित्य विमर्श द्वारा इस पुनः प्रकाशित किया तो लेना तो बनता ही था।
बेताल और शहजादी
जैसे कि मैं ऊपर बता चुका हूँ कि सुरेन्द्र मोहन पाठक ने अपने लेखन करियर में दो ही बाल उपन्यास लिखे थे। ‘बेताल और शहजादी’ वह दूसरा उपन्यास है जो कि उन्होंने लिखा था। यह उपन्यास 1972 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था और अब इतने वर्षों से आउट ऑफ प्रिन्ट रहने के बाद साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा 2021 में प्रकाशित किया गया था। ऐसे में इसे अपने संग्रह में जोड़ना तो बनता ही था।
आदी पादी दादी
पोटली किस्से कहानियों की
तो यह थी कुछ बाल साहित्य की किताबें जो मेरे संग्रह में जुड़ी हैं। जल्द ही जो पढ़ी नहीं हैं उन्हें पढ़ने का विचार है।
चूँकि मैं साहित्य विमर्श से भी जुड़ा हुआ हूँ तो मेरी कोशिश रहती है कि ज्यादा ज्यादा रोचक साहित्य बाल पाठकों के लिए उपलब्ध रहे। इस कोशिश में आप भी भागीदार बनना चाहें तो इन किताबों को बाल पाठकों तक पहुँचा सकते हैं।
वहीं अगर आप लेखक हैं और आपके पास बाल या किशोर उपन्यास प्रकाशित करवाने के लिए है तो आप उपन्यास का 1000 शब्दों में सार और उसका 4000 शब्दों तक का अंश editor@sahityavimarsh.in पर मेल कर सकते हैं। मेल में मुझे भी सी सी रख सकते हैं। पुस्तक की भाषा अंग्रेजी या हिन्दी में से कोई भी हो सकती है।
मेरा ईमेल आईडी है: nainwal.vikas@gmail.com
पाँच पुस्तकों की इस बाल साहित्य संग्रह की कीमत हमने 499 रखी है और डिलीवरी मुफ़्त है। आप चाहें तो इसे निम्न लिंक से ऑर्डर कर सकते हैं:
कॉम्बो अमेज़न पर निम्न लिंक पर भी उपलब्ध है:
क्या आपको भी बाल साहित्य पढ़ना पसंद है? अपने पसंदीदा बाल उपन्यासों के नाम साझा कीजिएगा। हो सकता है मुझे कुछ पढ़ने को मिल जाए।
Lovely list. And you're an editor, too. I enjoy reading children's books mainly because of the colourful illustrations (childish, I know). My first novella (I was a kid so it was exciting to read a full length novel) was 'Sitaaron Se Aage' by Krishna Chander. It's a fantasy. Enjoyed reading it. Still remember some parts. Also, Professor Diwakar's science fiction that I read as a teenager. They are not really children's books but it was so fascinating to read those books.
I have heard a lot about professor Divakar but was not able to read his works. May be i'll some day. I'll try getting my hands on Sitaron se Aage. I love Krishna Chandar's writing.
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (04-05-2022) को चर्चा मंच नाम में क्या रखा है? (चर्चा अंक-4420) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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चर्चाअंक में पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।
उपयोगी सामग्री सहित सुंदर जानकारी।
जी आभार मैम।