आई छुट्टी – आई छुट्टी | हिन्दी कविता | विकास नैनवाल ‘अंजान’

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गर्मियाँ  शुरू हो चुकी हैं और इस वक्त बच्चों की छुट्टियाँ भी पड़ चुकी हैं। चूँकि ये छुट्टियाँ परीक्षाओं के बाद आती हैं तो एक अलग तरह का उत्साह बच्चों में देखने को मिलता है। अपने उन्हीं दिनों को याद करते हुए यह पंक्तियाँ लिखी हैं। उम्मीद है पसंद आएगी।

आई छुट्टी-आई छुट्टी
कितनी खुशियाँ लाई छुट्टी

खत्म हो गए एग्जाम
आ भी चुके परिणाम
पड़ी है अपनी छुट्टीयाँ
पर करने हैं, ढेरों काम
आई छुट्टी आई छुट्टी
कितनी खुशियाँ लाई छुट्टी
किताबों से अब पीछा छूटा
खेल कूद का हुआ सुभीता
ट्यूशन का नहीं है बोझ
कोई नहीं पाएगा हमें खोज
आई छुट्टी आई छुट्टी
कितनी खुशियाँ लाई छुट्टी

छुप्पन-छुपाई, पकड़म-पकड़ाई
खेलेंगे हम, करे बिना लड़ाई
हम पतंग उड़ाएँगे, दूर उसे पहुँचाएँगे
पेंच हम लड़ाएँगे, खूब धूम मचाएँगे

आई छुट्टी आई छुट्टी
कितनी खुशियाँ लाई छुट्टी

प्यारी मम्मी, प्यारे पापा
कुछ पूछें तो, क्या आप हमें बताएँगे
छुट्टियों के दिन हैं आयें
कॉमिक, नॉवेल और टीवी
क्या हम इनमें भी समय बिताएँगे
या फिर घूमने हम जाएँगे

आई छुट्टी आई छुट्टी
कितनी खुशियाँ लाई छुट्टी

मम्मी पापा बतलाओ न
घुमाने कहाँ हमें ले जाएँगे
इन छुट्टियों में आप
क्या क्या हमें दिखाएँगे

आई छुट्टी आई छुट्टी
कितनी खुशियाँ लाई छुट्टी

चलेंगे नाना-नानी के घर,
या घर दादा दादी के घर दिन बिताएँगे
या घूमेंगे हम यहाँ वहाँ
करते हुए मज़ा मज़ा

क्या आप हमें बतलाएँगे
ये छुट्टी हम कहाँ बिताएँगे

आई छुट्टी आई छुट्टी
कितनी खुशियाँ लाई छुट्टी

बताओ न मेरी प्यारी मम्मी
बताओ ने मेरे प्यारे पापा
किधर आप ले जाएँगे
क्या क्या हमसे कराएंगे

कैसे हम छुट्टियाँ बिताएँगे
कैसे हम छुट्टियाँ बिताएँगे

विकास नैनवाल ‘अंजान’

नोट: इस कविता को पढ़ने के बाद मेरे पापा, श्री महेश चंद्र नैनवाल ने भी कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं।  उन्हें भी इधर साझा कर रहा हूँ।  उम्मीद है आपको पसंद आएगी।

वीरान पड़ा गाँव  हमारा
कब उस को दिखलाओगे
दादा-दादी की विरासत से
कब अवगत हमें  करवाओगे
आई छुट्टी-आई छुट्टी
कितनी खुशियाँ लाई छुट्टी
चलो गाँव की ओर चलें हम
वातावरण वहाँ का हमें कब  समझाओगे
गाँव के उन रीति रिवाजों को
कब हमें आप दिखलाओगे
आई छुट्टी-आई छुट्टी
कितनी खुशियाँ लाई छुट्टी
नदी नालों पेड़ पहाड़ों से
हमको कब मिलवाओगे
स्वर्ग सा सुंदर गाँव हमारा
दर्शन हमें कब करवाओगे
आई छुट्टी-आई छुट्टी
कितनी खुशियाँ लाई छुट्टी
महेश चंद्र नैनवाल 
 
 

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “आई छुट्टी – आई छुट्टी | हिन्दी कविता | विकास नैनवाल ‘अंजान’”

  1. पिता-पुत्र के संवाद का संगम कविता में देखते ही बनता है । आप दोनों को इस सुन्दर सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई ।

  2. पिताजी को भी छुट्टियों का लाभ उठाने दो और घुमा लाओ गांव, भले ही हम शहर में रहते हैं लेकिन दिल तो गांव में बसता है
    बहुत अच्छी यादगार रचनाएँ

  3. पिता-पुत्र के संवाद का संगम कविता में देखते ही बनता है । आप दोनों को इस सुन्दर सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई ।

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