पिछली पोस्ट में हमने बहुकोशकीय जीवों के विषय में पढ़ते हुए यह जाना कि पहले बहुकोशकीय जीव कब धरती पर आए। आज की पोस्ट में हम कीटों यानि इन्सेक्ट्स की बात करेंगे। आपको यह टॉपिक अजीब लग रहा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा माना जाता है कि अगर संख्या की हिसाब से देखा जाए तो धरती पर पाए जाने वाले सजीव जीवों में से 90 प्रतिशत जीव कीट या इन्सेक्ट्स ही होते हैं। यानि बाकी के जीव केवल 10 प्रतिशत का हिस्सा ही बनाते हैं। अब तक कीटों की दस लाख प्रजातियों के विषय में पता लगाया जा चुका है लेकिन ऐसा माना जाता है कि अभी तक 50 लाख से लेकर 1 करोड़ तक ऐसी प्रजातियाँ हैं जिनके विषय में पता लगाया जाना बाकी है। मैंने इस शृंखला की शुरुआत में कहा था कि मनुष्य धरती का बेताज बादशाह है लेकिन कीटों को लेकर एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि अगर धरती के सभी कीटों और सभी मनुष्यों का वजन नापा जाए तो कीटों का वजन मनुष्यों की तुलना में सत्तर गुना ज्यादा होगा। वहीं एक हैरतंगेज तथ्य यह भी है कि धरती पर प्रति मनुष्य की तुलना में 1.4 अरब कीट मौजूद हैं। ऐसे में कीट धरती पर कब आए यह जानना और जरूरी हो जाता है, है न?
क्या होते हैं कीट (Insects)?
कीट अर्थोंपोडा संघ का प्रमुख वर्ग होता है। वैसे तो आम तौर पर हर छोटा रेंगने वाला, खंडों में विभाजित शरीर वाला, और बहुत ही टाँगों वाले जीव को कीट कह दिया जाता है लेकिन कायदे से कीट वही कहलाते हैं जिनमें निम्न लक्षण पाए जाते हैं:
कीटों का शरीर खंडों में विभाजित रहता है। ये खण्ड सिर (head), वक्ष (thorax) और उदर (stomach)। सिर में मुख, ऐन्टेना (श्रृंगिकाएँ), और ज़्यादतर एक जोड़ी संयुक्त नेत्र (compound eyes) और शून्य से तीन सरल नेत्र (simple eyes) और मुख पाया जाता है। वक्ष वाले हिस्से में तीन जोड़ी टाँगे पाई जाती हैं। इसी हिस्से में एक जोड़ी पंख भी पाए जाते हैं। वही उदर वाला ग्यारह छोटे हिस्सों में विभाजित होता है जो कि कई कीटों में मिला हुआ हो सकता है। इस हिस्से में पाचन तंत्र (digestive system), श्वसन तंत्र (respiratory system), उत्सर्जन तन्त्र (excretory system) होता है।
धरती पर कब पहली बार आए थे कीट?
वैज्ञानिकों का यह मानना है कि धरती पर कीट आज से 48 करोड़ साल पहले उसी वक्त आए जब जमीन पर पौधों का आगमन हुआ।
वैज्ञानिकों का मानना है कि पहले कीट क्रस्टेशिया (Crustacean) से विकसित हुए थे। यह भी माना जाता है कि शुरुआती कीटों के पास उड़ने की क्षमता नहीं थी और यह क्षमता कीटों के एक समूह ने 40 करोड़ साल पहले विकसित की। धरती के इतिहास में कई बार पर्यावरण में बदलाव होते रहे हैं और इन बदलावों के साथ साथ कीटों की विविधता में भी बदलाव आया है। ऐसा माना जाता है कि 35.6 से 29 करोड़ साल पहले टेरिगोटा (
Pterygota), ऐसे कीट जिनके पंख होते हैं, में विकिरण (radiation) आया और इसकी कई प्रजातियाँ उत्पन्न हुई। वहीं एंडोप्रोटेगोट्टा (Endopterygota), ऐसे कीट जो लार्वा से वयस्क बनने के लिए कई चरणों से गुजरते हैं, में 29 करोड़ से 25 करोड़ साल पहले विकरण आया और उस वक्त इनकी प्रजातियाँ तेजी से विकसित हुई। आज के ज्यादातर जीवित कीट जिन्हें हम देखते हैं वह इन्हीं कीटों से उपजे हैं जो कि 29 करोड़ से 25 करोड़ के बीच आए।
कौन है सबसे पुराना कीट?
40 करोड़ साल पहले पाए जाने वाले रीनियोग्नाथा हर्स्टी (Rhyniognatha Hirsti) को अब तक का सबसे पुराना कीट माना जाता है। ये भी माना जाता रहा है कि यह सबसे पुराना उड़ने वाला कीट है लेकिन हाल के वक्त में इसे लेकर यह दावा विवाद का विषय है।
कैसे होते थे सबसे पहले कीट?
ऐसा माना जाता है कि शुरुआती कीट आकार में आज के कीटों से बड़े होते थे। ऐसा इसलिए भी होता था क्योंकि उस वक्त एक तो पर्यावरण में आक्सिजन अधिक था और दूसरा इनको खाने वाले पक्षियों की भी कमी थी।
कौन था धरती में पाए जाने वाला सबसे विशालकाय कीट?
मेगान्यूरॉप्सिस (Meganeuropsis) स्रोत: विकिपीडिया |
मेगान्यूरॉप्सिस ग्रिफ़िनफ्लाई नामक कीटों की जाति है जो कि 29 करोड़ साल से 28 करोड़ साल पहले तक धरती पर रहा करती थी। इसे दुनिया के सबसे बड़े कीट होने का दर्जा हासिलं है। इनका शरीर 1.7 फीट लंबे और इनके पंख 1.0 फीट लंबे होते थे। वहीं एक पंख से दूसरे पंख की दूरी (विंगस्पैन) 2.3 फीट के करीब होता था।
एक छः फीट के आदमी की तुलना में मेगान्यूरॉप्सिस, स्रोत: एन्टोमोलोजी |
तो यह कीटों के विषय में कुछ जानकारी। उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी।
ब्लॉगचैटर A to Z के लिए लिखी हुई सभी पोस्ट्स निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती हैं:
अद्भुत……. 👍👍👍👍👍👍…. कॉकरोज किसमें आते हैं…… शायद वो भी कीट हैं….. 🤔🤔🤔🤔🤔
जी वो भी कीट में ही आते हैं…
चर्चा अंक में मेरी पोस्ट को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार…
Very useful information, some of which I didn't know about.
Glad you found something new Janaki/Ishaan. Thank you.
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (13-04-2022) को चर्चा मंच "गुलमोहर का रूप सबको भा रहा" (चर्चा अंक 4399) पर भी होगी!
—
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
—
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' —