अक्टूबर 2023 की बात की जाए तो पढ़ने के मामले में यह माह अच्छा बीता। 11 रचनाएँ इस माह पढ़ीं। इन रचनाओं में एक पत्रिका, एक बाल उपन्यास, एक किशोर उपन्यास, दो कहानियाँ, एक उपन्यासिका और चार उपन्यास शामिल थे। उपन्यासों में एक उपन्यास व्यंग्य उपन्यास था, एक अपराध साहित्य, एक पारलौकिक तत्वों वाली रोमांचकथा और एक असल किरदार पर आधारित उपन्यास पढ़ा गया। यानी पढ़ने के मामले में काफी विवधता रही। बस कथेतर रचनाएँ कम थीं तो इसका मलाल रहा।
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अक्टूबर 2023: क्या पढ़ा? |
अक्टूबर 2023 में पढ़ी गई रचनाएँ
तहकीकात 4
माह की पहली रचना नीलम जासूस कार्यालय द्वारा प्रकाशित तहकीकात पत्रिका का अंक था। इस पत्रिका को पढ़ने की शुरुआत तो सितंबर में की थी लेकिन पूरी ये अक्टूबर में हुई तो इसे अक्टूबर में ही रखा है।
तहकीकात से जो लोग वाकिफ नहीं हैं उन्हें बता दूँ कि तहकीकात फिलहाल हिंदी में प्रकाशित होंने वाली एकलौती अपराध कथा पत्रिका है। इस पत्रिका में अपराध कथाएँ तो प्रकाशित होती ही हैं साथ में सत्यबोध परिशिष्ट के रूप में साहित्यक रचनाएँ भी प्रकाशित होती हैं।
पत्रिका के चौथे अंक में संपादकीय, पाठकों के खत, गजलें और लतीफों के अतिरिक्त तेरह रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इन रचनाओं में दो सत्यकथाएँ (
प्रेम प्यासी,
माँ की खातिर), कहानियाँ (
‘मौत का फरमान’, आखिरी किश्त, रटंती कुमार, मैं माँ हूँ,
जामुन का पेड़, ये जो है ज़िंदगी ), जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा की आत्मकथा का अंश और लेख (‘
मुझसे मुलाकात करनी है तो मेरी किताबें पढ़ें’, कृश्न चन्दर की पौदे, दिल की खिड़की पर टँगा तुर्की,
सत्य व्यास कलम का युवा जादूगर) मौजूद हैं।
यानी सभी के पढ़ने के लिए कुछ न कुछ मौजूद है। पत्रिका की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है।
सुंदरवन में सात साल
‘सुंदरवन में सात साल’ लेखकद्वय बिभूतिभूषण बंद्योपाध्याय और भुवनमोहन राय का लिखा किशोर उपन्यास है। मूलतः यह उपन्यास बांग्ला भाषा में लिखा गया था।
प्रथम पुरुष में लिखे गए इस उपन्यास की कहानी का कथावाचक नीलू है। नीलू, जो कहानी की शुरुआत में तेरह वर्ष का रहता है, सुंदरवन में बिताए अपने सात सालों की कहानी सुना रहा है। वह कैसे सुंदरवन पहुँचा, वहाँ उसके साथ क्या क्या हुआ यह वह बताता चलता है।
यह एक रोमांचक कथा है जो कि सुंदरवन के जंगलों, वहाँ रह रहे जीवों और कुछ हद तक वहाँ रह रहे लोगों के जीवन से आपका परिचय करवाता है।
त्रिनोयोनी
त्रिनोयोनी मोइत्रयी भादुड़ी का लिखा उपन्यास है। भारत की प्रथम सीरीअल किलर एक महिला थीं जिसने कलकत्ता के सोनागाछी इलाके में कई लोगों का कत्ल किया था। एक ब्राह्मण की कन्या जो कि बाल विधवा हो गई थी कैसे देहव्यापार में पहुँची और आखिरकार कैसे अपराध की राह में आगे बढ़ते हुए भारत की प्रथम सीरीअल किलर बनी यही यह उपन्यास दिखाने की कोशिश करता है।
उपन्यास की विषय वस्तु रोचक है और त्रिनोयोनी की परिस्थितियों से पाठकों को अवगत करवाने का कार्य यह सही से करती है। प्रेम की चाह और स्वार्थ मनुष्य से क्या क्या करवा सकती है यह इस उपन्यास को पढ़कर जाना जा सकता है। हाँ, लेखन शैली विवरणात्मक है। अगर दृशयात्मक अधिक होती तो बेहतर होता।
पुछेरी, ऐसे बदली नाक की नथ
‘पुछेरी’ और ‘ऐसी बदली नाक की नथ’ लेखक मनोहर चमोली ‘मनु’ की दो कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (नैशनल बुक ट्रस्ट) द्वारा प्रकाशित की गई हैं।
दोनों कहानियाँ पहाड़ की पृष्ठभूमि में रची गई हैं। जहाँ ‘पुछेरी’ यह दर्शाती है कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो व्यक्ति कुछ भी प्राप्त कर सकता है वहीं ‘ऐसी बदली नाक की नथ’ एक ग्राहक के क्या क्या अधिकार हैं यह दर्शाती है।
कहानियों पर विस्तृत टिप्पणी निम्न लिंक पर:
राजमुनि
राजमुनि लेखक आलोक कुमार खालौरी का लिखा उपन्यास है। उपन्यास शब्दगाथा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है।
रमन बहुत परेशान है। उसके साथ बचपन से ऐसी चीज हो रही है जिसे आम नहीं कहा जा सकता है। एक लड़की है जो कि बचपन से उसके सपनों में आती रही है। जैसे जैसे रमन बढ़ा होता गया वैसे वैसे यह लड़की भी बढ़ी होती गई।
रमन के सपनों में आने वाली लड़की है? इसकी तलाश से शुरू हुई यह कहानी पूर्वजन्म, तंत्र मंत्र को मिलाकर ऐसा रोमांचक कथानक पाठक के सामने प्रस्तुत करती है कि पाठक इसे शुरू करता है तो अंत तक पढ़ता चला जाता है। कथानक में हास्य भी मौजूद है।
अगर नहीं पढ़ी है तो पढ़िएगा। निराश नहीं होंगे।
रानी नागफनी की कहानी
रानी नागफनी की कहानी लेखक हरिशंकर परसाई का लिखा व्यंग्य उपन्यास है। उपन्यास की भूमिका में वो बताते हैं कि उन्होंने हिंदी की पहली कहानी कही जाने वाली रानी केतकी की कहानी पढ़ी थी और फिर उनके मन में उसी तर्ज पर एक फंतासी लिखने का ख्याल आया था। इसी का मूर्त रूप रानी नागफनी की कहानी है।
कहानी के केंद्र में राजुमार अस्तबान और की राजकुमारी नागफनी है। जब यह दोनों एक दूसरे के प्रेम में पड़ जाते हैं तो शादी करने का मन बनाते हैं। पर शादी करना इतना आसान नहीं है। इनकी शादी में कई अड़चने हैं और सबसे बड़ी अड़चनें इनके पिता ही है। अब राजकुमार अपने दोस्त मुफतलाल और रानी अपनी दासी करेली मुखी की मदद से कैसे अपनी मंजिल पाते हैं यही उपन्यास की कहानी बनती है।
राजकुमार और राजकुमारी के प्रेम और उसके बाद विवाह की साध को पूरा करने के लिए जो जो काम होता है उसमें इन्हें समाज के विभिन्न वर्गों से मिलना पड़ता है और इस तरह से लेखक हरिशंकर परसाई ने समाज के हर वर्ग पर कटाक्ष किया है। उनकी कमियों, उनके दोगले व्यवहारों को अपनी इस रचना के माध्यम से उजागर किया है।
छोटे छोटे अध्यायों में विभाजित यह कथा पठनीय है और आज भी प्रासंगिक है क्योंकि सिस्टम और लोगों में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है।
आकाशिक
‘आकाशिक’ लेखिका दीप्ति मित्तल की उपन्यासिका है। उपन्यास प्रेम और उसके असल मायने को केंद्र में लेकर लिखी गई है। प्रेम के अतिरिक्त दोस्ती, उसका महत्व और आज के वक्त में सोशल मीडिआ का व्यक्ति के जीवन में प्रभाव को भी लेखिका सफलता पूर्वक दर्शाने में कामयाब होती है।
अगर नहीं पढ़ी है तो पढ़कर देखिए।
‘दिल्ली से प्लूटो’ हरीश कुमार ‘अमित’ का लिखा उपन्यास बाल उपन्यास है। यह उपन्यास चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित किया गया है।
इस उपन्यास के माध्यम से लेखक द्वारा एक भविष्य की दुनिया पाठकों को दर्शाई गई है। ऐसी दुनिया जहाँ मनुष्य ने तकनीक तो काफी विकसित कर दी है लेकिन वह प्रकृति से कट भी चुका है।
अगर आपको भविष्य में रह रहे परिवार की दिनचर्या को देखने पढ़ने में रुचि है तो पुस्तक आपका मनोरंजन करेगी लेकिन अगर दिल्ली से प्लूटो की रोमांचक यात्रा को पढ़ने के मन से इस पुस्तक को खरीदेंगे तो निराश ही होंगे।
एक म्यान दो तलवारें
‘एक म्यान दो तलवारें’ अनिल मोहन द्वारा लिखित मोना चौधरी शृंखला का उपन्यास है। उपन्यास राजा पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है।
वैसे तो मोना चौधरी एक अपराधी है और पैसे के लिए अपहरण और हत्या जैसे अपराधों को अंजाम देने में नहीं चूकती है लेकिन उसको पैसे देकर काम करवाने वालों में केवल अपराधी ही नहीं बल्कि कानून के रक्षक भी होते हैं।
एक म्यान दो तलवारें एक पठनीय उपन्यास है। क्लाइमैक्स थोड़ा और बेहतर जरूर हो सकता था। अगर एक आम रोमांचकथा के तरह पढ़ेंगे तो इसका लुत्फ ले सकेंगे। पर मोना चौधरी टाइप एक्शन की उम्मीद इधर लगाएँगे तो शायद निराश हों क्योंकि उस टाइप का ओवर द टॉप एक्शन इधर नदारद है।
उपन्यास के प्रति विस्तृत टिप्पणी:
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तो यह थी अक्टूबर में पढ़ी गई रचनाएँ। अभी मैं शकुंतला वर्मा का बाल उपन्यास पाँच जासूस पढ़ रहा हूँ। आपने अक्टूबर में क्या पढ़ा? आप फिलहाल क्या पढ़ रहे हैं? कमेंट्स के रूप में बताएँगे तो अच्छा रहेगा।
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Wow, you managed to read so many different books in a month. In my case, October was a slow reading month. Even in November, I'm going really slow. Looking forward to your November/December list. What's your favourite books that you read this year?
It's hard to say right now. But 'रानी नागफनी की कहानी' would be there. Will try to post the list in January.