ब्लॉग चैटर : आई से इन्द्र और इंस्पेक्टर स्टील

विज्ञान ने मनुष्यों को काफी कुछ दिया है। विज्ञान के बदौलत मनुष्य का  न केवल जीवन सरल हुआ है बल्कि साथ साथ इसके मनुष्य की क्षमता का भी विस्तार हुआ है। अब विज्ञान की खोजों के बदौलत मनुष्य पल भर में सामने बैठे लोगों से बात कर पाता है, दूर दराज में बैठे लोगों को अपने यंत्र पर देख पाता है और ऐसे कई कामों को जिन्हें उसके पूर्वज कई दिनों में करते थे उन्हें कुछ दिनों में या घंटों में कर पाता है। 

विज्ञान के ही बदौलत मनुष्य ने ऐसे कई यंत्रों का निर्माण किया है जो कि मनुष्य का काम उससे बेहतर कर सकते हैं। इतना कुछ हासिल करने के बाद भी एक यंत्र की एक कमी यह रही है कि उसे संचालित करने के लिए मनुष्य का सहारा चाहिए होता है। एक यंत्र चाहे कितना भी शक्तिशाली हो, कितना भी तेज हो, कितना भी काबिल हो लेकिन जब तक उसे मनुष्य द्वारा संचालित नहीं किया जाएगा तब तक वह एक कबाड़ के समान ही है। 

शायद यंत्रों  की यही कमी थी जिसने लेखकों को ऐसे यंत्रों की कल्पना करने के लिए प्रेरित किया जिन्हें इंसानी शरीर पर फिट करके इंसान के शरीर की क्षमता बढाई जा सकती है या क्षतिग्रस्त अंगों की पूर्ति की जा सकती है। चिकित्सा की इस पद्धति को बायोनिकी कहा जाता है और आज के समय में बायोनिक अंगों को मनुष्यों पर लगाया जाना संभव हो चुका है। ऐसे ही एक कल्पना साइबॉर्ग की भी है।  सायबोर्ग ऐसा जीव है जिसका दिमाग रोबोट में फिट किया जा चुका है और वो अपने दिमाग से उस रोबोट को कंट्रोल कर रहा होता है।

भारतीय कॉमिक बुक की बात की जाए तो इसमें भी ऐसे सायबोर्ग भी मौजूद हैं। इस लेख में ऐसे ही दो किरदारों की बात करूँगा।  ऐसा नहीं है इनके जैसे और किरदार नहीं हैं लेकिन हम इस पोस्ट में इन पर ही फोकस करेंगे क्योंकि दो अलग अलग प्रकाशनों से आए इन किरदारों की कहानी लगभग एक जैसी है। और दोनों का कार्यक्षेत्र भी एक ही नाम का शहर है।

यह दो किरदार हैं इन्द्र और इंस्पेकटर स्टील।  

इन्द्र

इन्द्र 

इन्द्र मनोज कॉमिक्स का किरदार है। इन्द्र एक ऐसा रोबोट है जिस पर एक मनुष्य का दिमाग फिट है। यह मनुष्य ही है जिसका नाम इन्द्र है। 

इन्द्र के निर्माण की कहानी एक रोबोट के निर्माण से शुरू होती है। इन्द्र साहनी और विशाल सक्सेना नामक दो वैज्ञानिकों  द्वारा एक ऐसा रोबोट बनाया जाता है जो कि देश के काम आ सकता है लेकिन अपराधियों की नजर उस रोबोट पर पड़ जाती है और वह रोबोट को लेने के लिए इन्द्र को मार गिराते हैं। 

इन्द्र के मरने के बाद उसका दोस्त विशाल उसके दिमाग को रोबोकॉप पर फिट कर देता है और जन्म होता है सुपर रोबोट इन्द्र का। 

अब इन्द्र और विशाल मिलकर अपने शहर राजनगर से अपराधियों का नाम मिटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और मिलकर ये काम करते हैं। 

इन्द्र की कॉमिक बुक की एक खास बात इन्द्र और विशाल की दोस्ती भी होती है। इन दोनों दोस्तों के बीच के रिश्ते को यह उभारती है। यह बात इन्द्र के कॉमिक सारे जहाँ से ऊँचा में अच्छे से दर्शाई गई है। 

इंस्पेक्टर स्टील 

1987 में आई विज्ञान गल्प फिल्म रोबोकॉप ने भारतीय कॉमिक इंडस्ट्री को भी प्रभावित किया था। कई कॉमिक बुक प्रकाशनों ने तो उस कहानी का भारतीयकरण करके अपने अपने नायकों की रचना की थी। इंस्पेक्टर स्टील भी ऐसा ही किरदार है जो कि राज कॉमिक्स द्वारा पाठकों के बीच में लाया गया है। अगर कहानी की बात की जाए तो इसकी कहानी रोबोकॉप से पूरी तरह प्रभावित है। 

राजनगर के इंस्पेक्टर अमर अपराधियों से लड़ते वक्त इतनी बुरी तरह से घायल हो जाता है कि उसे बचाने का केवल एक ही तरीका उसके वैज्ञानिक दोस्त अनीस के पास बचता है। वह तरीका होता है उसकी दिमाग को एक रोबोटों में फिट कर देना। अनीस अपने इस प्रयोग में सफल होता है और राजनगर को मिल जाता है राजनगर का रक्षक। 

रोबोकॉप के तरह ही इंस्पेकटर स्टील पुलिस फोर्स में कार्य करता है और उसकी कॉमिक बुक की कहानी में वह  राजनगर के अपराधियों से दो चार हाथ करते दिखता है। 

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तो यह थे दो साइबोर्ग जो कि भारतीय कॉमिक बुक्स में आए थे। जहाँ ये एक ही नाम वाले शहर में कार्य करते हैं। दोस्ती इनकी कॉमिक बुक में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।  

अपनी बात करूँ तो मैंने इन दोनों किरदारों एक कुछ कॉमिक बुक्स ही पढ़ी। इन किरदारों में संभवाना थी लेकिन अच्छी कहानियों के चलते ये उस जगह तक नहीं पहुँच सके। अब कॉमिक बुक इंडस्ट्री फिर से सक्रिय होना शुरू हुई है तो उम्मीद की जा सकती है कि इन किरदारों को लाने वाले प्रकाशक इन किरदारों को फिर से रीबूट करेंगे और कुछ ऐसी कहानियाँ लाएँगे जो इनके साथ न्याय कर सके और इनको लेकर कुछ अनछूए थीम्स को भी छू सकें।

क्या आपने इन किरदारों को पढ़ा है। आपकी इनके विषय में क्या राय है? बताना न भूलिएगा। 

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहता हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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